भारत में क्रिप्टोकरेंसी चोरी होने पर क्या करेगी पुलिस, क्या कहता है कानून?

भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर नहीं माना गया है. इसका मतलब है कि तमाम कानूनों के तहत रुपये की चोरी को लेकर जिस तरह का संरक्षण मिलता है, वह हैसियत क्रिप्टो करेंसी को हासिल नहीं है. ऐसे में अगर भारत में किसी की क्रिप्टो करेंसी चोरी होती है, तो पुलिस क्या करेगी, जानते हैं कानून इसके बारे में क्या कहता है?

साइबर ठगों ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के लिए बड़े रिटर्न का वादा करके 1.60 करोड़ रुपये की ठगी की. Image Credit: FREE PIK

जल्दी अमीर बनने की चाहत में दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत में भी लाखों लोग क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर रहे हैं. बहुत से निवेशक ऐसे हैं, जिन्हें क्रिप्टो करेंसी के भारत में लीगल स्टेटस की जानकारी नहीं है. वहीं, बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो यह जानने के बाद भी क्रिप्टो करेंसी में निवेश करते हैं कि इसे भारत में किसी तरह की कानूनी मान्यता नहीं दी गई है.

क्रिप्टो करेंसी में निवेशकों की तादाद बढ़ने के साथ ही फ्रॉड और चोरी के मामले भी बढ़ रहे हैं. हर साल अरबों रुपये की क्रिप्टो करेंसी की चोरी होती है. चूंकि क्रिप्टो करेंसी को भारत में कोई लीगल स्टेटस नहीं दिया गया है, ऐसे में कोई ऐसी सेंट्रल या नोडल एजेंसी भी नहीं है, जो क्रिप्टो से जुड़े फ्रॉड या चोरी के मामलों से निपटती है. क्रिप्टो करेंसी को लेकर फैली कई भ्रांतियों की वजह से कई बार तो लोग क्रिप्टो चोरी की रिपोर्ट भी नहीं करते हैं.

कहां करें शिकायत?

अगर आपने क्रिप्टो एसेट्स में निवेश किया है और आपके साथ किसी ने धोखाधड़ी की है, तो आप इसके लिए स्थानीय पुलिस से मदद ले सकते हैं. खासतौर पर आपके जिले या शहर में पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट को इस तरह के मामलों की शिकायत दी जा सकती है.

क्या कहता है कानून

रिजर्व बैंक के मुताबिक कोई भी क्रिप्टो करेंसी भारत में लीगल टेंडर नहीं है. यानी इसे किसी करेंसी का दर्जा नहीं दिया गया है. मोटेतौर पर देश में क्रिप्टो करेंसी को गेमिंग और सट्टेबाजी की कैटेगरी में रखा गया है. हालांकि, किसी भी साइबर क्राइम की तरह क्रिप्टो करेंसी से जुड़े फ्रॉड भी आईटी एक्ट के दायरे में आते हैं.

क्या कहता है आइटी एक्ट

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट भारत में किसी भी तरह के साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई का अधिकार देता है. जब आप पुलिस के पास क्रिप्टो चोरी या फ्रॉड का मामला लेकर जाएंगे, तो पुलिस साइबर अपराध कानूनों, विशेष रूप से आईटी एक्ट के तहत मामले की जांच करेगी. आईटी एक्ट की धारा 43 और 66 तमाम साइबर अपराधों से संबंधित हैं, जिनमें हैकिंग, डाटा चोरी और वायरस का निर्माण व वितरण शामिल है. इस तरह भारत का मौजूदा कानून ही किसी भी तरह की क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी चोरी से निपटने में सक्षम है.

एक्सचेंज से मिलती है मदद

भारतीय एजेंसियां, जैसे पुलिस, सीबीआई आई ईडी किसी क्रिप्टो फ्रॉड या चोरी के मामले में संबंधित एक्सचेंज से ब्लॉकचेन को ट्रेस करने और तमाम तरह की तकनीकी मदद लेने के लिए अधिकृत हैं. अदालत के आदेश पर ये एजेंसियां अक्सर बायनेंस जैसे बड़े एक्सचेंज से भी मदद लेती हैं.

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