₹1288 करोड़ वाले IPO पर SBI सिक्योरिटीज ने दी ‘AVOID’ रेटिंग, लेकिन GMP में दिख रही तेजी; जानें रिस्क फैक्टर्स
इस कंपनी का 1288.89 करोड़ रुपये का IPO 8 दिसंबर को खुलने जा रहा है, लेकिन SBI सिक्योरिटीज ने इसे वैल्यूएशन महंगा बताते हुए ‘AVOID’ रेटिंग दी है. कंपनी मजबूत ब्रांड और बड़ा ओम्निचैनल नेटवर्क रखती है, पर भारी मैट्रेस निर्भरता और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव बड़े रिस्क हैं.
Wakefit Innovations IPO Brokerage: Wakefit Innovations Ltd का 1288.89 करोड़ रुपये का IPO 8 दिसंबर को ओपन होने जा रहा है. भारत के तेजी से उभरते D2C होम और फर्निशिंग ब्रांड्स में से एक होने के कारण इस IPO को लेकर बाजार में उत्सुकता बनी हुई है. हालांकि, मजबूत ब्रांड पहचान और तेजी से बढ़ते ओम्निचैनल नेटवर्क के बावजूद SBI सिक्योरिटीज ने इस इश्यू पर ‘AVOID’ की रेटिंग जारी की है. यानी, ब्रोकरेज के अनुसार मौजूदा प्राइस बैंड पर यह इश्यू वैल्यूएशन के हिसाब से आकर्षक नहीं दिखता. इसके साथ ही, लिस्टिंग से पहले Wakefit IPO का GMP भी बाजार में चर्चा का विषय बना हुआ है. आइए पूरी रिपोर्ट विस्तार से समझते हैं.
वित्तीय प्रदर्शन और वैल्यूएशन
पिछले तीन वर्षों में Wakefit ने 25 फीसदी का रेवेन्यू CAGR दर्ज किया है. FY24 में कंपनी EBITDA पॉजिटिव हुई और FY26 की पहली छमाही में PAT पॉजिटिव हो गई. हालांकि, SBI सिक्योरिटीज का कहना है कि मौजूदा वैल्यूएशन इसके वित्तीय प्रदर्शन की तुलना में ज्यादा खिंचा हुआ प्रतीत होता है. ऊपरी प्राइस बैंड 195 रुपये पर EV/Sales 4.7x (पोस्ट-इश्यू) है. लिस्टेड कंपनियों की तुलना में यह वैल्यूएशन प्रीमियम काफी ऊंचा है. इसी वजह से ब्रोकरेज ने इसे AVOID रेटिंग दी है और निवेशकों को लिस्टिंग के बाद प्रदर्शन ट्रैक करने की सलाह दी है.
निवेशकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
SBI सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कुछ प्रमुख रिस्क का भी उल्लेख किया है, जिनका Wakefit के बिजनेस पर प्रभाव पड़ सकता है.
- Mattress कैटेगरी पर काफी ज्यादा निर्भरता
कंपनी की कुल आय का लगभग 61 फीसदी हिस्सा मैट्रेस से आता है (1HFY26 में 60.7 फीसदी और FY25 में 61.4 फीसदी). यानी, Wakefit का बिजनेस एक ही प्रोडक्ट कैटेगरी पर भारी केंद्रित है. मैट्रेस मार्केट कई चुनौतियों का सामना करता है. इसमें कंपटीशन, कीमतों पर दबाव, ग्राहकों की पसंद में लगातार बदलाव, डिलीवरी और सप्लाई चेन रिस्क. किसी भी तरह की गड़बड़ी या बाजार में बदलाव कंपनी की आय और मार्जिन पर सीधा असर डाल सकते हैं. - कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का खतरा
Wakefit जिन कच्चे माल का इस्तेमाल करती है, उनमें केमिकल्स, नेचुरल वुड, प्रोसेस्ड वुड, फैब्रिक्स, मेटल प्रोडक्ट्स, ग्लू शामिल हैं. कंपनी अपने सप्लायर्स के साथ लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट नहीं करती, जिससे कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का रिस्क बढ़ जाता है. कीमतों में अचानक बढ़ोतरी मार्जिन पर दबाव डाल सकती है. इसके अलावा कंपनी कुछ कच्चे माल USA, China, Singapore जैसे देशों से आयात करती है. इससे कंपनी ग्लोबल सप्लाई चेन रिस्क, मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव, जियोपॉलिटिकल टेंशन जैसी चुनौतियों का सामना भी कर सकती है.
Wakefit IPO GMP?
मार्केट में Wakefit IPO का GMP लगभग 18.46 फीसदी के आसपास ट्रेड हो रहा है. इसका मतलब प्रति शेयर अनुमानित प्रीमियम 36 रुपये पर पहुंच गया है. इसके आधार पर लिस्टिंग की अनुमानित प्राइस 231 रुपये हो सकती है. अगर GMP स्थिर रहता है, तो लिस्टिंग गेन की संभावना बनी रह सकती है. हालांकि, यह सिर्फ अनौपचारिक बाजार संकेत है और वास्तविक लिस्टिंग इससे अलग हो सकती है.
IPO की बेसिक जानकारियां क्या हैं?
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| कब खुलेगा इश्यू | 8 दिसंबर 2025 |
| कब बंद होगा | 10 दिसंबर 2025 |
| प्राइस बैंड | ₹185 – ₹195 |
| इश्यू साइज | ₹1288.89 करोड़ |
| फ्रेश इश्यू | ₹377.18 करोड़ |
| ऑफर फॉर सेल (OFS) | ₹911.71 करोड़ |
| लिस्टिंग | BSE, NSE |
| लॉट | 76 शेयर |
Wakefit Innovations का कारोबार
Wakefit Innovations Ltd भारत का एक लीडिंग D2C होम-फर्निशिंग ब्रांड है, जो मैट्रेस, फर्नीचर और फर्निशिंग तीन प्रमुख कैटेगरी में प्रोडक्ट बेचता है. कंपनी ने अपनी यात्रा एक ‘स्लीप सॉल्यूशन’ ब्रांड के रूप में शुरू की थी, लेकिन आज यह होम-इंटीरियर और लाइफस्टाइल कैटेगरी में एक व्यापक प्लेटफॉर्म बन चुकी है. सितंबर 2025 तक कंपनी का नेटवर्क 1 Mother Warehouse, 7 INHPs, 18 PODs, 125 COCO स्टोर, 1,504+ MBO स्टोर तक फैल चुका है. इसकी बदौलत Wakefit देश के 700 से अधिक जिलों में ग्राहक तक पहुंच रखती है.
बिजनेस मॉडल के बड़े फायदे
Wakefit का ओम्निचैनल मॉडल कंपनी को डिजिटल और ऑफलाइन दोनों चैनलों से मजबूत ग्रोथ देता है. इसकी वेबसाइट के ऑर्डर्स का AOV ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से लगभग 79 फीसदी ज्यादा है, जबकि COCO स्टोर ब्रांड की प्रीमियम पोजिशनिंग को मजबूत करते हैं. साथ ही MBO मॉडल के जरिए कंपनी टियर-2 और टियर-3 शहरों में अपनी मौजूदगी तेजी से बढ़ा रही है. कंपनी का सप्लाई चेन स्ट्रक्चर भी काफी ऑर्गनाइज्ड है, जिससे डिलीवरी टाइम कम होता है, लॉजिस्टिक्स कॉस्ट घटती है और फर्नीचर इंस्टॉलेशन सेवाएं अधिक सुचारु तरीके से मिलती हैं.
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डिस्क्लेमर: इस खबर में GMP से संबंधित जानकारी दी गई है. मनी9लाइव का GMP तय करने से कोई संबंध नहीं है. मनी9लाइव निवेशकों को यह भी सचेत करता है कि केवल जीएमपी के आधार पर निवेश पर फैसला नहीं करें. निवेश से पहले कंपनी के फंडामेंटल जरूर देखें और एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.
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