अब 20 डिग्री से कम पर नहीं चला पाएंगें AC, मैक्सिमम टेंपरेचर की फिक्स होगी लिमिट, जानें क्या है तैयारी
भारत सरकार AC की कूलिंग पर जल्द ही नए नियम बना सकती है. ये नियम बढ़ती बिजली खपत को कम करने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए होंगे. नए नियमों के तहत सभी तरह एयर कंडीशनर में टेंपरेचर की रेंज को मानक बना दिया जाएगा.
गर्मी बढ़ने के साथ ही एयर कंडीशनर की तादाद बढ़ रही है, जिसकी वजह से बिजली की खपत में भारी इजाफा हो रहा है. बिजली की खपत को काबू करने के साथ ही एयर कंडीशनर के इस्तेमाल को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से AC Temperature standardization पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार जल्द ही नियम बना सकती है, जिसके बाद सभी कंपनियों के सभी तरह के एयर कंडीशनर की टेंपरेचर रेंज 20°C से 28°C के बीच हो जाएगी. यह कदम बिजली बिलों में कमी, कार्बन उत्सर्जन में कमी और ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने में मदद करेगा.
क्या है सरकार का रुख?
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और कूलिंग सिस्टम के बढ़ते इस्तेमाल के बीच भारत पहली बार सभी क्षेत्रों में एयर कंडीशनर का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम और 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं रखने को अनिवार्य करने जा रहा है. खट्टर ने कहा कि इस कदम का मकसद कूलिंग एफिशिएंसी में सुधार करना, बिजली की मांग में फ्लक्चुएशन को को कम करना और बिजली के बिलों में कटौती करना है.
लागू हुए नियम तो क्या होंगे बदलाव?
अगर ऊर्जा मंत्रालय के प्रस्ताव को मानते हुए सरकार नियम बनाती है, तो कार हो या घर हर जगह काम आने वाले एयर कंडीशनर में टेंपरेचर रेंज को घटा दिया जाएगा. फिलहाल, अलग-अलग कंपनियों के अलग-अलग AC मॉडल में 16°C से लेकर 30°C तक टेंपरेचर रेंज मिलती है. लेकिन, प्रस्तावित नियमों के मुताबिक इस रेंज को 20°C से 28°C तक सीमित किया जा सकता है.
कितने टेंपरेचर पर चलाना चाहिए AC?
2020 में BEE यानी ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी की सिफारिश के मुताबिक सभी कमरों और कार एसी के लिए डिफॉल्ट तापमान 24 डिग्री सेल्सियस पर सेट किया जाना चाहिए. यह सभी ब्रांड और स्टार-लेबल वाले एसी पर लागू होता है. ऊर्जा मंत्री खट्टर BEE की इन्हीं सिफारिशों पर गौर करते हुए नए नियम बनाने पर विचार शुरू किया है. इसके लिए फिलहाल सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श किया जा रहा है.
कैसे बचेगा पैसा और पर्यावरण?
इस संबंध में जारी किए गए एक कंसल्टेशन पेपर में कहा गया है कि इस कदम से जहां आम लोगों के लिए बिजली के बिल में बचत होगी, वहीं बिजली की डिमांड नियंत्रित होने से यह फैसला पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होगा. पेपर में कहा गया है कि एसी को जितने कम टेंपरेचर पर चलाया जाता है, उसकी आउटडोर यूनिट घर के बाहर उतनी ही गर्मी फेंकती है, जिससे एंबिएंट टेंपरेचर बढ़ता है. इसके अलावा देश में बिजली की आपूर्ति मोटे तौर पर कोयले से ही होती है. ऐसे में जब डिमांड बढ़ती है, तो प्रदूषण भी बढ़ता है.