Credit Card इस्तेमाल से जुड़ी अपनी ये गंदी आदत सुधार लें, वरना ये बदला हुआ नियम बहुत महंगा पड़ेगा
क्रेडिट कार्ड हमेशा दोधारी तलवार की तरह होता है. समझदारी से इसके इस्तेमाल के अपने फायदे हैं, तो वहीं जरा सी लापरवाही आपकी साख पर बट्टा लगा सकती है. रिजर्व बैंक ने क्रेडिट कार्ड से जुड़े कई नियम बदले हैं. इनमें सबसे बड़ा बदलाव 1 जनवरी से लागू होने जा रहा है. जानें किन लोगों के लिए यह बदलाव भारी पड़ेगा और कौन फायदे में रहेगा.
रिजर्व बैंक ने सभी बैंक और एनबीएफसी को क्रेडिट कार्ड से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव करने को कहा है. ये नियम अगले साल 1 जनवरी से लागू होने जा रहे हैं. इन बदलावों की वजह से उन लोगों के सिर पर मुसीबत का पहाड़ टूट सकता है, तो मनमाने तरीके से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. वहीं, जो लोग संभलकर नियमों का पालन करते हुए इसका इस्तेमाल करते हैं, उनकी मौज होने वाली है.
रिजर्व बैंक का कहना है कि ये नियम असल में बैंक और ग्राहक दोनों के लिए फायदेमंद हैं. रिजर्व बैंक का कहना है कि फिलहाल क्रेडिट कार्ड से जुड़ी डिफॉल्ट और पेमेंट संबंधी जानकारियां महीने में एक ही बार अपडेट होती हैं. इसकी वजह से ग्राहकों का सिबिल स्कोर सटीक नहीं होता है. इसके अलावा दूसरे बैंकों को भी किसी ग्राहक के क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट की जानकारी एक महीने बाद ही मिलती है.
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी दिशानिर्देश के मुताबिक अब ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल से जुड़ा डाटा क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों (सीआईसी) को महीने की जगह प्रत्येक 15 दिन में में दिया जाएगा. इस संबंध में रिजर्व बैंक ने सबसे पहले 8 अगस्त को एक सर्कुलर जारी किया था. इसमें सभी बैंक और एनबीएफसी को क्रेडिट स्कोर को सटीक और जल्दी अपडेट करने के लिए आपसी समहति से यह व्यवस्था बनाने को कहा है.
रिजर्व बैंक ने क्या कहा
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस संबंध में कहा था कि क्रेडिट डाटा हर 15 दिन पर अपडेट होना चाहिए. इसे हर महीने की 15 या अंतिम तारीख को अपडेट किया जा सकता है. क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस (सीआई) और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां (सीआईसी) इस बारे में आपस में सहमति से कोई एक तारीख तय कर सकती हैं.
ग्राहकों को क्या फायदा
इस बदलाव से क्रेडिट कार्ड को समझदारी से इस्तेमाल करने वालों को खासा फायदा मिलेगा. इससे उनका क्रेडिट प्रोफाइल लगातार और जल्दी अपडेट होगा. इसके अलावा अगर कभी डिफॉल्ट होता है और जल्द ही पेमेंट कर देते हैं, तो इसे क्रेडिट स्कोर लंबे समय तक खराब होने का डर नहीं रहेगा. हर 15 दिन में डाटा अपडेट होने से क्रेडिट हिस्ट्री क्लीन रखने में मदद मिलेगी.
बैंक को क्या फायदा
रिजर्व बैंक का कहना है कि इस बदलाव से ग्राहकों को जहां ताजातरीन क्रेडिट स्कोर मिलता रहेगा, वहीं बैंको को भी बड़ा फायदा होगा. किसी भी कर्ज लेने वाले की सही क्रेडिट इंफॉर्मेशन होना बैंक के लिए बेहद जरूरी है. इससे किसी ग्राहक के रिस्क प्रोफाइल का सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी.
डायनेमिक और रिलायबल होगा क्रेडिट स्कोर
इस बदलाव से क्रेडिट स्कोर ज्यादा रिलायबल और डायनेमिक हो जाएगा. अगर ग्राहक से कोई गलती होती है, तो उसमें सुधार के बाद तुरंत अपडेटेड क्रेडिट स्कोर मिलेगा. वहीं, बैंकों के लिए रिस्क मैनेजमेंट के लिहाज से क्रेडिट स्कोर ज्यादा रिलायबल हो जाएगा.
किन्हें महंगा पड़ेगा ये बदलाव
ऐसे लोग जो समय पर क्रेडिट कार्ड के बकाया का भुगतान नहीं करते हैं, उनके लिए यह नियम भारी पड़ेगा. एक तरफ तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर खराब होगा ही. इसके साथ ही दूसरे बैंक से भी क्रेडिट कार्ड या लोन लेना मुश्किल हो जाएगा. आमतौर पर ईएमआई के डिफॉल्ट की जानकारी क्रेडिट स्कोर में रिफलेक्ट होने में 60 दिन लगते हैं. कई बार लोग क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालकर ईएमआई का भुगतान कर देते हैं और फिर क्रेडिट कार्ड पर डिफॉल्ट करते हैं, जिसकी बिलिंग सायकल के 50 दिन और रिपोर्ट करने के 30 दिन मिलाकर 80 से 90 दिन का समय मिल जाता है. लेकिन, अब यह होशियारी काम नहीं आएगी, क्योंकि अब महीने में 2 बार क्रेडिट स्कोर की रिपोर्टिंग होगी. अगर अब यह पैंतरेबाजी की, तो ईएमआई के साथ ही क्रेडिट कार्ड दोनों जगह इसका इंपेक्ट आएगा.