हाईवे और एक्सप्रेसवे में क्या है अंतर, जानें स्पीड लिमिट, टोल रेट और पैसे बचाने का तरीका
आज के इस आधुनिक दुनिया में आवागमन का बेहद आसान होने में सड़कों का अहम रोल है. आज जहां एक ओर पहले से बने हाईवे (राष्ट्रीय/राज्यीय राजमार्ग) हैं, वहीं दूसरी ओर देश में कई एक्सप्रेस-वे भी बन चुके हैं, जो हाई-स्पीड यात्रा का नया चेहरा हैं. लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि हाईवे और एक्सप्रेस-वे में फर्क क्या है?
Difference Between Expressway or Highway: भारत में तेजी से बढ़ते सड़क नेटवर्क के चलते अब सफर करना पहले से कहीं आसान हो गया है. आज के इस आधुनिक दुनिया में आवागमन का बेहद आसान होने में सड़कों का अहम रोल है. आज जहां एक ओर पहले से बने हाईवे (राष्ट्रीय/राज्यीय राजमार्ग) हैं, वहीं दूसरी ओर देश में कई एक्सप्रेस-वे भी बन चुके हैं, जो हाई-स्पीड यात्रा का नया चेहरा हैं. लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि हाईवे और एक्सप्रेस-वे में फर्क क्या है? और इन पर यात्रा करते समय टोल कितना देना पड़ता है और स्पीड लिमिट कितनी होती है? यह सब जानने के लिये पढ़े यह पूरी खबर
क्या है हाईवे और एक्सप्रेस-वे में अंतर?
हाईवे आमतौर पर ऐसी सड़कें होती हैं जो शहरों, कस्बों और गांवों को जोड़ती हैं. ये दो से चार लेन की हो सकती हैं और इनमें ट्रैफिक लाइट, यू-टर्न और क्रॉसिंग जैसी चीजें आम होती हैं. वहीं, एक्सप्रेस-वे पूरी तरह कंट्रोल्ड-एक्सेस सड़कें होती हैं, जो लंबी दूरी तय करने के लिए बनी होती हैं.
हाईवे क्या होता है?
हाईवे ऐसी सड़क होती है जो शहरों, गांवों और कस्बों को आपस में जोड़ती है. यह 2 से 4 लेन की होती है. इन पर हर तरह की गाड़ियां चलती हैं – जैसे ट्रैक्टर, साइकिल, बाइक, ट्रक आदि, कई बार इन पर यू-टर्न, ट्रैफिक लाइट और पैदल लोग भी मिल जाते हैं.
स्पीड लिमिट: आमतौर पर 80-100 किमी/घंटा
टोल: कम या कुछ जगहों पर फ्री भी
एक्सप्रेस-वे क्या होता है?
एक्सप्रेस-वे हाईवे से भी ज्यादा एडवांस और तेज़ सड़क होती है. ये 6 से 8 लेन की होती है और इन पर सिर्फ फास्ट गाड़ियां चलती हैं। इन पर पैदल चलना, ट्रैक्टर या धीमी गाड़ियां नहीं चल सकतीं. यह ऊंचाई पर बनी होती है और इसके लिए खास एंट्री और एग्जिट रैम्प बनाए जाते हैं.
स्पीड लिमिट: 100-120 किमी/घंटा (कई जगह 130 किमी तक)
टोल-टैक्स और स्पीड लिमिट
एक्सप्रेस-वे पर एक्सप्रेस वाली सुविधा के लिए लोगों को हाईवे के मुताबिक में टोल टैक्स भी ज्यादा देना होता है. एक्प्रसवे को 120 किमी/घंटा की अधिकतम गति के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि हाईवे पर अधिकतम स्पीड 80 से 100 किमी/घंटे की होती है. वहीं, नेशनल हाईवे NH44 को देश का सबसे लंबा हाईवे कहा जाता है, जिसकी कुल लंबाई 3745 किलोमीटर है, ये हाईवे श्रीनगर से होकर कन्याकुमारी तक जाता है.
एक्सप्रेसवे और हाईवे पर टोल-टैक्स का भुगतान फास्टैग या GNSS-आधारित सिस्टम के माध्यम से होता है, जिसमें आमतौर पर निजी वाहनों के लिए पहले 20 किलोमीटर तक टोल नहीं लगता है. टोल दरें वाहन के प्रकार और सड़क के हिस्से (जैसे सुरंग, फ्लाईओवर) के आधार पर तय होती हैं, और अब एलिवेटेड हिस्सों पर टोल कम हो गया है . एक्सप्रेसवे पर स्पीड लिमिट वाहन और सड़क के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होती है, जैसे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर अधिकतम 100 किमी/घंटा है, जबकि गंगा एक्सप्रेसवे पर 120 किमी/घंटा तक हो सकती है.
सालभर मिलेगी Toll Tax से छुट्टी
भारत सरकार की ओर से इस तरह की सुविधा को शुरू करने का सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस वे का उपयोग करते हैं. ऐसे में मौजूदा व्यवस्था में लोगों को बार बार फास्टैग रिचार्ज करवाना होता है, जिसमें हजारों रुपये का टोल देना पड़ता है. नई व्यवस्था के लागू होने के बाद सिर्फ 3 हजार रुपये में ही लोगों को एक साल तक बिना रिचार्ज किए ही सफर करने की सुविधा मिल जाएगी. इसके अलावा टोल बूथ पर लगने वाली लाइन भी कम होगी जिससे लोगों के समय की बचत भी हो पाएगी.
यह भी पढे़- बिहार को 6000 करोड़ की सौगात, इन जिलों के लिए 4 लेन हाई वे की मंजूरी; इस रेल ट्रैक का होगा दोहरीकरण
FASTag वार्षिक पास NHAI के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर ही लागू होता है, राज्य सरकार के अधीन राज्य राजमार्गों पर नहीं. उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख एक्सप्रेसवे राज्य सरकार के अधीन स्टेट हाईवे हैं, इसलिए इन पर वार्षिक पास मान्य नहीं होगा और टोल का पैसा आपके सामान्य FASTag खाते से ही कटेगा.