SEBI ने ‘स्किन इन द गेम’ नियमों में दी ढील, AMC कर्मचारियों को मिलेगी राहत, जानें क्या है मामला?

भारतीय शेयर बाजार के नियामक SEBI ने 'स्किन इन द गेम' नियमों में ढील देने का ऐलान किया है. सेबी के इस कदम से खासतौर पर AMC यानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के कर्मचारियों को राहत मिलेगी. सेबी की तरफ से दी गई छूट अगले महीने 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी.

सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया Image Credit: GettyImages

भारतीय शेयर बाजार के नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने शुक्रवार को Asset Management Companies के कर्मचारियों को बड़ी राहत का ऐलान किया है. SEBI ने AMC कर्मचारियों को ‘Skin in The Game’ नियमों में छूट देने का ऐलान किया है. ये छूट अगले महीने 1 अप्रैल से प्रभावी होगी.

क्या है स्किन इन द गेम नियम?

स्किन इन द गेम नियम असल में किसी भी AMC के कर्मचारियों के लिए हैं. खासतौर पर ये नियम Key Management से जुड़े CEO, CIO और फंड मैनेजर के लिए हैं. इन नियमों के तहत AMC के प्रमुख पदों पर नियुक्त अधिकारियों और फंड मैनेजर्स को अपने सालाना वेतन का 20 फीसदी पैसा उन म्यूचुअल फंड स्कीम्स में लगाना होता है, जिन्हें वे चला रहे हैं. इस निवेश का लॉक-इन पीरियड तीन साल का होता है. इस नियम का मकसद निवेशकों के हितों की रक्षा करना है.

अब क्या छूट मिलेगी?

सेबी ने अब स्किन इन द गेम नियम के तहत फंड्स में निवेश की अनिवार्य सीमा में राहत दी है. अब AMC कर्मचारियों को उनकी सैलरी के आधार पर फंड्स में निवेश करना होगा. नए नियमों के तहत 25 लाख से कम सालाना सैलरी पर निवेश करना अनिवार्य नहीं होगा. 25 लाख से 50 लाख तक सालाना सैलरी पर न्यूनतम 10% या ESOPs सहित 12.5% का अनिवार्य निवेश करना होगा. इसी तरह 50 लाख से 1 करोड़ तक की सैलरी पर 14% या ESOPs सहित 17.5% का निवेश अनिवार्य होगा. वहीं, 1 करोड़ से ज्यादा सैलरी का 18% या ESOPs सहित 22.5% निवेश अनिवार्य होगा.

लिक्विड फंड्स के लिए विशेष प्रावधान

सेबी के नियमों के मुताबिक लिक्विड फंड्स का प्रबंधन करने वाले कर्मचारियों के लिए उनके अनिवार्य निवेश के 75% हिस्से को जोखिम वाली स्कीम्स में लगाना होगा, जबकि शेष रकम को लिक्विड फंड्स में निवेश कर सकते हैं.

लॉक-इन अवधि में बदलाव

सेबी ने लॉक इन पीरियाड को लेकर भी राहत दी है. खासतौर पर उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी, तो सेवानिवृत्ति हो गए हैं. उनके निवेश को सेवानिवृत्त होते ही लॉक-इन अवधि की शर्त से मुक्त कर दिया जाएगा. हालांकि, क्लोज-एंडेड स्कीम्स में किया गया निवेश पहले से तय अवधि तक लॉक इन में रहेगा. इसके अलावा इस्तीफा देने जैसे मामलों में निवेश की लॉक-इन अवधि कर्मचारी के अंतिम कार्य दिवस से एक वर्ष तक कम की जाएगी.

पारदर्शिता और अनुपालन बढ़ाने पर जोर

AMC को प्रत्येक तिमाही के अंत के 15 दिनों के भीतर स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर कर्मचारियों की तरफ से म्यूचुअल फंड यूनिट्स में किए गए कुल निवेश का खुलासा करना होगा. इन संशोधनों का मकसद AMC कर्मचारियों और म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के हितों को सुरक्षित करना और उद्योग में अधिक पारदर्शिता और विश्वास स्थापित करना है.

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