अब तेजी से मिलेगा टैक्स रिफंड और आसानी से कर पायेंगे ITR में करेक्शन, जानें CBDT के नए नियम

CBDT ने नए नियमों के तहत बेंगलुरु स्थित आयकर आयुक्त (CPC) को धारा 154 के अंतर्गत स्पष्ट त्रुटियों को सुधारने का अधिकार दिया है. इससे टैक्स रिफंड प्रक्रिया तेज होगी, ITR सुधार आसान बनेगा, प्रशासनिक देरी घटेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी. यह फेसलेस टैक्स सिस्टम को मजबूत करेगा.

CBDT के नए नियम Image Credit: canva

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 27 अक्टूबर 2025 को एक अहम नोटिफिकेशन जारी किया है जिसके तहत इनकम टैक्स विभाग के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC), बेंगलुरु के इनकम टैक्स कमिश्नर को अब सेक्शन 154 के तहत अधिकार दिए गए हैं कि वे स्पष्ट त्रुटियों को स्वयं सुधार सकें. इस कदम से टैक्सपेयर्स को तेजी से रिफंड और ITR में हुई गलतियों के करेक्शन की सुविधा मिलेगी.

क्या है नया प्रावधान

CBDT के इस नए नियम के अनुसार, अब CPC कमिश्नर उन मामलों में सुधार कर सकेंगे जिनमें असेसिंग ऑफिसर (AO) और CPC के इंटरफेस के जरिए आदेश पारित किए गए हों. इसमें ऐसे मामलों को शामिल किया गया है, जहां टैक्स कैलकुलेशन में स्पष्ट त्रुटियां हों. जैसे अग्रिम कर या टीडीएस क्रेडिट का विचार न किया जाना, राहतों की अनदेखी या सेक्शन 244A के तहत ब्याज की गलत गणना.

टैक्सपेयर्स को कैसे होगा लाभ

इस बदलाव से टैक्सपेयर्स को कई तरह से लाभ मिलेगा.

तेजी से त्रुटि सुधार: पहले AO के आदेशों में हुई गलतियों के सुधार के लिए टैक्सपेयर्स को मैनुअल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जिससे देरी होती थी लेकिन अब CPC को सीधे सुधार का अधिकार मिलने से यह प्रक्रिया तेज हो जाएगी.

प्रशासनिक बाधाओं में कमी: AO और CPC के बीच समन्वय की दिक्कतें अब खत्म होंगी. सुधार प्रक्रिया सिस्टम आधारित और केंद्रीकृत होगी, जिससे फाइलों का आदान-प्रदान घटेगा.

समय पर रिफंड: टैक्स या ब्याज की गणना में गलती होने पर अब रिफंड जल्दी जारी किए जा सकेंगे. टैक्सपेयर्स को कई बार आवेदन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

पारदर्शिता और अनुपालन में सुधार: नया सिस्टम डेटा की सटीकता और ऑडिट ट्रेल को मजबूत करेगा जिससे टैक्सपेयर्स के अग्रिम टैक्स और राहतें सही तरह से रिकॉर्ड होंगी.

CBDT का बयान

CBDT ने स्पष्ट किया कि नए नियमों के तहत बेंगलुरु स्थित आयकर आयुक्त को सेक्शन 154 के तहत रिकॉर्ड से स्पष्ट गलतियों को सुधारने और सेक्शन 156 के तहत टैक्स डिमांड नोटिस जारी करने का अधिकार होगा. इसके अलावा, वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों को इन कार्यों के लिए लिखित आदेश जारी कर सकते हैं. इस निर्णय से टैक्स रिफंड प्रक्रिया तेज होगी और करदाताओं को अपने रिफंड या सुधार के लिए लंबी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी.