MobiKwik भारतीय है या विदेशी? 11 दिसंबर को खुल रहा IPO, अभी से धमाल मचा रहा GMP
डिजिटल भुगतान के युग में MobiKwik अपनी नई पारी खेलने को तैयार है. कंपनी ने 572 करोड़ रुपये के आईपीओ लॉन्च की घोषणा की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कंपनी भारतीय है या विदेशी?
डिजिटलाइजेशन के इस दौर में मोबाइल वॉलेट और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हमारे रोजमर्रा के जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. इस फिनटेक सेक्टर में कारोबार करने वाली कंपनी MobiKwik अपना इनिशियल पब्लिक ऑफर (IOP) लेकर आ रही है. MobiKwik के IPO की मार्केट में चर्चा है. लेकिन इस बीच लोगों के मन में एक सवाल और घूम रहा है कि MobiKwik भारतीय कंपनी है या फिर विदेशी?
गुरुग्राम में हुई थी शुरुआत
MobiKwik एक पूरी तरह से भारतीय कंपनी है जिसकी शुरुआत 2009 में गुरुग्राम से हुई थी. इस कंपनी की नींव IIT दिल्ली के पूर्व छात्र बिपिन प्रीत सिंह और उनकी पत्नी उपासना टाकू ने रखी थी. कंपनी ने अपने सफर की शुरुआत मोबाइल रिचार्ज प्लेटफॉर्म के तौर पर की थी लेकिन समय के साथ यह भारत की अग्रणी फिनटेक कंपनियों में शामिल हो गई.
आज MobiKwik के 107 मिलियन यूजर्स और 30 लाख मर्चेंट्स हैं. कंपनी का मुख्य उद्देश्य डिजिटल भुगतान और वॉलेट सेवाओं को हर भारतीय की पहुंच में लाना है. शुरुआत में कंपनी के पास फंड की कमी थी लेकिन बिपिन प्रीत सिंह अपना साइट लॉन्च करने के लिए अडिग थे. ऐसे में उन्होंने अपने निजी बचत से 2,25,000 रुपये का निवेश कर MobiKwik की वेबसाइट लॉन्च की. इसके बाद उन्होंने एंड्रॉइड ऐप लॉन्च किया, जो कंपनी की ग्रोथ का टर्निंग प्वाइंट बना.
कंपनी के IPO की डिटेल और GMP
MobiKwik ने अपने IPO का आकार घटाकर 572 करोड़ रुपये कर दिया है जो 2021 के 1,900 करोड़ रुपये के शुरुआती लक्ष्य से काफी कम है. IPO का पूरा हिस्सा फ्रेश इश्यू होगा जिसमें ऑफर-फॉर-सेल की कोई भूमिका नहीं होगी. 265 रुपये-279 रुपये प्रति शेयर के प्राइस बैंड पर यह IPO 11 दिसंबर को खुलेगा और 13 दिसंबर को बंद होगा. ग्रे मार्केट में MobiKwik के शेयर धमाल मचा रहे हैं. MobiKwik का GMP बुधवार को 136 रुपये पर ट्रेड कर रहा है, जो इसके प्राइस बैंड से लगभग 49 फीसदी अधिक है.
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MobiKwik कैसे बदल रहा भारत का बाजार
भारत जैसे देश जो अभी भी डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है में MobiKwik जैसे डोमेस्टिक प्लेटफॉर्म बेहद अहम हो जाते हैं. यह कंपनी न केवल डिजिटल भुगतान को आसान बना रही है बल्कि यह दर्शाती है कि एक भारतीय स्टार्टअप कैसे वैश्विक स्तर पर विदेशी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकता है.
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