ज्योति मल्होत्रा से क्या करवाना चाहता था पाकिस्तान, ISI ने ऐसे बुना जाल… ब्रह्मोस के इंजीनियर तक को है फंसाया

Jyoti Malhotra ISI SPY Trick: हरियाणा पुलिस का दावा है कि मल्होत्रा ​​अकेले काम नहीं कर रही थी. वह कथित तौर पर अन्य सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स लोगों के संपर्क में थी. हाल के वर्षों में भारतीयों को अपने जासूस के रूप में तैयार करने के लिए ISI की स्टैंडर्ड चाल हनी ट्रैप रही है, लेकिन इस बार उसने कुछ नए तरीके से जाल बुना.

आईएसआई ने ज्योति मल्होत्रा ​​को कैसे फंसाया. Image Credit: Social Media/ Money9live

Jyoti Malhotra ISI SPY Trick: जासूसी लगभग उतनी ही पुरानी प्रैक्टिस है, जितनी पुरानी सभ्यता और इसके बकायदा प्रमाण भी मिलते हैं. प्राचीन मिस्र और रोम से लेकर मध्य युग और पुनर्जागरण तक, जासूसी का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है. आधुनिक जासूसी में विशेष रूप से शीत युद्ध और ‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’ के युग के दौरान महत्वपूर्ण बदलाव और डेवलपमेंट देखने को मिले. दुनिया भर की अलग-अलग सरकारी एजेंसियां ​​लगातार अपनी जासूसी, काउंटर-जासूसी और आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को विकसित और मजबूत कर रही हैं. दुनिया के भर के देश एक दूसरे देश की जासूसी करते हैं. इसके लिए उनकी एजेंसियां अलग-अलग पैतरे आजमाती हैं. भारत में इन दिनों ‘जासूसी’ शब्द लगभग हर किसी की जुबां पर है. सोशल मीडिया इससे पटा पड़ा है और खबरों में भी भरपूर स्पेस इसे मिल रहा है, क्योंकि पिछले हफ्ते हिसार में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में ट्रैवल ब्लॉगर और यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ​​की गिरफ्तारी हुई. पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की एक नई चाल को उजागर किया गया है. आइए समझते हैं कि कौन से पैतरे के जरिए ISI ने ज्योति मल्होत्रा को अपनी जाल में फंसाया.

कौन हैं ज्योति मल्होत्रा?

34 वर्षीय ज्योति मल्होत्रा ​​’ट्रैवल विद जो’ नाम से एक ट्रैवल यूट्यूब चैनल चलाती थी. जिसके 3.89 लाख से अधिक सब्सक्राइबर थे. साथ ही इंस्टाग्राम (13.4 लाख), फेसबुक और स्नैपचैट पर भी उसके काफी फॉलोअर थे. वह एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट के साथ अंतरंग संबंध में थी और उसके साथ बाली की यात्रा भी कर चुकी थी. वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ नियमित संपर्क बनाए रखती थी और व्हाट्सएप, टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके उनके साथ संवेदनशील जानकारी साझा करती थी. ये जानकारी लगभग अब आम हो चुकी है.

कई और लोग भी हो सकते हैं शामिल

रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा पुलिस का दावा है कि मल्होत्रा ​​अकेले काम नहीं कर रही थी. वह कथित तौर पर अन्य सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स लोगों के संपर्क में थी, जिनमें से कुछ के पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों से भी संबंध हो सकते हैं. हिसार के एसपी शशांक कुमार सावन ने कहा कि वे (ISI) उसे एक एसेट्स के रूप में डेवलप कर रहे थे. वह अन्य YouTube इंफ्लुएंसर्स के संपर्क में थी और वे भी PIOs के संपर्क में थे. वह स्पॉन्सर्ड ट्रिप पर पाकिस्तान जाती थी. हम जांच कर रहे हैं, क्योंकि हमें सुराग मिले हैं कि उसके साथ अन्य लोग भी शामिल थे.

ओडिशा तक पहुंची जांच

जांच ओडिशा तक पहुंच गई है, जहां पुरी का एक यूट्यूबर जांच के दायरे में आ गया है. मल्होत्रा ​​ने सितंबर 2024 में तटीय शहर का दौरा किया था. हालांकि, पुरी यूट्यूबर ने कहा है कि उन्हें मल्होत्रा ​​की गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं थी. अनाम महिला जांच के दायरे में तब आई जब यह पता चला कि वह पिछले साल 21 सितंबर को पुरी में जगन्नाथ मंदिर में ज्योति के दर्शन के तुरंत बाद गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब की ओर जाने वाले वीजा-फ्री सीमा पार करतारपुर कॉरिडोर की यात्रा की थी.

हनी ट्रैप

हाल के वर्षों में भारतीयों को अपने जासूस के रूप में तैयार करने के लिए ISI की स्टैंडर्ड चाल हनी ट्रैप रही है. कुछ साल पहले यूपी पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने महिलाओं के 125 फेसबुक प्रोफाइल पर फोकस किया था, जिनके बारे में उन्हें संदेह था कि वे भारतीय सुरक्षाकर्मियों को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए ISI द्वारा प्लांट की गई हो सकती हैं. इन सभी अकाउंट की फ्रेंड लिस्ट में भारतीय सेना या केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से कम से कम एक अधिकारी शामिल था.

फंस चुका है ब्रह्मोस का वैज्ञानिक

निशाने पर डिफेंस फोर्स या महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले भारतीय थे. पूर्व ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल, जिन्हें पिछले साल नागपुर की एक सत्र अदालत ने पाकिस्तान को मिलिट्री सीक्रेट लीक करने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, ISI के हनीट्रैप का एक प्रमुख मामला था. ‘सेजल’ नाम से एक व्यक्ति ने भारतीयों को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान से एक फेसबुक अकाउंट बनाया था. अग्रवाल के लिए, सेजल यूके की हेस एविएशन में एक रिक्रूटर थी. अग्रवाल की प्रोफाइल में जिक्र किया गया था कि वह ब्रह्मोस एयरोस्पेस में एक सीनियर सिस्टम इंजीनियर था. जांचकर्ताओं के अनुसार, निशांत अग्रवाल दो अन्य, नेहा शर्मा और पूजा रंजन के साथ भी फेसबुक पर फ्रेंड था, जिनके अकाउंट भी पाकिस्तान से एक्टिव थे.

कोल्ड वॉर के दौरान आकर्षक जासूस धुएं से भरे बार और नाइट क्लबों में अपने टार्गेट को लुभाते थे. इंटरनेट के समय में आसान एक्सेस और वास्तविक पहचान छिपाने की व्यापक गुंजाइश ने सोशल मीडिया को जासूसों के लिए एक स्टैंडर्ड खेल का मैदान बना दिया है.

ज्योति मल्होत्रा को क्यों बनाया निशाना?

रिपोर्ट के अनुसार, ज्योति मल्होत्रा ​​भी सोशल मीडिया पर निशाना थी, क्योंकि वह एक बहुत ही चर्चित यूट्यूब अकाउंट चलाती थी. हालांकि, उनके मामले में ISI ने एक नई चाल चली है. हनीट्रैप के जरिए भारतीय अधिकारियों को लुभाने के बजाय, अब वह सोशल मीडिया के इंफ्लुएंसर्स को फंसाकर लोगों को भ्रमित करने के लिए नैरेटिव गढ़ना चाहती है. एक वीडियो में मल्होत्रा ​​ने पहलगाम हमले के लिए सुरक्षा की कमी को जिम्मेदार ठहराया था. पुलिस मल्होत्रा ​​के अन्य प्रभावशाली लोगों से संबंधों की जांच कर रही है.

पाकिस्तान के पक्ष में नैरेटिव बनाने के लिए ISI द्वारा अन्य इंफ्लुएंसर्स की भर्ती करने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सकता था. अगर ISI एक बड़े ग्रुप तक पहुंच वाले इंफ्लुएंसर्स को तैयार करती है तो उसके लिए भारत में अपना प्रचार प्रसार करना आसान है.

क्या करना चाहता है पाकिस्तान?

बड़ी संख्या में फॉलोअर वाले इंफ्लुएंसर्स ISI के लिए जासूसों की भर्ती करने में भी कारगर हो सकते हैं. भारतीय डिफेंस ऑफिसर को लुभाने के लिए सोशल मीडिया पर ‘सेजल’ के रूप में नकली पहचान बनाने वाले ISI कर्मचारी के बजाय, भारतीय इंफ्लुएंसर्स के लिए ऐसा करना कहीं ज्यादा आसान और तेज है. प्रभावशाली लोगों की अपनी लोकप्रियता और उनके काम की प्रकृति के कारण संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंच हो सकती है, जिससे शायद ही कोई संदेह पैदा हो. मल्होत्रा ​​का मामला ISI द्वारा भारत के खिलाफ आजमाई जा रही एक नई और अधिक खतरनाक चाल हो सकती है.