फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे को मिली UP कैबिनेट की मंजूरी, जुड़ेगा आगरा-लखनऊ और गंगा एक्सप्रेसवे; जानें पूरा प्लान
यूपी कैबिनेट ने 90.83 किलोमीटर के फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे को 7488.74 करोड़ रुपये की लागत पर मंजूरी दी, जो आगरा-लखनऊ और गंगा एक्सप्रेसवे को जोड़ेगा. इस परियोजना के लिए डेवलपर का चयन बिडिंग के जरिए किया जाएगा. चयनित डेवलपर को निर्धारित अवधि में निर्माण पूरा करना होगा.
Farrukhabad Link Expressway: उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण को मंजूरी दी है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 7,488.74 करोड़ रुपये रखी गई है. यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का होगा, जिसे आवश्यकता पड़ने पर 8 लेन तक बढ़ाया जा सकेगा. यह पूरी तरह से ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे होगा. निर्माण का तरीका इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) मॉडल पर आधारित होगा, ताकि डिजाइन, सामग्री और निर्माण की पूरी जिम्मेदारी एक ही ठेकेदार पर हो. परियोजना को पूरा करने की समयसीमा 548 कार्य दिवस तय की गई है.
यहां जुड़ेंगे दोनों एक्सप्रेसवे
यह नया एक्सप्रेसवे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से इटावा जिले के कुदरैल गांव पर जुड़ेगा और गंगा एक्सप्रेसवे से हरदोई जिले के सवायजपुर पर मिलेगा. इस कनेक्शन से पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण दिशा में सड़क परिवहन का नेटवर्क और मजबूत होगा. इस परियोजना के लिए डेवलपर का चयन बोली प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा. चयनित डेवलपर को तय समय में निर्माण कार्य पूरा करना होगा और इसके बाद अगले पांच साल तक एक्सप्रेसवे का रखरखाव भी करना होगा.
इतने दिनों में करना होगा पूरा
ईपीसी मॉडल के तहत ठेकेदार को इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण की जिम्मेदारी दी जाएगी. इससे परियोजना में एकल जवाबदेही तय होगी और काम की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी. सरकार ने ठेका देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इसे बोली प्रणाली से जोड़ने का निर्णय लिया है. ठेकेदार को 548 कार्य दिवस के भीतर निर्माण कार्य पूरा करना अनिवार्य होगा.
क्या है फर्रुखाबाद एक्सप्रेसवे की महत्व
फर्रुखाबाद में संकिसा नामक बौद्ध विरासत स्थल है, जो विदेशी तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. यहां श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, जापान, चीन, सिंगापुर और थाईलैंड से आने वाले तीर्थयात्री आते हैं. इसके अलावा फर्रुखाबाद एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र भी है. इस एक्सप्रेसवे के बनने से स्थानीय और क्षेत्रीय व्यापार तथा पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिलेगा. क्षेत्र की कनेक्टिविटी बेहतर होगी और परिवहन समय में कमी आएगी.
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