सड़क–रेल–हवाई सफर होगा सुपरफास्ट, भारत के ये इंफ्रा प्रोजेक्ट्स दुनिया में करेंगे राज; दुबई वाले भी हो जाएंगे हैरान
भारत आने वाले टाइम में ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर युग में प्रवेश कर रहा है, जो तेज रफ्तार हाईवे, आधुनिक एयरपोर्ट, स्मार्ट शहरों, हरित ऊर्जा और हाई-स्पीड रेल के साथ देश की विकास कहानी को नई दिशा देगा. PM गति शक्ति के तहत चल रहे ये 15 मेगा प्रोजेक्ट सिर्फ निर्माण कार्य नहीं, बल्कि भारत के ग्लोबल इकोनॉमीक लिडरशिप की मजबूत नींव साबित होंगे.
भारत आने वाले दो से तीन सालों में ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है, जो देश की अर्थव्यवस्था, कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स सिस्टम को पूरी तरह नया आकार देने वाला है. लगभग 240 अरब डॉलर की अनुमानित लागत वाले 15 मेगा प्रोजेक्ट्स PM गति शक्ति के ब्लूप्रिंट के तहत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इस योजना का मकसद राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को GDP के करीब 14 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी तक लाना है. इसके साथ ही रेल फ्रेट क्षमता को तीन गुना करने और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 40 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.
क्या है PM गति शक्ति योजना, जो देश की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को करेगी कम?
PM गति शक्ति योजना भारत का एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है, जिसे 13 अक्टूबर 2021 को लॉन्च किया गया था. इस योजना का उद्देश्य सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और शहरी ट्रांसपोर्ट जैसे सभी बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क को एकीकृत करके मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को मजबूत बनाना है.
यह योजना 100 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जो 16 मंत्रालयों को 1200 से ज्यादा डेटा लेयर्स के साथ जोड़ता है. इस डिजिटल मैपिंग की मदद से सड़क, रेल, पोर्ट और एयरपोर्ट से जुड़े फैसले तेजी से लिए जा रहे हैं. अनुमान है कि 2028 तक यह प्लेटफॉर्म लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक लॉजिस्टिक्स बचत देगा. ऐसे में आइए जानते हैं, वे 15 मेगा प्रोजेक्ट्स कौन से हैं, जो आने वाले समय में भारत की देश की कनेक्टिविटी को बेहतर करेगी.
मुंबई का प्रभादेवी डबल-डेकर फ्लाईओवर
मुंबई में बन रहा प्रभादेवी डबल-डेकर फ्लाईओवर पुराने एल्फिंस्टन ब्रिज की जगह तैयार किया जा रहा है, जो परेल और प्रभादेवी को जोड़ेगा. यह भारत का पहला आधुनिक डबल-डेकर ब्रिज है, जो सेवरी–वर्ली कनेक्टर का हिस्सा है. इससे यातायात कम होगा और बांद्रा–वर्ली सी लिंक तथा अटल सेतु तक सीधा कनेक्शन मिलेगा.
यह 21 किलोमीटर लंबा ढांचा रोजाना 50,000 वाहनों का भार संभाल सकता है और पिक-आवर देरी को 35 फीसदी तक घटा रहा है. नीचे वाहनों के लिए और ऊपर मेट्रो के लिए कॉरिडोर बनाया गया है. इस 6-लेन प्रोजेक्ट पर लगभग 600 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
पहाड़ों पर मेट्रो: जम्मू का 23 किमी नेटवर्क
जम्मू और श्रीनगर में प्रस्तावित मेट्रोलाइट प्रोजेक्ट 23 किमी और 25 किमी का है. यह पहाड़ी क्षेत्रों में सुरंगों की बजाय एलिवेटेड कॉरिडोर पर आधारित है, ताकि निर्माण लागत कम रहे और सार्वजनिक परिवहन में सुधार हो. फेज-1 का अधिकांश काम मई 2025 तक पूरा हो चुका है. अनुमान है कि 2028 से यह नेटवर्क रोजाना करीब 1.5 लाख यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी देगा.
ड्राइवरलेस सूरत मेट्रो
सूरत में 40 किमी लंबी ड्राइवरलेस मेट्रो दो कॉरिडोर और 37 स्टेशनों के साथ बन रही है. 12,020 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रोजेक्ट का लगभग 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है. इसे आगे चलकर अहमदाबाद मेट्रो से भी जोड़ा जाएगा.
अल्लूरी सीताराम राजू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (विशाखापट्टनम)
2,500 एकड़ में बन रहा यह ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट शुरुआती चरण में 6 मिलियन यात्रियों की क्षमता के साथ शुरू होगा, जिसे आगे 30 मिलियन तक बढ़ाया जा सकेगा.
नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट
1,160 हेक्टेयर में बन रहा यह भारत का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट होगा. इसमें दो समानांतर रनवे होंगे—3700 मीटर और 4000 मीटर—जो एक साथ A380 जैसे बड़े विमानों को संभाल सकेंगे. फेज-1 की लागत 16,700 करोड़ रुपये है और निर्माण 95 फीसदी पूरा हो चुका है. 4.4 लाख sq. mt. का टर्मिनल तैयार है. यह भारत का पहला मल्टी-मॉडल कार्गो हब बनेगा, जिससे करीब 25,000 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि पैदा होगी.
वाराणसी–कोलकाता एक्सप्रेसवे
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ेगा. इससे यात्रा समय 15 घंटे से घटकर 11 घंटे हो जाएगा. 30,000 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रोजेक्ट का 60 फीसदी काम पूरा है. इसमें 26 बड़े पुल और 40 से अधिक बायपास शामिल हैं.
भारतमाला परियोजना फेज-1
5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली यह मेगा सड़क योजना 2024 के आखिरी तक 54 फीसदी पूरी हो चुकी थी. 2027–28 तक 25,000 किमी सड़कें तैयार होने का लक्ष्य है, जिससे फ्रेट टाइम लगभग 20 फीसदी घटेगा और करीब 50,000 करोड़ रुपये की नई निर्यात क्षमता बढ़ेगी.
दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे
भारत का सबसे लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे यात्रा समय 24 घंटे से घटाकर 12 घंटे कर देगा. 1 लाख करोड़ रुपये लागत वाला यह प्रोजेक्ट 98 फीसदी पूरा हो चुका है और दिसंबर 2025 से शुरू होने की संभावना है. यह हर साल 18,000 करोड़ रुपये की लॉजिस्टिक्स बचत देगा.
ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
दोनों मिलाकर 3000 किमी की रेललाइन सिर्फ फ्रेट के लिए बनाई जा रही है. ईस्टर्न DFC (1504 किमी) जून 2026 तक चालू होगा. वेस्टर्न DFC (1504 किमी) दिसंबर 2026 तक तैयार होगा. 81,459 करोड़ रुपये लागत वाले इन कॉरिडोर से फ्रेट कॉस्ट लगभग 20 फीसदी कम होगा.
बेंगलुरु–हैदराबाद हाई स्पीड रेल
626 किमी की यात्रा जो पहले 19 घंटे लेती थी, यह हाई स्पीड रेल उसे सिर्फ 2 घंटे में पूरा कर देगी. 60,000 करोड़ रुपये लागत वाला यह प्रोजेक्ट 2030 तक पूरा होगा और इसमें 10–12 स्टेशन होंगे. यह जापानी और चीनी तकनीक पर आधारित है.
मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन
508 किमी की दूरी को 2 घंटे 7 मिनट में तय करने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन जापानी Shinkansen E5 तकनीक पर आधारित है. 1.08 लाख करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट L&T के तहत बन रहा है और 2029 तक पूरा होगा.
500 GW नवीकरणीय ऊर्जा मिशन
भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है. गुजरात के खवड़ा में 30 GW का विशाल सोलर पार्क इस दिशा में सबसे बड़ा कदम है. 2028 तक ऑफशोर विंड प्रोजेक्ट्स के साथ 400 GW क्षमता का लक्ष्य रखा गया है.
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और ULIP प्लेटफॉर्म
ULIP (Unified Logistics Interface Platform) के जरिए 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है. इससे चीन जैसी लॉजिस्टिक्स दक्षता हासिल करने का प्रयास है.
स्मार्ट सिटी इंटीग्रेशन
PM गति शक्ति के डेटा लेयर का उपयोग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में भी किया जा रहा है, ताकि यातायात प्रबंधन, पानी की सप्लाई और शहरी प्लानिंग अधिक कुशल हो सके.
आधुनिक पोर्ट–रेल–रोड कनेक्टिविटी
देश के सभी प्रमुख पोर्ट्स को अब हाई-स्पीड कॉरिडोर, नई रेललाइन और फास्ट-ट्रैक्ड हाईवे से जोड़ा जा रहा है, जिससे कार्गो टाइम काफी कम होगा और एक्सपोर्ट–इम्पोर्ट तेज और सस्ता होगा.
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