भारत की अफगानिस्तान कूटनीति, तालिबान के साथ पहली बार मंत्री स्तर पर बात, बुरा फंसेगा पाकिस्तान !
भारत और तालिबान सरकार के बीच पहली बार मंत्री स्तर की आधिकारिक बातचीत हुई, जो भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के बीच हुई. यह बातचीत पहलगाम आतंकी हमले की निंदा के बाद हुई, जिसकी तालिबान ने भी आलोचना की थी.

India-Afghanistan Relations: भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में एक नया चैप्टर शुरू हुआ है. दरअसल भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से ऑफिशियली फोन कॉल पर बातचीत की. यह भारत की ओर से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ पहली मंत्रिस्तरीय बातचीत मानी जा रही है. यह बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई. तालिबान ने इस हमले की सख्त निंदा की थी. डॉ. जयशंकर ने मुत्ताकी की इस निंदा का स्वागत किया और अफगान जनता के प्रति भारत की पारंपरिक मित्रता और विकास में सहयोग की बात दोहराई.
पाकिस्तान को करारा जवाब
डॉ. जयशंकर ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी देते हुए बताया कि, उन्होंने तालिबान मंत्री से अफगान जनता के साथ भारत की पारंपरिक दोस्ती और विकास सहयोग पर चर्चा की. साथ ही उन्होंने मुत्ताकी के पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करने की सराहना की. उन्होंने यह भी बताया कि अफगानिस्तान और भारत के बीच अविश्वास पैदा करने की पाकिस्तान की कोशिशों को मुत्ताकी ने सख्ती से खारिज कर दिया है.
चाबहार पोर्ट और वीजा पर भी बात
तालिबान की ओर से मुत्ताकी ने भारत से अफगानों को अधिक वीजा देने की मांग की, खासकर उन लोगों को जो इलाज के लिए भारत आना चाहते हैं. इसके अलावा अफगान कैदियों की रिहाई, द्विपक्षीय व्यापार और ईरान के चाबहार पोर्ट पर सहयोग जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई. पाकिस्तान के साथ भारत के व्यापारिक रिश्ते पूरी तरह से बंद हो चुके हैं, ऐसे में चाबहार पोर्ट अफगानिस्तान के लिए भारत से जुड़ने का एकमात्र विकल्प बनता जा रहा है. पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से भारत तक पहुंच न होने के कारण यह पोर्ट दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से बहुत जरूरी है.
भारत की नरमी और तालिबान को अवसर
दरअसल भारत अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं देता, लेकिन 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से दोनों पक्षों में बातचीत बना हुआ है. भारत ने मानवीय सहायता के तौर पर अब तक 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवाइयां, 1.5 करोड़ पोलियो की खुराकें और दूसरी जरूरी सामान अफगानिस्तान भेजी है.
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