ये हैं एसेट एलोकेशन के 6 गोल्डन रूल्स, जो आपके निवेश पोर्टफोलियो को बनाएंगे मजबूत
लंबी अवधि में निवेश का असली आधार एसेट एलोकेशन है. नियम-आधारित रणनीति, नियमित रीबैलेंसिंग, जोखिम सहने की क्षमता और टैक्स ऑप्टिमाइजेशन जैसे 6 गोल्डन रूल्स निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव में भी मजबूत और संतुलित पोर्टफोलियो बनाने में मदद करते हैं. आइये इसे विस्तार से समझते हैं.
निवेश की दुनिया में सफलता सिर्फ सही स्टॉक चुनने या बाजार को समय देने से नहीं मिलती हैं. असली फर्क इस बात से पड़ता है कि आप अपने पैसों को अलग–अलग एसेट क्लास जैसे इक्विटी, डेट, गोल्ड और अन्य सेगमेंट में कैसे बांटते हैं. अगर निवेशक लंबे समय तक टिकाऊ और रिस्क बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, तो एसेट एलोकेशन के इन गोल्डन रूल्स को समझना जरूरी है.
रूल्स पर भरोसा
निवेश में अक्सर लोग अपने विचारों और अनुमान के आधार पर फैसले लेते हैं. ये अनुमान कई बार सही साबित होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में गलत भी हो सकते हैं. इसके मुकाबले, पहले से तय नियमों और डेटा पर आधारित एसेट एलोकेशन रणनीति ज्यादा प्रभावी साबित होती है, क्योंकि यह भावनाओं से मुक्त होती है.
पूर्वाग्रहों को समझें
निवेश केवल गणित नहीं, बल्कि व्यवहार का भी खेल है. डर, लालच और भावनाएं निवेशकों को गलत फैसले लेने पर मजबूर कर देती हैं. निवेशक अक्सर तथ्यों के बजाय भावनाओं के आधार पर निर्णय लेते हैं. नियम-आधारित एसेट एलोकेशन इन मानवीय कमजोरियों को कम करने में मदद करता है.
Low Correlation जरूरी
अगर सभी निवेश एक ही दिशा में चलते हैं, तो जोखिम भी एक साथ बढ़ता है. ऐसे एसेट क्लास चुनना जरूरी है जिनका आपस में कम या नकारात्मक Low Correlation हो. अगर सभी निवेश एक ही दिशा में चलते हैं, तो जोखिम भी एक साथ बढ़ता है. इसलिए पोर्टफोलियो बनाते समय यह देखना जरूरी है कि अलग-अलग एसेट क्लास के बीच सह-संबंध कितना है. जिन एसेट्स का आपस में कम या नकारात्मक सह-संबंध होता है, वे जोखिम को फैलाने में मदद करते हैं और लंबे समय में बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न देते हैं.
अनुशासन और नियमित रीबैलेंसिंग
निवेशक अक्सर पिछले एक साल के रिटर्न देखकर फैसले लेते हैं, जो सही रणनीति नहीं है. नियमित रीबैलेंसिंग के जरिए एसेट वेटेज को संतुलित रखना जरूरी है, ताकि पोर्टफोलियो लक्ष्य के अनुरूप बना रहे.
उम्र नहीं, जोखिम सहने की क्षमता देखें
सिर्फ उम्र के आधार पर एसेट एलोकेशन तय करना सतही सोच है. असली पैमाना आपकी रिस्क टॉलरेंस है. यह मान्यता कि युवा निवेशकों को ज्यादा जोखिम लेना चाहिए और उम्र बढ़ने के साथ जोखिम कम करना चाहिए, अधूरी है. एसेट एलोकेशन तय करते समय रिस्क टॉलरेंस ज्यादा अहम है, जो आय, जिम्मेदारियों, वित्तीय लक्ष्य, कैश फ्लो और बचत जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है.
टैक्स को ऑप्टिमाइज करने पर ध्यान दें
टैक्स बचाने की कोशिश में कई बार निवेशक जरूरत से ज्यादा जोखिम उठा लेते हैं। निवेश का उद्देश्य टैक्स से बचना नहीं, बल्कि टैक्स को समझदारी से मैनेज करना होना चाहिए ताकि रिटर्न पर अनावश्यक दबाव न पड़े.
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