US Fed से 25 bps रेट कट की उम्मीद, जानें भारतीय बाजार पर कैसा होगा इस फैसले का असर?
US Fed अपनी 2025 की आखिरी बैठक में 25 bps रेट कट कर सकता है. कमजोर लेबर मार्केट, स्लो वेज ग्रोथ और टैरिफ-जनित महंगाई के बीच लिया गया यह फैसला Indian Market के लिए अहम होगा. रेट कट से FII फ्लो और रुपये को सपोर्ट मिल सकता है, जबकि हॉकिश संकेत आए तो D-Street पर दबाव बढ़ने की आशंका है.
US Federal Reserve बुधवार को इस साल का आखिरी पॉलिसी फैसला जारी करने वाला है. बाजार और एनालिस्ट यह तय मान रहे हैं कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा. सरकार के शटडाउन की वजह से नवंबर के जॉब और महंगाई के सरकारी आंकड़े देरी से मिल रहे हैं, लेकिन कमजोर लेबर मार्केट और स्लो वेज ग्रोथ ने फेड को नरम रुख अपनाने की गुंजाइश दी है. फेड ऐसी स्थिति में है जहां उसे टैरिफ-जनित महंगाई और ठंडे पड़ते रोजगार बाजार के बीच संतुलन साधना होगा.
ब्रोकरेज हाउसों का रुख रेट कट की ओर झुका
BofA, JP Morgan, Citigroup, Barclays, Deutsche Bank, UBS और Goldman Sachs जैसे ग्लोबल ब्रोकरेज अब 3.75–4.00% की रेट रेंज की उम्मीद कर रहे हैं. Nomura, Morgan Stanley और Standard Chartered ने भी अपना ‘नो कट’ स्टांस बदलते हुए दिसंबर में कटौती की संभावना जताई है. सितंबर और अक्टूबर में पहले ही 25-25 bps की कटौती हो चुकी है, जिससे संकेत मिलता है कि फेड मौद्रिक नीति में धीरे-धीरे ढील देने के चक्र में प्रवेश कर चुका है.
पावेल का टोन
ET की एक रिपोर्ट में Yardeni Research के हवाले से बताया गया है कि 25 bps रेट कट, तो बाजार पहले ही डिस्काउंट कर चुका है. अब निवेशकों की नजर इस बात पर होगी कि पावेल का टोन डोविश रहता है या हॉकिश. अगर पावेल आगे और नरमी का संकेत देते हैं, तो वैश्विक बाजारों में रिस्क ऑन सेंटिमेंट मजबूत होगा. हालांकि, ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत और चीन पर जारी टैरिफ दबाव महंगाई के लैंडस्केप को जटिल बनाए रख सकता है.
ग्लोबल बाजार संकेतों में सतर्कता
घोषणा से पहले वॉल स्ट्रीट के इंडेक्स नैरो रेंज में रहे, जबकि यूरोपीय बाजारों में मिक्स रुख दिखा. निवेशक किसी बड़े रुख की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो 2025 की पहली तिमाही में ग्लोबल फंड फ्लो और इक्विटी वैल्यूएशन की दिशा साफ करेगा.
भारतीय बाजार पर रेट कट का संभावित असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि VT Markets के Ross Maxwell मानते हैं कि रेट कट या नरम संकेत भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए पॉजिटिव साबित होंगे. इससे FII निवेश में रिवर्सल की संभावना बढ़ेगी, जो लंबे समय से दबाव में था. FII फ्लो में सुधार से रुपये की मजबूती और इक्विटी वैल्यूएशन को समर्थन मिलने की उम्मीद है. खासकर लार्जकैप और फाइनेंशियल सेक्टर को इसका लाभ मिल सकता है.
हॉकिश फेड होने पर बढ़ सकता है दबाव
अगर फेड यह संकेत देता है कि मौद्रिक नीति अभी भी लंबे समय तक कड़ी रह सकती है, तो भारतीय बाजारों पर इसका उल्टा असर होगा. ऐसी स्थिति में FII आउटफ्लो जारी रह सकते हैं, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ेगा. साथ ही कैपिटल-इंटेंसिव सेक्टर जैसे रियल एस्टेट, NBFC और टेक में बिकवाली का रुझान उभर सकता है.
दिशा तय करेगी पॉलिसी की भाषा
भारतीय बाजारों के लिए असली गेम-चेंजर यह होगा कि फेड सिर्फ 25 bps कट करता है या इसके साथ आगे ढील के संकेत भी देता है. डोविश स्टांस आने वाले हफ्तों में D-Street में रैली का माहौल बना सकता है, जबकि हॉकिश टिप्पणी एक बार फिर बाजार को सतर्क मोड में धकेल सकती है.
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