होम लोन पर चाहिए एक्स्ट्रा पैसा? जानें क्या है टॉप-अप लोन, कैसे मिलता फायदा और क्यों है पर्सनल लोन से बेहतर
अगर आपको पैसों की जरूरत है और आपने अपनी EMI समय पर जमा की है, तो नया पर्सनल लोन लेने से बेहतर है कि पहले टॉप-अप होम लोन का विकल्प चुनें. यह आसान, सस्ता और भरोसेमंद विकल्प है. आइए जानते हैं यह कैसे काम करता है और इस सुविधा से कितनी राशि मिल सकती है.
अगर आप पहले से होम लोन चुका रहे हैं और बीच में पैसों की जरूरत पड़ जाए तो आपको नया लोन लेने की जरूरत नहीं है. बैंक आपको आपके चल रहे होम लोन के ऊपर टॉप-अप होम लोन दे सकता है. यह एक ऐसा अतिरिक्त लोन होता है, जो आसानी से मिल जाता है और इसकी ब्याज दर भी पर्सनल लोन से कम होती है. आइए जानते हैं यह कैसे काम करता है और इस सुविधा से कितनी राशि मिल सकती है.
कैसे काम करता है टॉप-अप होम लोन?
बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां यह लोन सिर्फ अपने पुराने होम लोन ग्राहकों को ही देती हैं. इसके लिए जरूरी है कि आपका पेमेंट रिकॉर्ड अच्छा हो और आपने पिछले 12 महीनों से समय पर EMI भरी हो. बैंक आपके प्रॉपर्टी वैल्यू को दोबारा आंकेगा और उसके आधार पर आपको अतिरिक्त लोन के लिए मंजूरी देगा.
कितनी रकम मिल सकती है?
टॉप-अप होम लोन की राशि प्रॉपर्टी के वर्तमान बाजार मूल्य और बैंक की Loan-to-Value (LTV) लिमिट पर निर्भर करती है. अधिकतर बैंक कुल लोन (पुराना लोन + टॉप-अप) को प्रॉपर्टी मूल्य के 70 से 80 प्रतिशत तक ही मंजूर करते हैं.
ऐसे समझें
अगर आपके घर की कीमत 1 करोड़ रुपये है और मौजूदा होम लोन बैलेंस 50 लाख रुपये है तथा बैंक की LTV लिमिट 80 फीसदी है, तो आपकी मैक्सिमम कुल लोन की सीमा 80 लाख रुपये होगी. ऐसे में संभावित टॉप-अप लोन 20 से 30 लाख रुपये होगा.
कहां कर सकते हैं इस्तेमाल?
टॉप-अप लोन सिर्फ घर की मरम्मत या इंटीरियर तक सीमित नहीं है. आप इस पैसे का इस्तेमाल इन कामों में कर सकते हैं, जिनमें- घर की मरम्मत या विस्तार, बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल खर्च, शादी, बिजनेस जरूरतें (कुछ मामलों में अतिरिक्त डॉक्यूमेंट लग सकते हैं)
पर्सनल लोन से क्यों बेहतर है?
- टॉप-अप लोन की सबसे बड़ी खासियत इसकी कम ब्याज दर है.
- पर्सनल लोन ब्याज दर करीब 10 से 24 फीसदी सालाना लगता है.
- टॉप-अप होम लोन ब्याज दर 8 से 11% सालाना होता है, हालांकि यह रेट अलग अलग बैंकों के मुताबिक अलग अलग होता है.
- बैंक के पास पहले से आपकी KYC, आय और प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट होते हैं, इसलिए प्रोसेस तेजी से पूरा हो जाता है. EMI भी लंबी अवधि में चुकाने की सुविधा मिलती है.
किन बातों का ध्यान रखें?
- कुल कर्ज बढ़ जाता है, इसलिए EMI क्षमता को समझकर लोन लें.
- ब्याज कम है लेकिन टेन्योर लंबा होने से कुल ब्याज ज्यादा बन सकता है.
- लोन के साथ प्रोसेसिंग फीस और डॉक्यूमेंट चार्ज लागू होते हैं.
- फाइनेंशियल प्लानिंग बिगड़ने से बचें.
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