भारत के खिलाफ जिस तुर्किये ड्रोन का पाक ने किया इस्तेमाल, जानें उसमें कितना है दम

8-9 मई की रात पाकिस्तान ने भारत पर एक बड़ा ड्रोन हमला करने की कोशिश की, जिसमें तुर्किये के SONGAR आर्म्ड ड्रोन का इस्तेमाल हुआ. भारतीय सेना ने काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक तकनीकों से इन 400 ड्रोन को नाकाम कर दिया. जानें कितना ताकतवर है ये ड्रोन.

पाक ने क्यों किया तुर्किये ड्रोन का इस्तेमाल? Image Credit: @Money9live

Why Pakistan Used Turkey Songar Drone: 8-9 मई की रात भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक बड़ा सुरक्षा खतरा टला जब सैकड़ों आर्म्ड ड्रोन भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश करते पकड़े गए. इन ड्रोनों की संख्या करीब 300 से 400 थी और यह एक साथ कई दिशाओं से आए थे. भारतीय एयर डिफेंस प्रणाली ने तुरंत हरकत में आकर इन्हें निशाना बनाया और समय रहते इस हमले को नाकाम कर दिया. इसको लेकर जब जांच हुई तब सामने आया कि ये सभी ड्रोन तुर्किये में बने SONGAR सशस्त्र ड्रोन थे. पाकिस्तान ने इन ड्रोनों का इस्तेमाल भारत की सीमा में हमला करने के लिए किया.

भारतीय सेना ने कैसे रोका हमला?

यह जानकारी भारतीय सेना की तरफ से कर्नल सोफिया कुरैशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. उन्होंने बताया कि ड्रोन 36 से ज्यादा स्थानों से भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्हें मार गिराया गया और उनका मलबा बरामद कर जांच की जा रही है. भारतीय सेना ने इस हमले को रोकने के लिए ‘काइनेटिक’ और ‘नॉन-काइनेटिक’ दोनों तरह के उपाय अपनाए.

काइनेटिक तरीके में मिसाइल या गोली से ड्रोन को गिराया गया, जबकि नॉन-काइनेटिक तरीकों में तकनीक का इस्तेमाल कर ड्रोन के कंट्रोल को बाधित किया गया जैसे- GPS जैमिंग या साइबर इंटरवेंशन. सबसे बड़ा सवाल ये है कि पाकिस्तान जिस तुर्किये ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है असल में वह कितना खतरनाक है. भारत के लिए वह ड्रोन कितना खतरनाक साबित हो सकता है. आइए समझते हैं.

कितना खतरनाक है तुर्किये का SONGAR ड्रोन?

SONGAR तुर्किये का पहला घरेलू आर्म्ड ड्रोन है जिसे Asisguard नाम की कंपनी ने बनाया है. यह ड्रोन खासतौर पर बार्डर इलाकों और आतंकवाद से निपटने के लिए बनाया गया है. इसकी मदद से पाकिस्तान ने भारतीय एयर डिफेंस की जासूसी की थी. खासतौर पर भारतीय एयर डिफेंस की लोकेशन, रिएक्शन टाइम जैसे क्रिटिकल डाटा को एनालाइज करने के लिए यह हमला किया गया. इस ड्रोन का इस्तेमाल टार्गेट का पता लगाने, निगरानी करने और हमले के लिए किया जा सकता है. इस ड्रोन की रेंज 10 किमी है और यह 2,800 मीटर तक की ऊंचाई पर काम कर सकता है.

  • इसमें मशीनगन, मिनी मिसाइल और मोर्टार जैसे हथियार लगाए जा सकते हैं.
  • 45 किलो तक वजन ले जा सकता है और बिना हथियार के 30 मिनट तक उड़ान भर सकता है.
  • इसमें दिन-रात निगरानी करने वाले इंफ्रारेड और डे-लाइट कैमरे लगे हैं.
  • सिग्नल टूटने पर यह खुद बेस पर लौट आता है.
  • एक साथ कई ड्रोन मिलकर हमला कर सकते हैं जिसे “Swarm Attack” कहा जाता है.

इसे बनाने वाली कंपनी का कहना है कि ड्रोन को दिन और रात दोनों समय इस्तेमाल किया जा सकता है. यह 5 किमी तक की दूरी तक रियल टाइम में वीडियो कैप्चर कर लेता है. कंपनी का दावा है कि इस हैंडल करना आसान है. मिशन के दौरान इसे दो तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है. पहला मैनुअली और दूसरा ऑटोमैटिक. 

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