घर खरीदने से पहले जानें: रेडी टू मूव इन vs अंडर कंस्ट्रक्शन, कौन सा है आपके लिए बेहतर?

रेडी टू मूव इन घर लेना अंडर कंस्ट्रक्शन घर की तुलना में अधिक सुरक्षित और फायदेमंद है या नहीं. इसकी बेहतरीन तुलना आपको यहां मिल जाएगी. दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान है. इनकम टैक्स के मामले में भी नफा-नुकसान अलग-अलग है.

रेडी टू मूव इन घर लेना चाहिए या फिर अंडर कंस्ट्रक्शन घर बुक करें? Image Credit: Money9live/Canva

Ready To Move In House or Under Construction: घर खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो पहले इस सवाल पर गौर करें कि आपको रेडी टू मूव इन घर लेना चाहिए या फिर अंडर कंस्ट्रक्शन घर बुक करना चाहिए? दोनों ऑप्शन के अपने-अपने फायदे और नुकसान होते हैं. मेरी राय में रेडी टू मूव इन घर लेना ज्यादा समझदारी होती है. चलिए मैं इसे आपको डिटेल में समझाता हूं.

आम वित्तीय पहलू

वो कहते हैं न कि अगर आपके पास अभी 100 रुपये हैं तो वो ज्यादा अच्छे हैं बजाय इसके कि कल आपको 500 रुपये मिलेंगे या नहीं, क्योंकि भविष्य की कोई गारंटी नहीं होती. अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में बिल्डर के द्वारा समय पर कब्जा देने में डिफॉल्ट होने का जोखिम होता है. आपके आस-पास बिल्डर्स के द्वारा देरी या डिफॉल्ट के कई मामले जरूर होंगे.

रेडी टू मूव इन घर में ये जोखिम नहीं होता. आजकल के रिडेवलपमेंट सेक्टर में कई लोग बिना फंड यआ फाइनेंस के डेवलपर बन जाते हैं. सिर्फ वित्तीय समस्याओं की वजह से ही नहीं, प्रॉपर्टी से जुड़ी कानूनी लड़ाई भी प्रोजेक्ट के समय पर पूरा होने को प्रभावित कर सकती है. RERA के आने से देरी के मामले कम जरूर हुए हैं, लेकिन अभी भी कई केस होते रहते हैं.

आप अपनी पूरी जिंदगी की बचत या भविष्य की बचत को घर के होम लोन की EMI के लिए बांधते हैं, इसलिए इतने बड़े जोखिम में पड़ना सही नहीं होता, सिर्फ इसलिए कि रेडी टू मूव इन और अंडर कंस्ट्रक्शन के बीच थोड़ा सा फर्क है. अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में आप असल में डेवलपर को ऊंचे ब्याज दर पर पैसा उधार दे रहे होते हैं.

इसके विपरीत, रेडी पजेशन फ्लैट का एक और फायदा होता है. अगर आप खुद नए घर में शिफ्ट होना चाहते हैं, तो आप अभी जो किराया दे रहे हैं, वह बचा सकते हैं. या फिर अगर आप निवेश के लिए घर खरीद रहे हैं तो उसे किराए पर देकर तुरंत रिटर्न शुरू कर सकते हैं.

इनकम टैक्स में कहां मिलेगा फायदा?

इसके अलावा, रेडी पजेशन प्रॉपर्टी और अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के बीच कुछ इनकम टैक्स संबंधी भी फर्क होते हैं. आमतौर पर लोग घर खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं. होम लोन के फायदे तभी मिलते हैं जब प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा हो जाए और कब्जा मिल जाए.

होम लोन पर जो ब्याज आपने कब्जा लेने से पहले के सालों में दिया है, उस ब्याज को आप पांच बराबर किस्तों में दावा कर सकते हैं, जो कि कब्जा मिलने वाले साल से शुरू होती हैं. अगर आपका होम लोन का सालाना ब्याज पहले से ही दो लाख से ज्यादा है, तो कब्जा मिलने से पहले दिए गए ब्याज का फायदा अमूमन खत्म हो जाता है. ध्यान दें, दो लाख का ब्याज का फायदा तभी मिलता है जब निर्माण पांच साल के अंदर पूरा हो, लोन लेने वाले वित्तीय वर्ष के अंत से अगर घर पांच साल में पूरा नहीं होता तो आपकी टैक्स छूट घटकर मात्र तीस हजार रुपए रह जाती है.

इसलिए, अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में देरी और डिफॉल्ट के जोखिम के साथ-साथ टैक्स का फायदा कम मिलने का भी खतरा रहता है, अगर निर्माण पांच साल में पूरा नहीं होता. इनकम टैक्स कानून आपको कैपिटल गेन टैक्स से छूट का फायदा भी देते हैं. अगर आप बिक्री के दो साल बाद या एक साल पहले तक नया घर खरीदते हैं या तीन साल के अंदर खुद बनाते हैं. अगर बिल्डर तीन साल में निर्माण पूरा नहीं करता, तो आपको पहले ली गई छूट वापस करनी पड़ सकती है. होम लोन के मूलधन की वापसी पर भी आप 1.50 लाख तक की कटौती कर सकते हैं, जो सिर्फ कब्जा मिलने के बाद मिलती है. अगर आपने निर्माण के दौरान होम लोन चुकाया तो इस पर टैक्स छूट नहीं मिलेगा.

और अंत में, रेडी टू मूव इन घर लेने से मन को ज्यादा शांति मिलती है, बनिस्पत अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी के. यह सारी बातें तभी लागू होती हैं जब आपके पास रेडी टू मूव इन घर के लिए डाउन पेमेंट करने की क्षमता हो. अगर नहीं है तो आपके पास अंडर कंस्ट्रक्शन ही लेना पड़ेगा. इसलिए, दोनों विकल्पों के फायदे-नुकसान को अपने हालात के अनुसार समझकर ही फैसला लें.

(लेखक बलवंत जैन, टैक्‍स और इन्‍वेस्‍टमेंट के एक्‍सपर्ट हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.)