विदेश में हुई शादी भारत में कैसे होगी लीगल, जरूरी है नोटिस से लेकर 3 गवाह; ये है पूरा प्रोसेस
विदेश में शादी करने वाले भारतीय नागरिकों की शादी भारत में मान्य हो सकती है. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें पूरी होना जरूरी है. विदेश में हुई शादी भारत में तब वैध मानी जाएगी जब ये दो खास कानून के तहत रजिस्टर होगी. यहां जानें क्या है नियम-कानून और प्रोसेस

Wedding Aborad How to Legalise it in India: भारत के लोग डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए विदेश जाते हैं, विदेश में शादी करने का चलन बढ़ा भी है. कई बार जो भारतीय विदेश में रहते हैं वे वहीं शादी कर लेते हैं. लेकिन शादी के बाद जब भारत लौटते हैं तो क्या शादी को कानून के सामने लीगल माना जाता है, भारत में कानूनी रूप से मान्यता मिलती है या नहीं? चलिए यही जानते हैं. ये भी बताएंगे कि लीगल करने का प्रोसेस क्या है. हालांकि जवाब इतना सीधा नहीं है. चलिए समझते हैं.
दो जरूरी कानून
आप अगर विदेश में जा कर कहीं शादी करते हैं तो भारत लौटने पर आपकी शादी अपने यहां सीधे मान्य नहीं हो जाती. भारत में शादी की वैधता इस बात पर निर्भर करती है कि वो कैसे और किस कानून के तहत संपन्न हुई है. अगर शादी विदेश में हुई है, तो उसे वैध बनाने के दो रास्ते हैं या तो शादी फॉरेन मैरिज एक्ट 1969 (FMA) के तहत वहां की जाए या फिर भारत लौटकर स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 (SMA) के तहत उसे रजिस्टर्ड कराया जाए.
इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई भारतीय नागरिक विदेश में शादी कर रहा है चाहे वो डेस्टिनेशन वेडिंग हो, NRI से शादी हो या किसी विदेशी नागरिक से तो शादी को वैध बनाने के लिए उसे FMA या SMA के तहत पक्की करना जरूरी है. भले ही आपने विदेश में पारंपरिक रीति-रिवाजों से शादी की हो, भारत की नजर में वो सिर्फ एक रस्म है, जब तक उसे किसी वैध कानून के तहत औपचारिक रूप से न निभाया जाए.
फॉरेन मैरिज एक्ट की धारा 15 साफ कहती है कि अगर शादी विदेश में हुई है और उसमें एक या दोनों भारतीय नागरिक हैं, तो वह शादी भारत में मान्य होगी. लेकिन शर्त ये है कि वो FMA की प्रक्रियाओं के मुताबिक संपन्न होनी चाहिए. शादी के रजिस्ट्रेशन और विवाह अधिकारी द्वारा प्रमाणपत्र लेना भी जरूरी होता है.
बिना FMA के तहत शादी का क्या
अब मान लीजिए आपने विदेश में पूरी हिंदू रीति से शादी की, लेकिन वो FMA के तहत नहीं हुई. तो ऐसी शादी को भारत में मान्य बनाने के लिए या तो आपको दोबारा हिंदू रस्मों के तहत भारत में शादी करनी होगी या फिर SMA के तहत उसे रजिस्टर कराना होगा. हिंदू मैरिज एक्ट तभी लागू होता है जब शादी भारत की सीमाओं के अंदर हुई हो.
3 गवाह और नोटिस
FMA के तहत शादी रजिस्टर कराने का प्रोसेस सीधा है. इसमें फॉर्म भरना होते हैं, एक फीस जमा करनी होती है और शादी को 3 गवाहों की मौजूदगी में प्रमाणित करना होता है. अगर शादी को FMA के तहत संपन्न करना है, तो होने वाले दंपति को विदेश में स्थित मैरिज ऑफिसर, जो वहां का कॉन्सुलर ऑफिसर होता है, उसके सामने तीन गवाहों के साथ पेश होना होता है. उन्हें नोटिस ऑफ इंटेंडेड मैरिज का नोटिस, फीस और एक घोषणापत्र देना होता है जिसमें उनकी उम्र, नागरिकता और अन्य जरूरी जानकारी दी जाती है.
इसके बाद यह नोटिस भारत और उस देश में प्रकाशित करना होता है जहां शादी हुई है. अगर 30 दिनों के अंदर कोई आपत्ति नहीं आती, तो शादी मैरिज ऑफिसर के सामने तीन गवाहों की मौजूदगी में संपन्न की जा सकती है.
FMA यह शर्त रखता है कि दोनों पार्टनर शादी से कम से कम 30 दिन पहले उस देश में शारीरिक रूप से मौजूद हों ताकि नोटिस जमा किया जा सके, इसलिए यह ऑप्शन उन भारतीय नागरिकों के लिए व्यावहारिक नहीं होता जो सिर्फ डेस्टिनेशन वेडिंग करना चाहते हैं.
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तलाक और गुजारे भत्ते का क्या
जो शादी विदेश में रजिस्टर हुई हो और उसमें कोई एक या दोनों भारतीय नागरिक हों, वो भारत में वैध मानी जाती है, इसलिए अगर ऐसा कोई जोड़ा भारत की अदालत में तलाक के लिए याचिका दायर करता है, तो भारतीय गुजारा भत्ते से जुड़े कानून भी उन पर लागू होंगे.
अगर दोनों पति-पत्नी भारत में रह रहे हैं, तो यह कानून पूरी तरह लागू होते हैं. लेकिन अगर दोनों ही भारत से बाहर रह रहे हैं, तो फिर न तलाक की याचिका भारत में डाली जा सकती है और न ही गुजारा भत्ते के कानून लागू होंगे. हालांकि, अगर इनमें से कोई एक व्यक्ति भारत में रह रहा हो, तो केस की परिस्थितियों के अनुसार तलाक की याचिका भारत में डाली जा सकती है और तब भारतीय गुजारा भत्ता कानून भी लागू हो सकते हैं.
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