सिर्फ ऑनलाइन टिकट वालों को ही दुर्घटना बीमा क्यों? यात्रियों से भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट का रेलवे से सवाल

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन रेलवे से पूछा है कि आखिर दुर्घटना बीमा सिर्फ ऑनलाइन टिकट लेने वालों को ही क्यों मिलता है, जबकि काउंटर से टिकट खरीदने वाले इस सुविधा से वंचित क्यों रहते हैं. यह सवाल उस समय उठा जब सुप्रीम कोर्ट रेलवे से जुड़े एक दुर्घटना मुआवजा मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान अदालत के सामने यह तथ्य रखा गया कि मौजूदा व्यवस्था में दुर्घटना बीमा केवल ऑनलाइन टिकट खरीदने वाले यात्रियों के लिए उपलब्ध है.

रेलवे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भारतीय रेलवे में सफर करने वाले कई यात्रियों को यह बात हमेशा खटकती है कि दुर्घटना बीमा का लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलता है जो टिकट ऑनलाइन बुक करते हैं. दूसरी तरफ, काउंटर से टिकट खरीदने वाले यात्री, जो उसी ट्रेन में और उसी जोखिम के साथ सफर करते हैं, इस सुविधा से पूरी तरह बाहर रह जाते हैं. ठीक इसी भेदभाव पर अब सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन रेलवे से सवाल पूछा है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने पूछा कि आखिर दुर्घटना बीमा सिर्फ ऑनलाइन टिकट लेने वालों को ही क्यों मिलता है, जबकि काउंटर से टिकट खरीदने वाले इस सुविधा से वंचित क्यों रहते हैं.

मामला कैसे उठा?

यह सवाल उस समय उठा जब सुप्रीम कोर्ट रेलवे से जुड़े एक दुर्घटना मुआवजा मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान अदालत के सामने यह तथ्य रखा गया कि मौजूदा व्यवस्था में दुर्घटना बीमा केवल ऑनलाइन टिकट खरीदने वाले यात्रियों के लिए उपलब्ध है. जैसे ही जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने यह सुना, उन्होंने तुरंत पूछा कि रेलवे दो तरह की व्यवस्था कैसे चला सकता है, जबकि दुर्घटना का खतरा तो हर यात्री के लिए समान है. रेलवे की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि वर्तमान में यही व्यवस्था लागू है.

मामले की जड़ क्या है?

इस केस में अमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट शिखिल सूरी ने अदालत को बताया कि रेलवे सुरक्षा से जुड़े कई गंभीर पहलू लंबे समय से अनदेखे किए जा रहे हैं. उन्होंने चार प्रमुख रिपोर्टों काकोडकर कमेटी रिपोर्ट (2012), 16वीं लोकसभा की रिपोर्ट, CAG की रिपोर्ट (2016) और रेलवे स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन सभी दस्तावेजों में रेलवे सुरक्षा की बड़ी खामियों को उजागर किया गया है.

कोर्ट ने सुरक्षा पर सवाल उठाए

बेंच ने यह साफ किया कि यात्रा सुरक्षा का आधार टिकट कैसे खरीदा गया, यह नहीं हो सकता. सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे प्रणाली पर ही है. इसलिए कोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया कि वह अपनी सुरक्षा नीति में दो अहम बिंदुओं पर तुरंत फोकस करे.
पहला—रेलवे ट्रैक्स की सुरक्षा, क्योंकि ज्यादातर हादसे खराब ट्रैक, मैटेनेंस की कमी और समय पर मरम्मत न होने की वजह से होते हैं. दूसरा—रेलवे क्रॉसिंग्स की सुरक्षा, जो देशभर में दुर्घटनाओं के बड़े कारणों में से एक मानी जाती है.

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