सितंबर में MF इक्विटी इनफ्लो में सुस्ती, थीमैटिक फंड्स ने किया निराश; गोल्ड ETF में बढ़ी निवेशकों की दिलचस्पी
सितंबर 2025 में भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में इक्विटी इनफ्लो घटकर 30,405 करोड़ रुपये रह गया, जो पिछले महीने से कम है. हालांकि, कुल एयूएम बढ़कर 75.61 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. थीमैटिक फंड्स में सुस्ती और लार्ज कैप फंड्स की हिस्सेदारी घटने से बाजार में सतर्कता का माहौल बना, जबकि निवेशक गोल्ड ETFs और ETFs की ओर झुके.
AMFI Mutual Fund Data Sept 2025: भारत के म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने सितंबर 2025 में इक्विटी इनफ्लो में सुस्ती दर्ज की है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया यानी AMFI की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, नेट इक्विटी इनफ्लो सितंबर में घटकर 30,421 करोड़ रुपये रह गया, जो अगस्त के 33,430 करोड़ रुपये से कम है. हालांकि, इंडस्ट्री का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर 75.61 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले महीने के 75.18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. यह इशारा है कि निवेशकों की दीर्घकालिक रुचि बनी हुई है, भले ही निवेश की गति थोड़ी धीमी पड़ी हो.
12 महीने के औसत से नीचे रहा इक्विटी इनफ्लो
सैमको म्यूचुअल फंड के सीईओ विराज गांधी ने कहा कि सितंबर 2025 में म्यूचुअल फंड्स सेक्टर का इक्विटी इनफ्लो पिछले 12 महीनों के औसत से नीचे रहा. उन्होंने बताया, “सितंबर 2025 में एवरेज इक्विटी इनफ्लो 30,421 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले 12 महीनों (सितंबर 2024 से सितंबर 2025) के एवरेज 32,377 करोड़ रुपये से कम है. यह गिरावट निवेशकों की सतर्कता को दर्शाती है, खासकर तब जब बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है. थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स में कमी ने इस गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई है.”
थीमैटिक फंड्स ने भी किया निराश
गांधी ने आगे कहा कि पिछले एक साल और तीन साल की अवधि में थीमैटिक फंड्स ने म्यूचुअल फंड सेक्टर के कुल एयूएम में सबसे अधिक योगदान दिया था जो लगभग 27 फीसदी हिस्सा है. मगर इस बार इस कैटेगरी में नए फंड ऑफर (NFOs) की कमी और निवेशकों की मुनाफावसूली की नेचर ने इस प्रवाह को थाम दिया. सितंबर 2025 में इस कैटेगरी में इनफ्लो मात्र 1,221 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले 12 महीनों के औसत 6,345 करोड़ रुपये से काफी कम है.
सेगमेंटवार प्रदर्शन: लार्ज कैप में गिरावट, मिड और स्मॉल कैप ने संभाली रफ्तार
AMFI के आंकड़े बताते हैं कि लार्ज कैप फंड्स में इनफ्लो 2,319 करोड़ रुपये रहा जो अगस्त महीने में 2,835 करोड़ रुपये था. वहीं, मिड कैप फंड्स में 5,085 करोड़ रुपये रहा जो अगस्त महीने में 5,331 करोड़ रुपये था. इससे इतर, स्मॉल कैप फंड्स कैटेगरी में निवेश 4,363 करोड़ रुपये रहा जो पिछले महीने (अगस्त) 4,993 करोड़ रुपये था. विराज गांधी के मुताबिक, पिछले तीन सालों में लार्ज कैप फंड्स का बाजार हिस्सा घटकर 11.7 फीसदी रह गया है, जो कोविड-काल के बाद के हाई स्तर 17 फीसदी से नीचे है. वहीं, मिडकैप, स्मॉलकैप, मल्टीकैप और थीमैटिक फंड्स ने इस गिरावट का फायदा उठाया और निवेशकों की प्राथमिकता बने.
हाइब्रिड और डेट फंड्स पर भी असर
हाइब्रिड फंड्स में इनफ्लो 9,397 करोड़ रुपये रहा, जो अगस्त के 15,294 करोड़ रुपये से कम है. वहीं NFOs के जरिए केवल 1,959 करोड़ रुपये जुटाए गए, जबकि अगस्त में यह 2,904 करोड़ रुपये था. डेट फंड्स की बात करें तो इस कैटेगरी में निवेशकों ने भारी रिडेम्प्शन किया. लिक्विड फंड्स से 66,042 करोड़ रुपये की निकासी हुई. पिछले महीने यानी अगस्त में यह आंकड़ा 13,350 करोड़ रुपये पर था. कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स से 1,444 करोड़ रुपये का आउटफ्लो रहा.
ईटीएफ और गोल्ड ईटीएफ में बढ़ती दिलचस्पी
वोलाटाइल बाजार के बीच निवेशकों ने कम्पेरिटिवली सुरक्षित निवेश एलिमेंट्स की ओर रुख किया. एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में इनफ्लो बढ़कर 8,151 करोड़ रुपये रहा जो अगस्त में 7,244 करोड़ रुपये था, जबकि गोल्ड ETFs ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 8,363 करोड़ रुपये की इनफ्लो दर्ज की जो पिछले महीने के 2,190 करोड़ रुपये से लगभग चार गुना अधिक है.
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