अब हर हफ्ते जारी होगा क्रेडिट रिपोर्ट, नियमों में बदलाव करेगा RBI; धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों और अन्य क्रेडिट संस्थानों को अब हफ्ते में एक बार क्रेडिट डेटा रिपोर्ट करने का निर्देश दे सकता है. यह कदम क्रेडिट स्कोर को अपडेट रखने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए उठाया गया है. भविष्य में रोजाना रिपोर्टिंग की संभावना भी है. इससे कंज्यूमर को अपने रिकॉर्ड की सटीकता का भरोसा मिलेगा और लेंडर्स को बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी.

RBI अब हफ्ते में एक बार क्रेडिट डेटा रिपोर्ट करने का निर्देश दे सकता है. Image Credit:

Credit Reporting: RBI जल्द ही बैंकों और अन्य क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस को हफ्ते में एक बार क्रेडिट डेटा रिपोर्ट करने का निर्देश दे सकता है. अभी यह रिपोर्टिंग 15 दिन में एक बार होती है. इस बदलाव का उद्देश्य क्रेडिट स्कोर को ज्यादा अपडेटेड बनाना और धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम करना है. जैसे ही कोई बैड लोन होता है, उसका स्टेटस समय पर क्रेडिट ब्यूरो में नहीं पहुंचता और इसी गैप का फायदा उठाकर कई लोग दूसरे बैंकों से नए लोन ले लेते हैं.

अब हर हफ्ते देनी होगी क्रेडिट रिपोर्ट

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, RBI के प्रस्ताव के अनुसार अब बैंकों और अन्य क्रेडिट संस्थानों को हफ्ते में एक बार क्रेडिट जानकारी रिपोर्ट करनी होगी. अभी यह प्रक्रिया पखवाड़े में एक बार होती है. यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि अब लोन स्वीकृति की प्रक्रिया में क्रेडिट रिपोर्ट पर निर्भरता बढ़ गई है और समय पर अपडेट जरूरी हो गया है.

धोखाधड़ी पर लगेगी रोक

RBI का मानना है कि कई बार खराब लोन की जानकारी देर से रिपोर्ट होती है. इस देरी का फायदा उठाकर धोखेबाज ग्राहक दूसरे संस्थानों से लोन लेने की कोशिश करते हैं. समय पर अपडेट होने से ऐसे मामलों पर रोक लगेगी और सिस्टम अधिक ट्रांसपेरेंसी बनेगा.

भविष्य में हो सकती है दैनिक रिपोर्टिंग

RBI ने अपने ड्राफ्ट में संकेत दिया है कि भविष्य में बैंकों को रोजाना क्रेडिट जानकारी रिपोर्ट करनी पड़ सकती है. यह कदम धीरे धीरे हफ्ते से रोजाना रिपोर्टिंग की ओर बढ़ने की दिशा में है. इससे उपभोक्ताओं के डेटा की सटीकता और ट्रांसपेरेंसी और भी मजबूत होगी.

डेटा एरर सुधार पर भी जोर

ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि क्रेडिट संस्थानों को डेटा की रिपोर्टिंग और गलती सुधार की प्रक्रिया को और तेज और प्रभावी बनाना होगा. इसके लिए सेंट्रल KYC नंबर को रिपोर्टिंग फॉर्मेट में अलग फील्ड के रूप में जोड़ने का प्रस्ताव है ताकि क्रेडिट ब्यूरो को सही और डिटेल जानकारी मिल सके.

CIBIL ने बताया अच्छा कदम

TransUnion CIBIL के एमडी और सीईओ भावेश जैन ने कहा कि RBI का यह कदम भारत के क्रेडिट इकोसिस्टम को मजबूत करेगा. ज्यादा बार रिपोर्टिंग से डेटा समय पर अपडेट होगा और यूजर को अपने रिकॉर्ड की सटीकता पर भरोसा मिलेगा. इससे ट्रांसपेरेंसी और लेंडर्स व बोर्रोअर्स के बीच विश्वास और भी बढ़ेगा.

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टेक्नोलॉजी और ट्रांसपेरेंसी पर फोकस

उन्होंने कहा कि इस बदलाव से इंडस्ट्री को एडवांस तकनीक में निवेश और प्रक्रियाओं को मजबूत करने का मौका मिलेगा. नतीजे के तौर पर सिस्टम और अधिक चुस्त, ट्रांसपेरेंसी और भविष्य के लिए तैयार होगा. इससे कंज्यूमर बेस्ड क्रेडिट इकोसिस्टम बनेगा और लोन देने की प्रक्रिया में सुधार आएगा.