CBDT ने नोटिफाई किया ITR-Form 6, जानें क्या-क्या हुए बदलाव, किसे मिलेगा क्या फायदा?

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सेंट्रल डायरेक्टट टैक्स बोर्ड यानी CBDT ने बुधवार 7 मई को संशोधित ITR-Form 6 जारी किया. भारत के गजट में प्रकाशित अधिसूचना के मुताबिक IRT-Form 6 का बदला हुआ स्वरूप 1 अप्रैल, 2025 से लागू कर दिया गया है. जानते हैं, इसमें क्या-क्या बदलाव किए गए हैं और इनसे किसे फायदा मिलेगा?

आईटीआर फॉर्म 6 के तहत कॉर्पोरेट टैक्स फाइल किया जाता है Image Credit: money9live

कॉरपोरेट टैक्स फाइलिंग को सरल बनाने के लिए CBDT यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने ITR-Form 6 का संशोधित प्रारूप अधिसूचित किया है. इनकम टैक्स विभाग ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि CBDT ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए कंपनियों के लिए लागू संशोधित आईटीआर-फॉर्म 6 की गजट अधिसूचना जारी कर दी है. इस अधिसूचना को भारत के राजपत्र में अधिसूचना संख्या 44/2025 दिनांक 6 मई, 2025 के रूप में जीएसआर संख्या 290 (ई) के तहत प्रकाशित किया गया है.

कब से लागू होगा नया प्रारूप?

राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के मुताबिक संशोधित आईटीआर-फॉर्म 6 को इस वर्ष 1 अप्रैल, 2025 से लागू कर दिया गया है. यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 के तहत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के लिए लागू होगा. ये संशोधन आयकर अधिनियम की धारा 139 के साथ धारा 295 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयकर (16वां संशोधन) नियम, 2025 के जरिये से पेश किए गए हैं.

किए गए हैं 6 बड़े बदलाव

आयकर विभाग की तरफ से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया गया है कि संशोधित प्रारूप में 6 बड़े बदलाव किए गए हैं. इन बदलावों को नीचे बिंदुवार देखा जा सकता है.

  1. पहला बदलाव शेड्यूल्ड कैपिटल गेन के बंटवारें को लेकर किया गया है. इसके तहत 23.07.2024 से पहले और बाद हुए कैपिटल गेन को अलग-अलग किया गया है. इसके लिए आयकर नियम, 1962 के शेड्यूल-II में दिए गए आईटीआर-फॉर्म 6 के प्रारूप को पूरी तरह से बदल दिया गया है.
  2. बड़े बदलावों में शेयर बायबैक की वजह से हुए कैपिटल लॉस को मंजूरी देना भी शामिल है. इसके तहत अगर किसी शेयर से बंधित डिविडेंड इनकम को अन्य स्रोतों से आय के रूप में दिखाया जाता है, तो शेयर बायबैक की वजह से हुए कैपिटल लॉस को आईटीआर में शामिल किया जा सकता है. हालांकि, यह नुकसान 1 अक्टूबर, 2024 के बाद का होना चाहिए.
  3. नए फॉर्म में कंपनियों को कई व्यापक खुलासे करने को कहा गया है. इनमें PAN, CIN और कॉर्पोरेशन की डेट जैसी जानकारियां देनी होंगी.
  4. ITR फाइलिंग में अब कंपनियों को टाइप ऑफ कंपनी में स्पष्ट करना होगा कि कंपनी घरेलू है या विदेशी. इसके अलावा कंपनी ने अपना नाम बदला है या नहीं.
  5. कंपनियों को कारोबार शुरू करने की तारीख बतानी होगी. इसके साथ ही रजिस्टर्ड ऑफिस एड्रेस, कॉन्टैक्ट डिटेल और ईमेल आईडी का विवरण भी देना होगा.
  6. धारा 44बीबीसी में क्रूज बिज को स्पष्ट किया गया है. इसके साथ ही इसका संदर्भ जोड़ा गया है. वहीं, शेड्यूल्ड बीपी में नियम 10टीआईए में बदलाव किया गया है, जो कच्चे हीरे की बिक्री से होने वाला लाभ सकल प्राप्तियों का 4% या उससे अधिक होने की स्थिति में रिपोर्ट करना होगा. इसके अलावा धारा 24(बी) के तहत क्लेम की गई कटौतियों को शामिल करने के लिए बदलाव किए गए हैं. वहीं, टीडीएस की रिपोर्टिंंग को लेकर भी बदलाव किए गए हैं.

कंपनियों के लिए क्यों अहम

संशोधित ITR-फॉर्म 6 का मकसद पारदर्शिता को बढ़ाना और मौजूदा रेगुलेटरी और रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड के मुताबिक बनाते हुए बेहतर अनुपालन और निगरानी की सुविधा देना है.