SEBI ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए खत्म किया ट्रांजैक्शन चार्ज, जानें इस फैसले से किसे होगा फायदा
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलने वाले ट्रांजैक्शन चार्ज को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है. पहले AMCs (एसेट मैनेजमेंट कंपनियां) निवेशकों के 10,000 रुपये से अधिक के निवेश पर डिस्ट्रीब्यूटर्स को यह चार्ज भुगतान करती थीं.
SEBI and Mutual Fund Distributers: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलने वाले ट्रांजैक्शन चार्ज को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है. इससे पहले, सेबी ने ऐसा नियम बनाया था जिसके तहत जब भी कोई निवेशक 10,000 रुपये से ज्यादा की राशि से म्यूचुअल फंड में निवेश करता था, तो उस निवेश पर AMCs (एसेट मैनेजमेंट कंपनियां) डिस्ट्रीब्यूटर्स को ट्रांजैक्शन चार्ज के रूप में भुगतान करती थीं. अब इस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर दी गई है.
क्या था पुराना नियम?
पहले AMCs को यह अधिकार था कि वे डिस्ट्रीब्यूटर्स को निवेश पर एक निश्चित शुल्क या कमीशन दें, जो न्यूनतम 10,000 रुपये के निवेश पर लागू होता था. इसका मकसद डिस्ट्रीब्यूटर्स को निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स के बारे में समझाने और निवेश दिलाने के लिए प्रोत्साहित करना था. यह शुल्क AMCs की ओर से दिया जाता था ताकि डिस्ट्रीब्यूटर्स के काम को सही मान्यता मिल सके.
क्या बदला अब?
SEBI ने मई और जून 2023 में सार्वजनिक और इस इंडस्ट्री से सुझाव मांगे और सभी की राय जानने के बाद यह फैसला लिया कि अब AMCs की ओर से डिस्ट्रीब्यूटर्स को ट्रांजैक्शन चार्ज देने की आवश्यकता नहीं है. SEBI ने साफ कहा है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को उनके काम का उचित भुगतान जरूर मिलेगा, लेकिन ट्रांजैक्शन चार्ज जैसी अतिरिक्त फीस को खत्म कर दिया गया है. इस बदलाव के साथ SEBI ने अपनी मास्टर सर्कुलर (जिसे 27 जून 2024 को जारी किया गया था) से संबंधित नियमों को हटा दिया है, और यह नया नियम तुरंत लागू हो गया है.
इस फैसले से क्या फायदा होगा?
- सरल और ट्रांसपेरेंसी सिस्टम: अब म्यूचुअल फंड की भुगतान प्रक्रिया और ज्यादा सरल हो जाएगी. जहां पहले ट्रांजैक्शन चार्ज की गणना और भुगतान एक जटिल प्रक्रिया थी, अब यह खत्म हो जाने से सिस्टम साफ-सुथरा और पारदर्शी होगा.
- डिस्ट्रीब्यूटर्स का सही भुगतान: हालांकि ट्रांजैक्शन चार्ज खत्म होगा, पर डिस्ट्रीब्यूटर्स को उनके काम के अनुसार उचित कमीशन और फीस मिलेगी, जिससे उनकी मेहनत को सही सम्मान मिलेगा.
- निवेशकों को फायदा: निवेशकों को अब अनावश्यक चार्ज नहीं देना होगा, जिससे उनकी निवेश लागत कम होगी और म्यूचुअल फंड में निवेश और आकर्षक होगा.
- इंडस्ट्री में विश्वास बढ़ेगा: पारदर्शिता बढ़ने से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की साख मजबूत होगी, जो लंबे समय में पूरे वित्तीय क्षेत्र के लिए फायदेमंद रहेगा.
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