चीन सीमा के पास मोदी सरकार की बड़ी तैयारी, 30000 करोड़ में रेलवे लाइन बिछाने की योजना में भारत !
भारत अपनी सीमाओं को मजबूत करने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है. पिछले दिनों कश्मीर घाटी में दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का उद्घाटन किये जाने के बाद भारत की तरफ से नॉर्थ ईस्ट बॉर्डर को मजबूत करने के लिए नई रेल लाइन बिछाने की तैयारी की जा रही है. यह कदम चीन के साथ बढ़ते संबंधों को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है. यह कदम सेना की तैयारियों के लिए भी जरूरी है. आइये इसके बारे में जानते हैं.
भारत अपने पूर्वोत्तर सीमा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए चीन की सीमा के नजदीक 500 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाने का योजना बना रहा है. इस प्रोजेक्ट में पुल और सुरंगों सहित एक नई रेलवे नेटवर्क का निर्माण शामिल है, जो चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान की सीमाओं के निकटवर्ती इलाकों को जोड़ेगा. मोदी सरकार इस परियोजना को लगभग 3.4 बिलियन डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रूपये) की लागत से 4 सालों के भीतर पूरी करने की योजना बना रही है. हालांकि, इस बारे में अभी तक किसी भी तरह की ऑफिशियल जानकारी सामने नहीं आई है.
भारत-चीन के संबंध
चीन के साथ भारत के संबंध कभी अच्छे तो कभी तनावपूर्ण रहे हैं. पांच साल पहले बॉर्डर पर दोनों देशों की सेना के बीच झड़प हुई थी. अब दोनों देश आर्थिक मोर्चे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के कारण एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं. फिर भी भारत की तरफ से लंबे समय में देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर प्लानिंग की जा रही है. इसे भविष्य की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है.
पूर्वोत्तर में 10 साल में 1,700 किमी रेल लाइन बिछाई गई
रिपोर्टस के अनुसार, रेल कॉरिडोर को पिछले 10 साल में बने 9,984 किलोमीटर हाइवे से जोड़ा जाएगा. अभी 5,055 किमी हाइवे पर काम चल रहा है. इसके अलावा भारत ने पूर्वोत्तर में पिछले दस साल के दौरान 1,700 किमी रेल लाइन भी बिछाई हैं. इन रेल लाइनों के जरिये आम लोगों की पहुंच आसान हुई है. इमरजेंसी जैसे किसी तरह की प्राकृतिक आपदा या सैन्य जरूरत के समय भी रिस्पांस टाइम कम हो जाएगा. रिपोर्टस के मुताबिक, भारत ने 1962 से बंद पड़े एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को फिर से एक्टिव कर दिया है. ये हेलीकॉप्टर और सैन्य विमानों के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में इस्तेमाल होंगे.
भारत का यह प्रयास सैनिकों की तैनाती का समय कम करने और लॉजिस्टिक गहराई बढ़ाने का हिस्सा माना जा रही है. भारतीय रेलवे और सरकार की तरफ से इस बारे में किसी तरह की ऑफिशियल जानकारी इसको लेकर नहीं दी गई है. लेकिन यह प्लानिंग भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जो बॉर्डर पर सुरक्षा को मजबूत करेगी.