भारत ने अमेरिकी फर्म को फिर दिया एसआईजी-716 राइफल का ऑर्डर, पड़ोसी देशों का क्या होगा रिएक्शन!

रिपोर्ट की मानें तो यह डील भारत के डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने अमेरिकी कंपनी के साथ 837 करोड़ रुपये में साइन किया है.

एसआईजी-716 राइफल Image Credit: Ethan Miller/Getty Images

भारत ने हाल में अमेरिकी फर्म सिग सॉ को 73,000 राइफल्स का ऑर्डर दिया है. ये एक फॉलो-अप ऑर्डर है, यानी इससे पहले 2019 में इंडियन आर्मी के लिए 72,400 एसआईजी-716 राइफल्स मंगाए गए थे. नए ऑर्डर के बाद एसआईजी-716 राइफ की कुल संख्या 1,45,400 हो जाएगी.

ये ऑर्डर रक्षा मंत्री के हालिया अमेरिकी यात्रा के बाद दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो यह डील भारतीय सेना ने अमेरिकी कंपनी के साथ 837 करोड़ रुपये में साइन किया है. 2019 के ऑर्डर की डील 647 करोड़ रुपये में हुई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के इस डील को साइन करने के पीछे का कारण एके-203 कलाश्निकोव राइफल को बनाने में देरी है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने यह डील घरेलू प्रोडक्शन में हो रही देरी के कारण किया है. दरअसल रूस के साथ मिलकर ऐके 203 राइफल का उत्पादन किया जा रहा है जिसमें काफी देरी हो रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने पिछले साल के दिसंबर महीने में अतिरिक्त 73,000 एसआईजी-716 राइफलों की खरीद को मंजूरी दी थी. इसके अलावा डीएसी ने 40,949 लाइट मशीन गन्स की खरीदारी को भी हरी झंडी दिखाई थी. जिनकी कीमत 2,165 करोड़ रुपये थी.

क्या है एके-203 राइफल्स का अपडेट?

एके-203 प्रोजेक्ट की शुरुआत 2018 में हुई थी जिसमें फिलहाल देरी देखी जा रही है. हालांकि हाल में हुए 35,000 राइफल्स की डिलिवरी एक अच्छा संकेत हो सकता है. यह राइफल्स अमेठी, उत्तर प्रदेश के कोरवा फैक्ट्री में बनाई जा रही है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य अगले दशक तक 10 लाख राइफल्स की डिमांड्स की पूर्ति करना है. रिपोर्ट के अनुसार, इनकी डिमांड इंडियन आर्मी, एयर फोर्स और नेवी में है.

एसआईजी 716 राइफलों में कथित समस्याओं की कुछ रिपोर्टों के बावजूद, सेना का कहना है कि वे पुराने आईएनएसएएस और एके 47 मॉडलों की तुलना में रेंज और मारक क्षमता के मामले में बेहतर प्रदर्शन करते हैं.