भारत- US ट्रेड डील में पहले हट सकती है पेनाल्टी, 50 से घटकर 25 फीसदी हो जाएगा टैरिफ; रिपोर्ट में दावा

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी ट्रेड डील पर फिर उम्मीद बढ़ी है. पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की फोन कॉल के बाद उम्मीद है कि पहले चरण में रूस तेल पर 25 फीसदी पेनाल्टी टैरिफ हट सकता है और भारत अपने रिवर्स टैरिफ से 15 से 16 फीसदी तक घटा सकता है. हालांकि एग्रीकल्चर और डिजिटल ट्रेड जैसे मुद्दे अभी भी बड़ी रुकावट बने हुए हैं.

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी ट्रेड डील पर फिर उम्मीद बढ़ी है. Image Credit: Money9live

India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी ट्रेड डील पर अब फिर से उम्मीद जग उठी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुई फोन कॉल के बाद माहौल पॉजिटिव माना जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण में रूस तेल से जुड़ा 25 फीसदी पेनाल्टी टैरिफ हटाया जा सकता है. साथ ही भारत अपने कुछ रिवर्स टैरिफ को भी कम कर सकता है. इस बातचीत ने दोनों देशों के बीच सामरिक रिश्तो को और मजबूत करने का संकेत दिया है.

हट सकता है 25 फीसदी पेनाल्टी टैरिफ

CNBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण का सबसे बड़ा कदम रूस तेल मुद्दे पर लगे 25 फीसदी पेनाल्टी टैरिफ को हटाना हो सकता है. यह टैरिफ दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में तनाव की वजह बना हुआ है. टैरिफ हटने से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक माहौल बेहतर हो सकता है.

भारत घटा सकता है टैरिफ

अगर अमेरिका पेनाल्टी टैरिफ हटाता है तो भारत भी जवाब में अपने रिवर्स टैरिफ को घटाकर 15 से 16 फीसदी तक ला सकता है. यह टैरिफ अमेरिका द्वारा लिए गए फैसले के बदले में लगाए गए थे. यदि ये कम होते है तो आयात और निर्यात दोनों तरफ असर दिखाई देगा. भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी और इम्पोर्टेड गुड्स की कास्ट भी घट सकती है. यह कदम डील को आगे बढ़ाने में सहायक माना जा रहा है.

मोदी ट्रम्प बातचीत से बढ़ी उम्मीदें

कल 11 दिसंबर को पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया था कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से बात की है. मोदी ने बताया कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक साझेदारी में हो रही प्रगति की समीक्षा की. साथ ही व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, रक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग तेज करने पर सहमति बनी. हालांकि ट्रेड डील पर आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन बातचीत पॉजिटिव रही. इसे व्यापार डील को लेकर एक मजबूत संकेत माना जा रहा है. जानकारों का मानना है कि इस तरह की बातचीत डील को आगे बढ़ाने में मदद करती है.

एग्रीकल्चर क्षेत्र बना बड़ी रुकावट

दोनों देशों के बीच ट्रेड डील में एग्रीकल्चर सेक्टर सबसे बड़ी चुनौती है. अमेरिका चाहता है कि भारत डेयरी, मीट और पोल्ट्री उत्पादों के लिए उसके हेल्थ सर्टिफिकेशन को स्वीकार करें. लेकिन भारत डेयरी क्षेत्र को बेहद संवेदनशील मानता है. पशु आहार को लेकर चिंता के कारण भारत इसके लिए तैयार नहीं है. इसी वजह से एग्रीकल्चर सेक्टर में समझौता करना मुश्किल हो रहा है. अगर इस बिंदु पर समाधान ना निकला तो डील आगे खिंच सकती है.

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डिजिटल ट्रेड पर भी अड़चन संभव

इसके अलावा डिजिटल ट्रेड भी एक बड़ा मुद्दा है. अमेरिका चाहता है कि भारत ई कॉमर्स कंपनियों को मार्केटप्लेस मॉडल से इन्वेंटरी आधारित मॉडल में बदलने पर विचार करें. भारत इसका विरोध करता है क्योंकि यह उसकी डिजिटल पॉलिसी और ऑटोनोमी के खिलाफ माना जाता है. यदि यह मुद्दा चर्चा में आया तो डील में और देरी हो सकती है.