जिनपिंग ने नहीं लिखा राष्ट्रपति मुर्मु को कोई खत, विदेश मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट्स का किया खंडन

विदेश मंत्रालय ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक सीक्रेट लेटर भेजा है. इसमें दावा किया गया था कि अगस्त के आखिर में भेजे गए इस लेटर में चीन ने अमेरिका के साथ होने वाले समझौतों पर चिंता जताई थी, क्योंकि ये उसके हितों को नुकसान पहुंच सकते हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल Image Credit:

भारत सरकार की तरफ से उस खबर को खारिज कर दिया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक सीक्रेट लेटर भेजा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बताया गया था कि यह लेटर भारत-चीन रिश्तों को सुधारने की कोशिश के तहत लिखा गया. फिलहाल विदेश मंत्रालय ने इसे गलत करार दिया है.

विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हमने यह रिपोर्ट देखी है और साफ कर देना चाहते हैं कि लेटर की कहानी गलत है.

मामले को लेकर ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट क्या कहती है?

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त के आखिर में यह खबर सामने आई कि शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति मुर्मु को लेटर लिखा. इसमें चीन ने अमेरिका के साथ होने वाले किसी भी ऐसे समझौते पर चिंता जताई थी, जो बीजिंग के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन ने अपने एक अधिकारी को रिश्तों को सुधारने की जिम्मेदारी दी थी.

इसे भी पढ़ें- मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को मिली धमकी, पूरे शहर में 34 मानव बम होने का दावा; RDX विस्फोट की चेतावनी

रिपोर्ट में एक भारतीय अधिकारी के हवाले से कहा गया कि असल में यह लेटर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया था. उस अधिकारी के अनुसार, जून 2024 से भारत सरकार ने चीन के साथ रिश्तों को बेहतर करने की दिशा में गंभीर कदम उठाने शुरू किए.

ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो का जिक्र

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 में कथित पत्र के कुछ ही समय बाद बीजिंग ने एक बयान जारी किया. इसमें शी जिनपिंग ने भारत-चीन रिश्तों को ड्रैगन-एलिफेंट टैंगो कहा. इसके बाद चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग समेत कई बड़े नेता भी इसी शब्द का इस्तेमाल करने लगे.

इसे भी पढ़ें- देशभर के 47 फीसदी मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज, 17 फीसदी पर हत्या-अपहरण जैसे आरोप : ADR रिपोर्ट