डिजिटल और साइबर धोखाधड़ी से बचना है, तो जान लें सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ठगी के ये 10 तरीके
देश में हर दिन साइबर और डिजिटल क्राइम की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. हर 14 सेकंड में नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर ठगी और धोखाधड़ी की एक शिकायत दर्ज कराई जा रही है. साइबर सिक्योरिटि फर्म कैस्परस्काई के एक सर्वे के मुताबिक पिछले वर्ष देश के 34 फीसदी से ज्यादा इंटरनेट यूजर साइबर क्रिमिनल के निशाने पर आए हैं. आइए जानते हैं वे कौनसे तरीके हैं, जिनसे अपराधी ठगी कर रहे हैं और ठगी से कैसा बचा जाए.

साइबर ठगी करने वाले आम लोगों को शिकार बनाने के लिए हर दिन नई तरकीबें इजाद कर रहे हैं. वे अपराधों को अंजाम देने के लिए आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. बेरोजगार युवाओं को फर्जी नौकरी के नाम पर ठगा जा रहा है. अधेड़ उम्र के लोगों को बच्चों के खिलाफ पुलिस केस की धमकी देकर ठगा जा रहा है. वृद्ध और सेवानिवृत्त लोगों को पेंशन के लिए KYC अपडेट करने के नाम पर ठगा जा रहा है.
भारत में साइबर अपराध इतना व्यापक हो चुका है, कि यह अब एक उद्योग की तरह काम कर रहा है. रिजर्व बैंक, ट्राई, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी संस्थाओं के नाम पर लोगों से ठकी हो रही है. वहीं, ये तमाम संस्थाएं हर दिन लोगों को बता रही हैं कि उनके नाम पर कैसे-कैसे ठगी हो रही है, लेकिन लोग उनकी चेतावनी को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल रहे हैं. इसका नतीजा यह है कि इस साल पहले पांच महीनों में नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर लगभग 9.5 लाख शिकायतें दर्ज की गईं. इन शिकायतों के मुताबिक ठगों ने लोगों को 1,750 करोड़ रुपये की चपत लगाई है.
आप इस धोखाधड़ी के शिकार न हों इसके लिए जरूरी है कि आप पहले यह जान लें कि वे कौनसे तरीके हैं, जिनसे साइबर अपराधी पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बना रहे हैं. क्योंकि, आप खतरे को तभी भांप पाएंगे, जब आप यह समझ पाएंगे किया खतरा क्या है. आइए जानते हैं साइबर अपराधियों की तरफ से सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले तरीके 10 तरीके और इनसे बचने के उपाय.
1 . ट्राई की तरफ से आपके खिलाफ कार्रवाई की धमकी
अक्सर साइबर ठगों की तरफ से लोगों को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नाम पर ठगा जाता है. इसके लिए ठग खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हैं. इसके साथ ही कहते हैं कि आपके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया गया है. इसलिए फोन की सेवाएं बंद की जा रही हैं. इसके बाद दूसरा ठग खुद को पुलिस की साइबर सेल का अधिकारी बताते हुए आपसे बात करता है. इस दौरान डरा-धमकाकर पैसे ऐंठ लिए जाते हैं.
2. पुलिस-सीबीआई के नाम पर डिजिटल गिरफ्तारी
धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ित या उसके रिश्तेदार पर गंभीर अपराध का आरोप लगाता है. इसके बाद एक नकली सीबीआई अधिकारी वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिये पूछताछ करता है और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देते हुए सेटलमेंट के नाम पर ठगी करता है.
3. गलती से पैसे ट्रांसफर करने का दावा
साइबर अपराधिकयों की तरफ से पीड़ित को एक फर्जी टेक्स्ट मैसेज भेजा जाता है. इसमें बताया जाता है उसके खाते में पैसे जमा हुए हैं. इसके बाद जालसाज फोन करके कहते हैं कि यह ट्रांजेक्शन गलती से हुआ है. इसके बाद वह खुद को बहुत गरीब और जरूरतमंद बताते हुए आपसे पैसे वापस करने का अनुरोध करता है. जबकि, असल में आपके खाते में कोई रकम जमा नहीं होती है.
4. टैक्स रिफंड के नाम पर ठगी
जालसाज अक्सर कारोबारी और करदाताओं को टैक्स रिफंड के नाम पर ठगी का शिकार बनाते हैं. ऐसे कॉल अक्सर उस समय आते हैं, जब रिटर्न दाखिल करने के बाद आप रिफंड का इंतजार कर रहे होते हैं. धोखेबाज इनकम टैक्स अधिकारी बनकर कहते हैं कि अगर वे ज्यादा रिफंड लेना चाहते हैं, तो उनके निर्देशों का पालन करें. इस दौरान वे बैंक विवरण ले लेते हैं और ठगी को अंजाम देते हैं.
5. केवाईसी के नाम पर ठगी
ठगों की तरफ से पीड़ित को एक एसएमएस, कॉल या ई-मेल भेजा जाता है. इसमें एक लिंक पर क्लिक करके अपने केवाईसी विवरण को अपडेट करने के लिए कहा जाता है. यह लिंक उन्हें एक फर्जी वेबसाइट पर ले जाता है, जिसके जरिये ठगों को आपको सभी अहम जानकारियां मिल जाती हैं और डिवाइस तक ठगों की निर्बाध पहुंच बन जाती है. इस तरह की ठगी अक्सर पेंशनरों के साथ उनके पेंशन अकाउंट को होल्ड करने की धमकी देकर की जाती है.
6. कस्टम की तरफ से पार्सल को रोकना
ठगों की तरफ से अक्सर पीड़ित को बताया जाता है कि उसके नाम पर विदेश से प्रतिबंधित सामान वाला पार्सल आया है. इसे कस्टम विभाग ने रोक लिया गया है. अगर वह आगे की कड़ी कानूनी कार्रवाई से बचना चाहता है और मामले को जहां की तहां दबाना चाहता है कि उन्हें पैसे दे. इसके अलावा कई बार शिपमेंट को छुड़ाने के नाम पर भी ठगी की जाती है.
7. क्रेडिट कार्ड जारी होने के नाम पर ठगी
ठगों की तरफ से एक बैंक कर्मचारी बनकर पीड़ितों को कॉल किया जाता है. इसमें बताया जाता है कि पीड़ित के नाम पर क्रेडिट कार्ड इश्यू किया गया है. उस कार्ड पर एक बड़ा लेनदेन किया गया है. ऐसे में बैंक इसकी पुष्टि करना चाहता है कि क्या आपने ही लेनदेन किया है. इसके बाद फर्जी ट्रांजेक्शन को रोकने के नाम पर कार्ड नंबर, सीवीवी और ओटीपी के जरिये कार्ड से रकम उड़ा ली जाती है.
8. ड्रग्स या रेप के मामले में गिरफ्तारी
ठगों की तरफ से कई बार पुलिसकर्मी बनकर पीड़ित को कॉल किया जाता है. कॉल के दौरान बताया जाता है कि उनके परिवार के किसी सदस्य को ड्रग्स या रेप जैसे संगीन मामले में गिरफ्तार किया गया है. अगर मामले को रफा-दफा करना चाहते हैं, तो उन्हें रिश्वत दें. इसके लिए ठग परिवार के सदस्य की नकली आवाज निकालने के लिए AI का भी इस्तेमाल करने लगे हैं.
9. आसान कामों से मोटी कमाई का लालच
तमाम ठग महत्वाकांक्षी लोगों को आसान तरीकों से मोटी कमाई का लालच देकर ठगते हैं. ठगों की तरफ से उन्हें YouTube वीडियो या सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक करने जैसे कामों दिए जाते हैं. इससे पहले वे रजिस्ट्रेशन के नाम पर रकम वसूलते हैं. इसके बाद भरोसा कायम करने के लिए कुछ दिन थोड़ी-थोड़ी रकम पीड़ित को लौटाते हैं. इसके बाद पूरी रकम को लेकर गायब हो जाते हैं.
10. स्टॉक मार्केट में इनसाइडर ट्रेडिंग का लालच
सोशल मीडिया विज्ञापन व दूसरे तरीकों से स्टॉक्स के जरिये मोटे मुनाफे का लालच देकर भी लोगों को ठगा जा रहा है. ऐसे ठगी करने वाले अपने मुनाफ के स्क्रीनशॉट साझा करते हैं और अपने कोर्स, चार्ट व रिकमंडेशन के नाम पर पैसा वसूलते हैं. इसके लिए ठग अपनी वेबसाइट भी बनाकर रखते हैं, जहां एक फर्जी पोर्टफोलियो तक पीड़ित को पहुंच दी जाती है. इससे पीड़ित को लगता है कि वाकई उसको अच्छे रिटर्न मिल रहे हैं. लेकिन, अचानक सर्वर की दिक्कत या किसी दूसरे बहाने से रकम लेकर गायब हो जाते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान तो नहीं बनेंगे शिकार
सबसे पहले यह समझ लें कि ट्राई का काम कभी सीधे तौर पर ग्राहकों से जुड़ा नहीं होता है. खासतौर पर फोन सेवाओं को डिस्कनेक्ट करने का काम टेलीकॉम कंपनियों का होता है. ट्राई का नहीं. इसके अलावा दिल्ली पुलिस सहित तमाम राज्यों की पुलिस ने यह साफ किया है कि डिजिटल गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है. न कभी ऑनलाइन पूछताछ की जाती है. अगर आपके पास कोई ऐसी लिंक आए, जो भरोसेमंद स्रोत से नहीं है, तो तो भूलकर भी उसे क्लिक न करें, इससे आपके डिवाइस का कंट्रोल ठगों को मिल सकता है,
अगर कोई कहे कि आपके नाम जारी कार्ड से लेनदेन हुआ है या इस तरह का कोई एसएमएस मिले, तो बैंक के आधिकारिक नंबर या ईमेल पर इसकी जानकारी दें, इसके अलावा कभी किसी को बैंक खाते, क्रेडिट-डेबिट कार्ड की जानकारी नहीं दें. खासतौर पर किसी अनजान कॉल पर ओटीपी तो भूलकर भी शेयर न करें. बैंक कभी भी केवाईसी के ऑनलाइन अपडेशन के लिए आपको कोई लिंक नहीं भेजते हैं. बैंक अपने आधिकारिक संचार माध्यमों से या फिर जब आप ब्रांच जाते हैं, तब आपसे इसके बारे में पूछा जा सकता है. इसके अलावा इनकम टैक्स कभी आपको टैक्स रिफंड के लिए सीधे कॉल नहीं करेगा. यह ऑटोमेटेड प्रोसेस है.
अगर कभी आपके किसी परिवार के सदस्य को किसी मामले में गिरफ्तार किए जाने की जानकारी मिले, तो सबसे पहले उस सदस्य से कॉन्टेक्ट करने का प्रयास करें. उससे संपर्क नहीं हो, तो उसके आसपास मौजूद लोगों से बात करें. अगर फिर भी संतोष नहीं हो, तो खुद पुलिस स्टेशन आने की बात कहें और इसी दौरान पुलिस से सीधे संपर्क कर मदद मांगी जा सकती है. ध्यान रखें लालच बुरी बला होती है. इसलिए आसान काम हों या स्टॉक्स में मोटा मुनाफ कभी ज्यादा लालच के चक्कर में न पड़ें. हमेशा आधिकारिक तरीकों से ही निवेश करें.
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