इंडियन आर्मी के ड्रोन-हेलिकॉप्टर को दुरुस्त रखती है ये कंपनी, DRDO-ISRO इसके क्लाइंट; मल्टीबैगर है स्टॉक

भारतीय सेना के पास मौजूद आधुनिक ड्रोन, हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमान आखिर किस तकनीक के सहारे इतनी सटीकता से काम करते हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि उनके पीछे कौन सी भारतीय कंपनी है जो यह सब संभव बनाती है? जानिए इस कंपनी की इनसाइड स्टोरी...

डिफेंस डील्स से मालामाल हुई ये कंपनी Image Credit: Money9 Live

हैदराबाद की Astra Microwave Products Ltd पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने लगी है. कंपनी रेडियो फ्रिक्वेंसी (RF) और माइक्रोवेव तकनीक के जरिये भारतीय सेना के ड्रोन, हेलिकॉप्टर तथा लड़ाकू विमानों के संचार और निगरानी प्रणालियां तैयार करती है. अब केवल युद्ध के मैदान में ही नहीं, बल्कि शेयर बाजार में भी कंपनी ने अपनी बढ़ोतरी से निवेशकों का ध्यान खींचा है. बीते पांच साल में कंपनी ने 1000 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है.

कंपनी की आर्थिक स्थिति

Astra Microwave Products Ltd का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 11,210 करोड़ रुपये है. 5 जून 2025 को इसके शेयर की कीमत 1,180 रुपये पर बंद हुई. P/E अनुपात 73 गुना है, जबकि ROCE और ROE क्रमशः 19.1% और 14.9% दर्ज किए गए हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों में कंपनी का लोन बढ़कर 238 करोड़ रुपये हो गया है, लेकिन Q1 FY25 में कुल ऑर्डर बुक बढ़कर 2,100 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जो FY24 के राजस्व से दोगुना है.

इस ऑर्डर बुक में डिफेंस सेक्टर का योगदान लगभग 78 फीसदी है, जबकि निर्यात लगभग 12 फीसदी और अंतरिक्ष संबंधी ऑर्डर 6 फीसदी पर हैं.

डिफेंस सेक्टर में भूमिका

एस्ट्रा माइक्रोवेव अपने पांच फैक्ट्री यूनिट्स में RF और माइक्रोवेव कंपोनेंट का निर्माण करती है. इन कंपोनेंट का इस्तेमाल मुख्य रूप से निम्नलिखित कामों में होता है:

  • रडार सब-सिस्टम: कंपनी विभिन्न रडार सिस्टम के RF मॉड्यूल, एक्साइटर और रिसीवर वगैरह तैयार करती है. ये रडार हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमानों को हवा में सुरक्षित नेविगेशन और पहचान में मदद देते हैं.
  • टेलीमेट्री ट्रांसमीटर्स: फ्लाइट टेस्ट के दौरान रडार और सेंसर से मिल रहे डेटा को ग्राउंड स्टेशन तक रीयल-टाइम में भेजने का काम करते हैं. इस डेटा से वायु सेना विमानों का पर्फॉर्मेंस इवैल्यूएट करती है.
  • मेटेरियल सेंसर: हेलिकॉप्टर या ड्रोन के ढांचे में किसी भी तरह की थकावट या दरार आने पर समय रहते अलर्ट देते हैं, जिससे रखरखाव सुगम हो जाता है.
  • SDR (Software Defined Radio): Astra Rafael Comsys Pvt Ltd नामक कंपनी द्वारा विकसित इस तकनीक से सैनिक विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर संचार कर सकते हैं. इस टेक्नोलॉजी से पहले आर्मी को अलग अलग फ्रीक्वेंसी के लिए अलग-अलग इक्विपमेंट चाहिए होते हैं.

कंपनी के बनाए सिस्टम का इस्तेमाल DRDO, HAL, BEL और ISRO जैसे संगठनों द्वारा होता है. हाल ही में कंपनी ने HAL के साथ मिलकर Tejas Mk1A और MkII विमानों के लिए Uttam AESA रडार डिजाइन किया है.

प्रमुख साझेदार और आने वाले प्रोजेक्ट

Astra Microwave का क्लाइंट बेस इंडियन रक्षा सार्वजनिक उपक्रम (DPSU), DRDO लैब, ISRO तथा विदेशी OEMs तक फैला है. इसके अलावा लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के साथ संयुक्त रूप से रडार तकनीक विकसित करने के लिए भी कंपनी ने समझौता किया है.

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अगले कुछ वर्षों में Astra, एंटी-ड्रोन सिस्टम, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स एंड सैटेलाइट संचार डिवाइसेस में भी अपना दायरा बढ़ाना चाहती है. FY25 में कंपनी ने 1,200–1,300 करोड़ रुपये के ऑर्डर बुक और 1,000–1,100 करोड़ रुपये की बिक्री हासिल करने का लक्ष्य रखा है.

गुरुवार यानी 5 जून को कंपनी के शेयर लगभग तीन फीसदी के तेजी के साथ 1,178.60 रुपये पर बंद हुए. महज एक महीने में ही कंपनी ने निवेशकों को 38 फीसदी का मुनाफा दिया है, और बीते पांच साल में कंपनी 1390 फीसदी का रिटर्न देकर मल्टीबैगर स्टॉक के लिस्ट में आ चुकी है.

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