दो दशक का दर्द भरा इंतजार खत्म, भारत बना महिला विश्व कप का चैंपियन; सपनों की नगरी में ख्वाब बने हकीकत

2005 में सेंचुरियन में करेन रोल्टन के शतक ने भारत के विश्व विजेता बनने के सपनों को चकनाचूर कर दिया था और 2017 में लॉर्ड्स में अन्या श्रुबसोल के जादुई छह विकेट ने लाखों दिल तोड़ दिए थे. लेकिन 2025 में कहानी हमेशा के लिए बदल गई.

भारत ने जीता महिला विश्व कप का खिताब. Image Credit: Getty image

आईसीसी खिताब के लिए भारत का लंबा और दर्दभरा इंतजार आखिरकार शानदार तरीके से खत्म हुआ. ऐतिहासिक रविवार की रात, हरमनप्रीत कौर की निडर ब्रिगेड ने नवी मुंबई के खचाखच भरे डीवाई पाटिल स्टेडियम में दर्शकों की गड़गड़ाहट के बीच दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हरा दिया. वर्षों के दर्द पर जीत ने बेहद खूबसूरती के साथ मरहम लगाया है. 2005 में सेंचुरियन में करेन रोल्टन के शतक ने भारत के विश्व विजेता बनने के सपनों को चकनाचूर कर दिया था और 2017 में लॉर्ड्स में अन्या श्रुबसोल के जादुई छह विकेट ने लाखों दिल तोड़ दिए थे. लेकिन 2025 में कहानी हमेशा के लिए बदल गई. शेफाली वर्मा के आक्रामक खेल और दबाव में दीप्ति शर्मा के धैर्य के साथ, भारत ने आखिरकार वह मुकाम हासिल कर लिया, जिसका लंबे समय से करोड़ों लोगों को इंतजार था. भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अपना वर्ल्ड चैंपियन का ताज अपने माथे पर सजा लिया है.

उमड़ पड़ा भावनाओं का सैलाब

जैसे ही आखिरी विकेट गिरा, मैदान में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा. हरमनप्रीत कौर जीत के जश्न में दहाड़ उठीं, उनकी आंखों में आँसू थे. एक ऐसी चीख जिसमें दो दशकों के अधूरे सपनों की गूंज थी. और स्टैंड में रोहित शर्मा, जिन्होंने 2023 के फाइनल में दिल टूटने का दर्द महसूस किया था, खड़े होकर तालियां बजाने लगे. एक ऐसा भाव जिसने देश के गौरव, राहत और खुशी, तीनों को एक साथ व्यक्त किया. दिल टूटने से इतिहास तक, भारतीय महिला क्रिकेट ने गौरव की ओर अपनी लंबी और अधूरी यात्रा पूरी कर ली. भारतीय महिला क्रिकेट ने आखिरकार अपने शिखर को छू लिया.

इस जीत के साथ हरमनप्रीत की टीम ने आखिरकार पिछले दिल टूटने के दर्द – 2005 और 2017 के फाइनल – को भुला दिया और भारत को बहुप्रतीक्षित विश्व खिताब देश की झोली में डाल दिया.

शैफाली वर्मा की जोरदार पारी

टूर्नामेंट के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा स्कोर 7 विकेट पर 298 रन बनाने के बाद, भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 45.3 ओवर में 246 रन पर समेट दिया. प्रोटियाज की पारी कप्तान लॉरा वोल्वार्ड्ट के 98 गेंदों में 101 रनों के शानदार प्रदर्शन पर केंद्रित थी, लेकिन दीप्ति शर्मा (55 और 5/39) और शैफाली वर्मा (87 और 2/36) की शानदार गेंदबाजी ने सुनिश्चित किया कि इस बार भारत के चैंपियन बनने की राह में कोई बाधा नहीं बन सकता.

हमेशा भरोसेमंद गेंदबाज रहीं दीप्ति ने टूर्नामेंट में सबसे अधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज (21) बनीं और उन्होंने सबसे बड़े मंच पर चतुराई और शालीनता से गेंदबाजी की. दूसरी ओर, शैफाली के लिए यह दूसरा मौका साबित हुआ. प्रतीक रावल की चोट के बाद उन्हें टीम में शामिल किया गया था. हफ्तेभर पहले हरियाणा के साथ घरेलू क्रिकेट तक सीमित रहने वाली 21 वर्षीय इस युवा खिलाड़ी ने विश्व पटल पर साहस और परिपक्वता से भरी पारी खेली ( 84 गेंदों पर 87 रन) और फिर दो महत्वपूर्ण विकेट लेकर मैच का रुख निर्णायक रूप से भारत की ओर मोड़ दिया.

ओपनिंग साझेदारी

पहले बल्लेबाजी का न्योता मिलने पर, भारत ने बल्लेबाजी के लिए आसान नहीं रही पिच पर सात विकेट पर 298 रन बनाए. स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा ने 17.4 ओवर में 104 रनों की साझेदारी करके पारी को ठोस शुरुआत दी, जो मौजूदा विश्व कप में प्रोटियाज के खिलाफ सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी है. प्लेइंग इलेवन में उनकी वापसी एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुई, क्योंकि उन्होंने और स्मृति मंधाना (45) ने 104 रनों की ओपनिंग साझेदारी के साथ भारत को एक बेहतरीन शुरुआत दी, जिससे दो घंटे की बारिश के बाद दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों की कमर टूट गई.

दक्षिण अफ्रीका की मजबूत शुरुआत

दक्षिण अफ्रीका ने रन चेज की शुरुआत सतर्क अंदाज में की, जहां लॉरा वोल्वार्ड्ट और ताजमिन ब्रिट्स शुरुआत में लय हासिल करने में जूझती रहीं, जबकि रेणुका सिंह और क्रांति गौड़ ने सटीक लाइन और लेंथ बनाए रखी. हालांकि, दोनों जल्द ही जम गईं और आसानी से रन बटोरने लगीं. जैसे ही यह साझेदारी मजबूत होने लगी, अमनजोत कौर के शानदार डायरेक्ट हिट ने ब्रिट्स की पारी का अंत कर दिया, जिन्होंने 35 गेंदों में दो चौकों और एक छक्के की मदद से 23 रन बनाए.

इसके तुरंत बाद श्री चरनी ने एनेके बॉश को छह गेंदों पर शून्य पर आउट कर दक्षिण अफ्रीका को तगड़ा झटका दिया. इसके बाद, सुने लुस ने वोल्वार्ड्ट का साथ दिया और दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 52 रनों की साझेदारी करके दक्षिण अफ्रीका को जीत की दौड़ में बनाए रखा. लेकिन हरमनप्रीत कौर के रणनीतिक फैसले और शेफाली वर्मा को मैदान पर उतारने से मैच भारत के पक्ष में हो गया.

शेफाली ने लुस को 25 रन पर आउट किया और फिर लेग साइड में मारिजाने कैप को आउट करके भारत की ‘गोल्डन आर्म गर्ल’ का तमगा हासिल किया. विकेटों के बीच, वोल्वार्ड्ट डटी रहीं और उन्होंने 45 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया. हालांकि, सिनालो जाफ्ता ने 29 गेंदों में 16 रन बनाने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसके बाद दीप्ति शर्मा ने कमान संभाल ली.

दीप्ति शर्मा ने पलटी बाजी

दक्षिण अफ्रीका ने कुछ हद तक लय तब हासिल की जब एनेरी डर्कसन ने राधा यादव की नो-बॉल पर छक्का जड़ा और फिर फ्री हिट पर एक और छक्का जड़ा. डर्कसन के पलटवार ने टीम को थोड़ी राहत दी, लेकिन दीप्ति शर्मा ने उन्हें पवेलियन की राह दिखा दी.

लॉरा वोल्वार्ड्ट ने जल्द ही 96 गेंदों पर शानदार शतक पूरा किया, लेकिन ज्यादा देर तक नहीं टिक सकीं और 98 गेंदों पर 11 चौकों और एक छक्के की मदद से 101 रन बनाकर आउट हो गईं. अमनजोत कौर ने दीप्ति की गेंद पर एक शानदार कैच लपका और दक्षिण अफ्रीकी कप्तान को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

दीप्ति ने अपना दबदबा जारी रखा और क्लो ट्रायोन को आउट करके मैच पर भारत की पकड़ मजबूत कर दी. 41वें ओवर में उनके दो विकेट ने भारत को जीत के करीब पहुंचा दिया और अपने चौथे विकेट के साथ वह महिला विश्व कप फाइनल में पांच विकेट लेने वाली पहली स्पिनर बन गईं.

नादिन डी क्लार्क, जिन्होंने विशाखापट्टनम में भारत से मैच छीन लिया था, जेमिमा रोड्रिग्स द्वारा डीप में कैच छोड़ने के बाद यही कारनामा दोहराने की कगार पर थीं, लेकिन दीप्ति ने सुनिश्चित किया कि कोई भी आखिरी पलों में कोई चूक न हो पाए, उन्होंने डी क्लार्क को आउट कर दिया और कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कैच पूरा किया. इस तरह भारत ने जश्न के बीच ऐतिहासिक जीत दर्ज की.

दिल टूटने से इतिहास तक

नवी मुंबई के आसमान में आतिशबाजी की चमक के साथ, हरमनप्रीत के चेहरे पर दिख रही भावनाएं सब कुछ बयां कर रही थीं. वो बता रहीं थी सूखा खत्म हो गया है और अब हम विश्व चैंपियन हैं. दिल टूटने से इतिहास तक, भारत की महिलाओं ने आखिरकार अपनी कहानी फिर से लिख दी और इस बार उन्होंने इसे सुनहरे अक्षरों में लिखा है.

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