मनोहर धाकड़ का वीडियो CCTV से नहीं, ऐसे हुआ वायरल, जानिए उस रात की कहानी

भाजपा नेता मनोहर धाकड़ का वायरल वीडियो CCTV से नहीं बल्कि LED स्क्रीन से मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लीक किया गया था. वायरल करने के पीछे ब्लैकमेल की असफल कोशिश सामने आई है. मामले में NHAI की रिपोर्ट के आधार पर तीन निजी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है.

भाजपा नेता मनोहर धाकड़ का वायरल वीडियो CCTV से नहीं बल्कि LED स्क्रीन से मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लीक किया गया था Image Credit:

Manohar Dhakad Viral Video: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में भाजपा नेता मनोहर धाकड़ का महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. अब इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है कि यह वीडियो CCTV से नहीं, बल्कि LED स्क्रीन से मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर वायरल किया गया था. यह घटना 13 मई की रात दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस वे पर हुई थी. वायरल वीडियो में मनोहर धाकड़ एक महिला के साथ कार और सड़क में नजर आ रहे हैं. मामला उजागर होने के बाद 23 मई को भानपुरा थाने में FIR दर्ज की गई और 25 मई को मनोहर धाकड़ ने थाने में आत्मसमर्पण कर दिया था. कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें गरोठ जेल भेजा गया था, लेकिन यह मामला जमानती धाराओं के तहत दर्ज था, इसलिए उन्हें जल्द ही जमानत मिल गई.

कर्मचारियों ने की ब्लैकमेल की कोशिश

इस केस में पुलिस पूछताछ के दौरान मनोहर धाकड़ ने बड़ा दावा किया. उन्होंने बताया कि जब वे नीमथुर पॉइंट के पास थे, तभी NHAI के 6 से 8 कर्मचारियों ने उन्हें घेर लिया और वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर 1 लाख रुपये की मांग की. उन्होंने उस समय 20 हजार रुपये नकद दिए, लेकिन बाकी के 80 हजार रुपये नहीं मिलने पर वीडियो वायरल कर दिया गया.

NHAI ने उठाया कड़ा कदम

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संदीप पाटीदार ने बताया कि इस घटना में शामिल तीनों कर्मचारी एमकेसी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से जुड़े थे, जो एक्सप्रेस वे के कंट्रोल रूम में ड्यूटी पर थे.

इन कर्मचारियों ने कंट्रोल रूम की LED स्क्रीन पर चल रही CCTV फुटेज को अपने मोबाइल से रिकॉर्ड किया और उसे वायरल कर दिया. पुलिस ने वीडियो की आवाजों और फुटेज के आधार पर इनकी पहचान की और इसके बाद तीनों को बर्खास्त कर दिया गया.

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अब जांच के घेरे में अन्य कर्मचारी

इस घटना के बाद अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस वीडियो लीक में अन्य कौन-कौन लोग शामिल थे और क्या यह पूरी घटना किसी ब्लैकमेलिंग रैकेट का हिस्सा थी. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर अब तक 80 कैमरे लगाए जा चुके हैं, जो स्पीड डिटेक्शन सिस्टम के तहत काम करते हैं. इन कैमरों की मदद से ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जाती है. इनमें ANPR कैमरे शामिल हैं, जो वाहन की नंबर प्लेट को स्कैन करते हैं