एक परमाणु बम कितने लोगों की ले सकता है जान, जानें भारत और पाकिस्तान में किसके पास ज्यादा पावर
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन पुलवामा हमले के बाद हालात और बिगड़े हैं. पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों की धमकी दी है, जिसमें भारत के खिलाफ गौरी, शाहीन और गजनवी मिसाइलों और 130 परमाणु हथियारों का उल्लेख किया. जानें आखिर क्या है इन परमाणु बमों की ताकत. किसके पास कितने बम.
India vs Pakistan Nuclear Bomb Power: भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से ही तनावपूर्ण रहे हैं. मौजूदा दौर में दोनों के रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में है. इसके कारण से सभी वाकिफ हैं, हाल में कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय लोगों की मौत हो गई. इसके बाद से सरहद पार से लगातार धमकियां दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर भारत पर पड़ोसी देश को लेकर कड़े कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार का ढोल फिर से पीटना शुरू कर दिया है. पाकिस्तान के मंत्री हनीफ अब्बासी ने कहा कि इस्लामाबाद के पास मौजूद गौरी, शाहीन और गजनवी जैसी मिसाइलें और 130 परमाणु हथियार केवल भारत के लिए रखे गए हैं.
उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि अगर भारत सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान का पानी रोकता है, तब वह युद्ध के लिए तैयार रहे. ऐसे में कुछ चीजों का पता होना जरूरी है. पहला कि भारत और पाकिस्तान के पास कितने परमाणु बम हैं. दूसरा ये कि इन बमों में कितनी ताकत होती है, यानी इसके इस्तेमाल से कितना बड़ा हिस्सा और लोग प्रभावित हो सकते हैं.
भारत-पाकिस्तान के पास कितनी शक्ति वाले परमाणु बम?
अगर भारत और पाकिस्तान के बीच छोटा-सा परमाणु युद्ध भी होता है तो एक हफ्ते में 2 करोड़ लोग मर सकते हैं. वहीं अगर यह युद्ध लंबा खिंचता है तो विकासशील देशों में लगभग 2 अरब लोग भुखमरी से मरने के कगार पर पहुंच सकते हैं. अलग-अलग रिपोर्ट के अनुसार , मौजूदा समय में भारत के पास जो परमाणु हथियार है वह 12 से 14 किलोटन के है. वहीं पाकिस्तान यह दावा करता है कि उसके 15 से 18 किलोटन के परमाणु हथियार है. जबकि इंटरनेशन रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पास 4-6 किलोटन क्षमता वाले परमाणु हथियार हैं.
किसके पास कितने परमाणु बम?
स्टॉकहोल्म इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी, 2024 तक भारत के पास 172 परमाणु हथियार (न्यूक्लियर वॉरहेड्स) थे, जबकि पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार थे. अंतर काफी छोटा लग सकता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी ताकत को बढ़ाया है. रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2023 में भारत के पास 164 परमाणु हथियार थे वहीं पाकिस्तान के पास 170 थे. लेकिन भारत ने संख्या में बढ़ोतरी करते हुए उसे 172 कर लिया है. अब सवाल है कि इन परमाणु बम में कितनी ताकत होती है. आइए इतिहास के कुछ उदाहरण से समझाने की कोशिश करते हैं. अगर आपको हिरोशिमा की तबाही याद है तब अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कितना खतरनाक था.
सबसे छोटे बम की तबाही
1945 में हिरोशिमा पर लिटिल बॉय परमाणु गिराया गया था. लिटिल बॉय बम 15 किलोटन (15,000 टन TNT के बराबर) की शक्ति वाला बम था. उसने लगभग 70,000 से 1,00,000 लोगों को तुरंत मार डाला था वहीं हजारों लोगों को घायल कर दिया था. शहर का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था. बाद में रेडिएशन से कई लोगों की मौत हुई थी. यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट (UCS) के मुताबिक, इस बम की असल शक्ति की बात करें, तो आज के दौर में इसकी चपेट में 1 किलोमीटर का दायरा आ सकता है. वहीं इससे तकरीबन 2.63 लाख लोगों की मौत हो सकती है वहीं लगभग 5.12 लाख लोग घायल हो सकते हैं. इसका रेडिएशन 1.2 किलोमीटर के रेडियस तक के दायरे में हो सकता है.
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सबसे बड़े बम की तबाही
दुनिया के सबसे बड़े और खतरनाक परमाणु बम का नाम त्सार बम (Tsar Bomb) है. इसकी शक्ति 50 मेगाटन (50 मिलियन टन TNT) है. जिसे रूस ने तैयार किया है. जो हिरोशिमा के बम से 3,300 गुना ज्यादा शक्तिशाली है. इसका प्रभाव 20 किलोमीटर के दायरे में हो सकता है. UCS के मुताबिक, इससे पड़ने वाले प्रभाव की बात करें तो इसके जरिए एक साथ 76 लाख लोगों की मौत हो सकती है, वहीं तकरीबन 41 लाख लोग घायल हो सकते हैं. त्सार बम का रेडिएशन 3.14 किलोमीटर के रेडियस में फैल सकता है.
कितने लोगों की हो सकती है मौत?
यानी इससे समझा जा सकता है अगर इन देशों के बीच अगर परमाणु हमला होता है तब करोड़ों लोगों की जान सकती है. इससे एक बड़ी जनसंख्या खत्म हो सकती है. यानी अगर भारत और पाकिस्तान सबसे हल्के परमाणु बम का भी इस्तेमाल करते हैं तो एक झटके में कई लाख लोग मारे जाएंगे, जबकि लाखों लोग घायल हो जाएंगे. भारत के विपरीत, पाकिस्तान ने “पहले इस्तेमाल नहीं” (नो-फर्स्ट-यूज) की नीति नहीं अपनाई है. इसके बजाय, वह छोटे, युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले “सामरिक” परमाणु हथियारों पर ध्यान देता है ताकि भारत की बड़ी और बेहतर पारंपरिक सेना (conventional force) का मुकाबला कर सके.
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