पूर्वोत्तर का रेल सफर होगा और दिलचस्प, दिल्ली से डायरेक्ट आइजोल ले जाएगी रेलवे; जल्द शुरू होगी यात्रा
पूर्वोत्तर भारत की रेल कनेक्टिविटी को मजबूती देने की दिशा में भारतीय रेलवे ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. मिजोरम की राजधानी आइजोल तक नया रेलवे ट्रैक तैयार हो गया है. ट्रायल रन सफल रहा है और जून में अंतिम निरीक्षण के बाद इस रूट पर यात्री ट्रेनें शुरू हो सकती हैं.
Northeast Railway Project completed: पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में भारतीय रेलवे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. मिजोरम की राजधानी आइजोल तक नया रेलवे ट्रैक बनकर तैयार हो गया है. रेलवे प्रवक्ता दिलीप कुमार के अनुसार, ट्रायल रन पूरा हो चुका है और अब जून में अंतिम निरीक्षण के बाद इस रूट पर ट्रेनें दौड़ने लगेंगी. यानी जल्द ही पूर्वोत्तर की चौथी राजधानी में भी भारतीय रेल के नेटवर्क में जुड़ जाएगी. रेलवे के इस कदम के बाद सेवन सिस्टर्स देश के बाकी हिस्सों के और करीब आ जाएगा. इससे दिल्ली से लेकर आईजोल तक सीधी ट्रेन यात्रा संभव हो सकेगी.
आईजोल बनेगा पूर्वोत्तर का चौथा रेल-युक्त राज्य
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे के आधिकारिक हैंडल पर प्रवक्ता ने इस बड़े अपडेट की जानकारी दी. कुमार ने कहा, आइजोल पूर्वोत्तर भारत का चौथा ऐसा राज्य बनने जा रहा है जो भारतीय रेल से पूरी तरह जुड़ जाएगा. इस रूट को तैयार करना आसान नहीं था क्योंकि रास्ता पहाड़ी और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण है. यही कारण है कि ट्रैक में कई सुरंगें और पुल बनाए गए हैं.
भैरवी से सैरांग तक ट्रायल रन सफल
भैरवी से सैरांग तक तैयार नई लाइन पर ट्रायल रन पूरा कर लिया गया है. जून में रेलवे सुरक्षा आयुक्त निरीक्षण करेंगे और उसके बाद यात्रियों के लिए ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि 17 जून को निरीक्षण हो सकता है. इस योजना के चार खंड हैं जिसमें भैरवी-होरटोकी 16.72 किलोमीटर, होरटोकी से कावनपुई 9.71 किलोमीटर, कावनपुई से मुआलखांग 12.11 किलोमीटर और मुआलखांग से सैरांग तक 12.84 किलोमीटर है. आइए आपको इस परियोजना से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं-
- कुल लंबाई- 51.38 किमी
- लागत- 5021.45 करोड़ रुपये
ट्रैक पर मौजूद संरचनाएं-
- 48 सुरंगें
- 55 बड़े पुल
- 87 छोटे पुल
- 5 सड़क ओवरब्रिज
- 6 अंडर ब्रिज
कुतुब मीनार से भी ऊंचा पुल
कुमार ने इस नए प्रोजेक्ट से जुड़ी एक और जानकारी को सामने लाया है. उन्होंने पुल की ऊंचाई पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सबसे ऊंचा पुल (संख्या 196) है जिसकी ऊंचाई 104 मीटर है. यानी दिल्ली के कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊंचा है. यह रेलवे ट्रैक रणनीतिक रूप से भी अहम है क्योंकि यह बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से सटा हुआ है. रेल लाइन तैयार होने के बाद सीमा से जुड़े इलाकों में सेना और जरूरी सामान की आवाजाही तेज और सुरक्षित होगी. रेल मंत्रालय ने सिक्किम में मेली से डेंटम तक नई रेलवे लाइन के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (FLS) को मंजूरी दे दी है.
यह प्रोजेक्ट दक्षिण और पश्चिम सिक्किम में रेलवे विस्तार की दिशा में बड़ा कदम है. परियोजना पर 2.25 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसे पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (NFR) द्वारा पूरा किया जाएगा. कुमार ने कहा कि इस कदम के बाद आम लोगों के साथ साथ व्यापारियों को भी काफी आसानी होगी. पूर्वोत्तर राज्यों में पूरी तरह से रेलवे की पहुंच न होने के कारण व्यापारिक दृष्टि से कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता था.
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