मिनिमम बैलेंस आपको भी पड़ रहा है भारी? रिजर्व बैंक का सुझाया ये नुस्खा आजमाएं मिलेगी शर्तिया राहत

रिजर्व बैंक चाहता था कि मिनिमम बैलेंस को लेकर ग्राहकों से दंडात्मक शुल्क न वसूला जाए, लेकिन बैंकों के दबाव में रिजर्व बैंक को फैसला बदलना पड़ा, हालांकि ग्राहकों के लिए कई तरह की राहतों का भी इंतजाम किया है.

मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर शुल्क लगाने से पहले बैंक की तरफ से ग्राहक को मैसेज या ईमेल भेजना होगा Image Credit: Avishek Das/SOPA Images/LightRocket via Getty Images

अगर आपको भी लगता है कि आपका बैंक मिनिमम एवरेज बैलेंस (MAB) के नाम पर आपको सता रहा है, तो आप सही जगह आ गए हैं. हम आपको रिजर्व बैंक का बनाया और आजमाया हुए नुस्खा बताते हैं, जिससे शर्तिया राहत मिलेगी.
मिनिमम बैलेंस असल में ग्राहकों के साथ ही बैंकों और रिजर्व बैंक के लिए भी पेचीदा मसला रहा है. दिलचस्प बात ये है कि रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल, 2014 को एक अधिसूचना जारी कर बैंकों को आदेश दिया था कि ग्राहकों को मिनिमम बैलेंस से राहत दी जाए.

बैंकों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वे ग्राहकों को डीलक्स, सुपर डीलक्स, एलीट, सुपर एलीट जैसे तरह-तरह के खातों के साथ कई तरह की सुविधाएं देते हैं, जिसके लिए मिनिमम बैलेंस जरूरी है. बैंकों की दलील और दबाव के चलते रिजर्व बैंक ने 20 नवंबर, 2014 को एक और अधिसूचना जारी कर इस आदेश को वापस लेना पड़ा. हालांकि, इस आदेश में रिजर्व बैंक ने ग्राहकों को मिनिमन बैलेंस की शर्त को पूरा करने का एक आसान तरीका भी बताया है. जानिए क्या है ये तरीका.

रिजर्व बैंक ने समझी ग्राहकों की परेशानी

रिजर्व बैंक ने बैंकों को कहा है कि वे ग्राहकों की परेशानी या असावधानी का गलत फायदा न उठाएं. खासतौर पर साधारण बचत बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस को लेकर कोई दंडात्मक शुल्क नहीं लगाया जाए, इसके बजाय बैंक ऐसे खातों पर उपलब्ध सेवाओं को बुनियादी बचत बैंक जमा खातों की तरह सीमित कर दें. इसके बाद जब भी मिनिमम बैलेंस की र्शत पूरी हो जाए, तो सेवाओं को बहाल कर दें. मोटे तौर पर रिजर्व बैंक मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर दंडात्मक शुल्क लगाने के खिलाफ था।

बैंकों के विरोध में झुकना पड़ा

सेंटर फॉर फाइनेंशियल इंक्‍लूजन एंड प्‍लानिंग (NatFin) के फाउंडर अवनीश कुमार मिश्र ने बताया कि रिजर्व बैंक को 6 महीने बाद ही 20 नवंबर, 2014 को एक नई अधिसूचना जारी करनी पड़ी, जिसमें कहा गया कि मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर लगने वाला जुर्माना कमी के अनुपात में लगाया जा सकता है. इसके लिए ग्राहक को एसएमएस या ईमेल के जरिये जानकारी भी दी जानी चाहिए, जैसा कि दामोदरन समिति ने सुझाव दिया था और ग्राहक को मिनिमम बैलेंस बनाए रखने के लिए एक महीना दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, दंडात्मक शुल्क बैंक के बोर्ड तय करेंगे.

ग्राहकों को मिली राहत

रिजर्व बैंक ने 20 नवंबर, 2014 की अधिसूचना में कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि बचत खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखे जाने पर खाते का बैलेंस नेगेटिव नहीं किया जाए. मिसाल के तौर पर यदि आपके खाते में केवल मिनिमम बैलेंस नहीं है, या शून्य शेष राशि है, तो बैंक मिनिमम बैलेंस नहीं रखे जाने के लिए दंडात्मक शुल्क वसूलने के लिए खाते के बैलेंस को नेगेटिव नहीं कर सकते हैं.

यह है मिनिमम बैलेंस का रामबाण इलाज

अवनीश कुमार मिश्र के अनुसार, किसी भी खाते का मिनिमम बैलेंस महीने के हर दिन के क्लोजिंग बैलेंस को जोड़कर और फिर उस महीने के दिनों की संख्या से भाग देकर निकाला जाता है. मिसाल के तौर पर अगर आपको 25,000 रुपये का मिनिमम बैलेंस बनाए रखना है, तो आप महज एक दिन के लिए 7.5 लाख रुपये का बैलेंस रखकर इस शर्त को पूरा कर सकते हैं.

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