क्या है तुलबुल प्रोजेक्ट, जिससे कश्मीर को मिलने वाला है बड़ा फायदा, 44 साल पहले पाकिस्तान ने बिगाड़ा था खेल

तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट, जिसे वुलर बैराज भी कहा जाता है, झेलम नदी पर एक कंट्रोल स्ट्रक्चर है जो सर्दियों में नेविगेशन, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए पानी का प्रबंधन करेगा. 1984 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान की आपत्तियों के चलते रुका रहा. अब सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद इसे दोबारा शुरू करने की मांग उठी है.

तुलबुल प्रोजेक्ट एक नेविगेशन लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर है. Image Credit: social media

Tulbul Project: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस समय एक प्रोजेक्ट को लेकर एक्स पर एक-दूसरे पर वार-पलटवार कर रहे हैं. जहां एक तरफ महबूबा, अब्दुल्ला पर पानी को लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रही हैं, वहीं उमर, मुफ्ती पर पाकिस्तान के लोगों को खुश करने का आरोप लगा रहे हैं. दोनों नेता तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर भिड़े हैं, जिसे वुलर बैराज प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है. विवाद तब शुरू हुआ जब सीएम अब्दुल्ला ने एक वीडियो साझा करते हुए अपने एक्स पर लिखा कि अब जब सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया गया है, तो क्या हम फिर से इस प्रोजेक्ट को शुरू कर पाएंगे?

तुलबुल प्रोजेक्ट क्या है

तुलबुल प्रोजेक्ट एक नेविगेशन लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर है. इसका उद्देश्य झेलम नदी के पानी को नियंत्रित करना है और सर्दियों के मौसम में नेविगेशन को संभव बनाना है. इसका उद्देश्य उत्तरी कश्मीर से दक्षिणी कश्मीर तक 100 किलोमीटर का जलमार्ग (वॉटर कॉरिडोर) बनाना है. इसमें खेतों में सिंचाई के लिए पानी और बिजली पैदा करना भी शामिल है. तुलबुल एक डैम है जो वुलर झील पर बनाया जाएगा.

1984 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट को 1984 में शुरू किया गया था, लेकिन पाकिस्तान की आपत्ति के चलते इस परियोजना को रोक दिया गया था. पाकिस्तान ने इस परियोजना को सिंधु जल समझौते के खिलाफ बताया था. इसके बाद 2008 में जब उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, तो इस प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू किया गया था, लेकिन प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों पर आतंकी हमले के बाद इस प्रोजेक्ट को फिर से रोक दिया गया.

ये भी पढ़ें- पूर्व DRDO प्रमुख बोले- भारत को जल्द मिलने वाली है हाइपरसोनिक सफलता, दुनिया की सबसे तेज मिसाइल पर चल रहा काम

इसका क्या होगा असर

अगर यह प्रोजेक्ट बन जाता है तो इससे कश्मीर के लोगों को फायदा होगा, क्योंकि इससे वे झेलम के पानी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर पाएंगे. तो वहीं पाकिस्तान को इसके वजह से झेलम का पानी बहुत कम मिल पाएगा. इसी लिए वह इस प्रोजेक्ट का विरोध करता है और किसी भी कीमत पर इस रोकना चाहता है.