लॉकर में लगी आग या हो गया चोरी तो क्या वापस मिलेगा रखा पैसा और जूलरी, साथ में जान लें 7 साल वाला नियम
बैंक लॉकर का उपयोग आम बात है. कई लोग चोरी या डकैती जैसे खतरों से सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इससे जुड़े नियमों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इसके कुछ नियम ऐसे हैं, जिनकी जानकारी न होने पर लॉकर होल्डर को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके अलावा बैंक आपके लॉकर को बिना आपकी इजाजत के भी खोल सकता है.
Bank Locker Rules: कई लोग अपने गहने और जरूरी दस्तावेजों को सुरक्षा के लिहाज से बैंक लॉकर में रखते हैं. आम लोगों के लिए लॉकर एक सुरक्षित जगह होती है, जहां वे अपने कीमती सामान को रख सकते हैं ताकि चोरी या डकैती जैसे खतरों से बचा जा सके. दशकों से बैंक लॉकर को सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक माना जाता रहा है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि आप लंबे समय तक अपने लॉकर का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो बैंक उसे तोड़ भी सकता है, वह भी बिना आपकी अनुमति के? इसके अलावा, यदि लॉकर में चोरी हो जाए या आग लग जाए, तो हो सकता है कि आपको बैंक से उतना मुआवज न मिले जितनी आपकी वास्तविक नुकसान हुई हो. आइए, लॉकर से जुड़े नियमों को विस्तार से समझते हैं.
कैसे मिलता है लॉकर
बैंक लॉकर लेने के लिए आपको कुछ कागजी कार्यवाही करनी होती है. जैसे कि पैन, आधार कार्ड और आपकी फोटो और नॉमिनी का डिटेल बैंक को देना होगा. इसके लिए जरूरी नहीं है कि उस बैंक में आपका खाता हो लेकिन बहुत से बैंक आपको लॉकर के बदले सेविंग खाता खोलने के लिए कह सकते हैं. एक बार आपको लॉकर की सुविधा मिल जाती है तो इसके बाद इसके एक्सेस से लेकर इसके उपयोग करने की जानकारी को बैंक रिकार्ड में रखता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक आपको लॉकर के लिए स्टाम्प पेपर पर एक एग्रीमेंट साइन करना होता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि स्टाम्प पेपर का खर्च कौन उठाएगा. यह एग्रीमेंट कॉपी किसी भी विवाद में जरूरी होती है इसलिए इसे सुरक्षित रखें.
आपको कितना चार्ज देना होगा
बैंक में लॉकर लेने के लिए आपको किराया देना होता है. यह बैंक पर निर्भर करता है कि वह कितना चार्ज लेता है लेकिन यह आमतौर पर 1000 से 1500 रुपया होता है. इसके अलावा बैंक आपको एक फिक्स्ड डिपाजिट जमा करने को भी कह सकता है जिसमें तीन साल के किराये के बराबर प्लस लॉकर खाता खोलने के लिए लगने वाले चार्ज के बराबर पैसा जमा करना होगा. अगर आप अपने लॉकर की चाबी खो देते हैं तो इसे खोलने के लिए बैंक को ब्रेक ओपन चार्ज देना होता है. इसके अलावा लॉकर खोलते समय आपको वहां उपस्थित रहना अनिवार्य है.
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बैंक कब आपका लॉकर खोल सकता है
आपके बैंक लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी बैंक तभी लेता है जब इसका नुकसान चोरी, आग लगने, डकैती से होता है. इस स्थिति में बैंक लॉकर होल्डर को लॉकर के सालाना किराये के 100 गुना राशि तक ही हर्जाना देगा. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि लॉकर का किराया 1000 रुपया सालाना है तो इस स्थिति में 1 लाख रुपया का हर्जाना बैंक लॉकर होल्डर को देगा.
इसके अलावा अगर आप अपने लॉकर को 7 साल तक उपयोग नहीं करते या लॉकर पर कोई दावा नहीं करते हैं तो बैंक इसको आपकी इजाजत के बिना भी खोल सकता है या फिर आपके नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को सौंप सकता है. इसके लिए नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को 15 दिन के अंदर वैध दस्तावेज के साथ दावा करना होता है.