क्यों जरूरी है आधार कार्ड, कैसे हुई इसकी शुरूआत; जानिए इस पहचान पत्र की पूरी जानकारी
क्या आधार कार्ड सिर्फ एक सरकारी पहचान है या इससे कहीं ज्यादा? हर सरकारी योजना में इसकी अनिवार्यता ने इसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना दिया है. लेकिन क्या आप इसकी पूरी कहानी और असली ताकत जानते हैं?

एक दौर था जब पहचान पत्रों की भरमार थी, वोटर ID, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस. लेकिन समय बदला और एक ऐसी पहचान सामने आई जो न सिर्फ सरकारी योजनाओं से जोड़ती है बल्कि डिजिटल भारत की नींव भी रखती है. आज आधार सिर्फ एक पहचान पत्र नहीं, बल्कि एक ऐसा जरिया बन गया है जिससे सरकार और नागरिकों के बीच भरोसे की एक डिजिटल पुल बन चुकी है.
आधार का इतिहास: कैसे हुई शुरुआत?
आधार की कहानी साल 2006 से शुरू होती है, जब संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गरीब परिवारों के लिए एक विशेष पहचान पत्र (UID) योजना को मंजूरी दी. 2007 में एक मंत्रियों के समूह ने नागरिकों का डेटा बेस तैयार करने की आवश्यकता को मान्यता दी. इसके बाद 2009 में ‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’ (UIDAI) की स्थापना हुई. हालांकि शुरुआती वर्षों में इसे आलोचना और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन 2014 में नई सरकार के आने के बाद आधार को न केवल व्यापक स्तर पर अपनाया गया, बल्कि इसके दायरे को भी बहुत अधिक बढ़ा दिया गया.
क्या है आधार?
सरल शब्दों में, आधार एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या है, जो भारत में रह रहे प्रत्येक नागरिक को उनके बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय विवरण के आधार पर दी जाती है. इसे UIDAI द्वारा जारी किया जाता है. 2016 में संसद ने आधार अधिनियम पारित किया, जिसके तहत UIDAI को वैधानिक दर्जा मिला और आधार को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान पत्र बना दिया गया.
आधार की विशेषताएं
- एक व्यक्ति, एक पहचान
आधार हर व्यक्ति को एक यूनिक नंबर देता है, जो उनके फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन और फोटो से जुड़ा होता है. इससे डुप्लीकेट या फर्जी पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है. - पोर्टेबिलिटी यानी देशभर में मान्यता
चाहे आप उत्तर भारत में हो या दक्षिण भारत में, आधार की वैधता पूरे देश में है. इसका डेटाबेस केंद्रीय सर्वर से जुड़ा होता है. - डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT)
सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है. - ऑनलाइन प्रमाणीकरण (Authentication)
UIDAI की सेवाओं के जरिए कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन अपनी पहचान प्रमाणित कर सकता है. - पारदर्शिता और जवाबदेही
आधार की वजह से सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता आई है और योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंच रहा है. - सेल्फ-सर्विस सुविधा
आधार धारक मोबाइल या कियोस्क से अपने डेटा को देख और अपडेट कर सकते हैं, साथ ही सेवाओं के लिए आवेदन भी कर सकते हैं.
आधार कार्ड में क्या-क्या होता है?
- जनसांख्यिकीय जानकारी — नाम, जन्मतिथि, पता, लिंग, रजिस्ट्रेशन संख्या, बारकोड
- बायोमेट्रिक जानकारी — फोटो, फिंगरप्रिंट (10 उंगलियां), दोनों आंखों का आईरिस स्कैन
आधार का उपयोग कहां-कहां होता है?
- बैंक खाता खोलने में
- पासपोर्ट के लिए आवेदन में
- LPG सब्सिडी लेने में
- डिजिलॉकर सेवाओं के लिए
- मतदाता पहचान पत्र से लिंक करने में
- डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने में
- मोबाइल नंबर या सिम कार्ड खरीदने में
- ई-केवाईसी और फाइनेंस से जुड़ी सेवाओं में
- जनधन खाता खुलवाने में
- सरकारी छात्रवृत्ति लेने में
e-Aadhaar और mAadhaar ऐप
UIDAI ने डिजिटल इंडिया पहल के तहत आधार को तकनीकी रूप से भी मजबूत बनाया है. e-Aadhaar एक पासवर्ड-संरक्षित PDF होता है जिसे UIDAI की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है. वहीं, mAadhaar ऐप के जरिए आप मोबाइल पर तीन प्रोफाइल तक जोड़ सकते हैं और OTP, बायोमेट्रिक लॉक/अनलॉक जैसी सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं.
क्या सभी भारतीय आधार के लिए पात्र हैं?
भारत में कोई भी निवासी यानी जिसने पिछले 12 महीनों में 182 दिन से अधिक भारत में निवास किया हो वह आधार के लिए पात्र है. इसके अलावा, NRI, OCI कार्डधारक, नेपाल और भूटान के निवासी और LTV (Long Term Visa) धारक भी कुछ शर्तों के तहत आधार ले सकते हैं.
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आधार की चुनौतियां
हालांकि आधार ने सरकारी सेवाओं को सरल और पारदर्शी बनाया है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ चिंताएं भी सामने आई हैं. डेटा प्राइवेसी, बायोमेट्रिक फेलियर और सर्वर डाउन जैसी समस्याएं कई बार खबरों में रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में आधार को संवैधानिक रूप से वैध तो ठहराया लेकिन इसके उपयोग को सीमित करते हुए कहा कि मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट से आधार लिंक कराना अनिवार्य नहीं है.
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