दो घंटे के इलाज के लिए भी कर सकते हैं क्लेम, इंश्योरेंस कंपनियों ने बदला नियम; तकनीक ने बदली तस्वीर
अब हेल्थ इंश्योरेंस में बड़ा बदलाव हुआ है. पहले जहां रातभर की भर्ती जरूरी थी, अब केवल दो घंटे के इलाज पर भी क्लेम किया जा सकता है. नई तकनीकों जैसे लेप्रोस्कोपी, लेजर सर्जरी और एडवांस इमेजिंग ने इलाज को कम समय में संभव बनाया है. इसी को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियों ने भी अपने नियमों में लचीलापन लाया है.

Health Insurance Claim: पिछले कुछ सालों में मेडिकल साइंस में बड़ी प्रगति देखने को मिली है. अब कई सर्जरी और इलाज बहुत कम समय में पूरे किए जा रहे हैं. पहले जहां मरीजों को रात भर अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था, अब लेप्रोस्कोपी, लेजर सर्जरी और एडवांस इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीक के जरिए इलाज कुछ ही घंटों में हो जाता है. इसी के साथ अब हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां भी इन बदलावों के अनुसार अपने नियमों को लचीला बना रही हैं. अब अगर आपने दो घंटे भी किसी बीमारी के इलाज के लिए बिताए हैं तो आप इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए योग्य हैं.
कुछ घंटों में हो जाता है इलाज पूरा
आजकल मोतियाबिंद की सर्जरी, कीमोथेरेपी, एंजियोग्राफी या इमरजेंसी ऑब्जर्वेशन जैसी प्रक्रियाएं कुछ ही घंटों में पूरी की जा सकती हैं. पहले इनमें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था, लेकिन अब ये सभी इलाज सीमित समय में संभव हैं. इससे मरीजों को ना केवल जल्दी छुट्टी मिलती है, बल्कि खर्च भी कम होता है.
हेल्थ इंश्योरेंस में आ रहा बदलाव
Policybazaar.com में हेल्थ इंश्योरेंस विभाग के प्रमुख सिद्धार्थ सिंघल के अनुसार, अब बीमा कंपनियां छोटे समय के इलाज को भी कवर करने लगी हैं. पहले कम समय की अस्पताल भर्ती पॉलिसी के दायरे में नहीं आती थी, लेकिन अब प्रमुख बीमा कंपनियों ने अपने प्लान्स में लचीलापन लाना शुरू कर दिया है.
मिनिमली इनवेसिव तकनीकों ने बदली तस्वीर
मिनिमली इनवेसिव यानी कम चीड़ फाड़ वाली तकनीकों ने इलाज के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है. लेप्रोस्कोपी, लेजर सर्जरी और एडवांस डायग्नोस्टिक्स से ना केवल इलाज जल्दी होता है, बल्कि मरीजों की रिकवरी भी पहले से तेज हो गई है. इससे इंश्योरेंस इंडस्ट्री को भी अपने नियम अपडेट करने के लिए प्रेरित किया है.
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बीमा धारकों को होगा सीधा फायदा
इन बदलावों का सीधा फायदा आम बीमा धारकों को मिल रहा है. अब उन्हें छोटे इलाजों पर भी क्लेम मिलने लगा है जो पहले मुमकिन नहीं था. इससे अधिक लोग बीमा के दायरे में आएंगे और मेडिकल खर्चों से राहत मिलेगी.
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