मानसून ने बदला माहौल, देश की विकास दर को लेकर वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में किया गया ये बड़ा दावा

वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत की जीडीपी 7 फीसदी की गति से बढ़ सकती है. जानें रिपोर्ट में और क्या बताया गया है.

अच्छे मानसून की वजह से फसल उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है, जिससे खाद्य वस्तुओं की कीमत काबू में रहने से महंगाई भी नियंत्रित रहेगी और जीडीपी तेजी से बढ़ेगी. Image Credit: freepik

जून में मानसुन की सुस्ती की वजह से कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाले बुरे असर की आशंकाओं के चलते अर्थशास्त्री मानने लगे थे कि देश की विकास दर को झटका लग सकता है. हालांकि जुलाई और अगस्त में जमकर हुई बारिश ने अब माहौल बदल दिया है. वित्त मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक मानसून की अनियमितता के बावजूद भारत की आर्थिक गति बरकरार है और 7.0 फीसदी की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) विकास दर हासिल करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. मंत्रालय ने 22 अगस्त गुरुवार को जुलाई की मासिक आर्थिक समीक्षा में बताया है कि हीटवेव और मानसून की सुस्ती के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों में अपनी गति बनाए रखी है. रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई के दौरान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में खासी बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह कर संकलन में विस्तार और आर्थिक गतिविधियों में तेजी है.

विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में तेजी

विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि इन क्षेत्रों में खरीदारी के सूचकांक के मजबूत प्रदर्शन से भी घरेलू आर्थिक गतिविधियों में मजबूती का पता चलता है। विनिर्माण क्षेत्र में मांग का बढ़ने के पीछे नए निर्यात और घरेलू ऑर्डर हैं.

घटेगा सरकारी खजाने का घाटा
सरकारी खजाने को लेकर रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल के बजट ने राजकोषीय मजबूती का रास्ता दिखाया है. राजस्व संग्रह और राजस्व व्यय के बीच तालमेल और मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के चलते सरकारी खजाने के घाटे में कमी आने का अनुमान है. इसमें यह भी कहा गया है कि पूंजीगत व्यय का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है, जिससे नए निजी निवेश को समर्थन मिल रहा है.

सितंबर 2019 के बाद न्यूनतम स्तर पर महंगाई

रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की विकास दर 7 फीसदी पार होने के पीछे के कारणों में एक बड़ा कारण खुदरा मुद्रास्फीति दर का जुलाई 2024 में घटकर 3.5 फीसदी तक आना भी है. महंगाई की यह दर सितंबर 2019 के बाद सबसे कम है. असल में यह खाद्य मुद्रास्फीति में आई नरमी का नतीजा है, जिसको मानसून की वजह से खरीफ की बुवाई से सहारा मिला है. रिपोर्ट के मुताबिक मानसून की वजह से जलाशयों का जलस्तर बढ़ा है, जिससे मौजूदा खरीफ और आगामी रबी फसल का उत्पादन सुधरेगा. इससे आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी.