इस इंफ्रा कंपनी को NHAI से मिला ₹879 करोड़ का बड़ा ठेका, शेयरों में दिखी तेजी; ₹18610 करोड़ का ऑर्डर बुक
इस इंफ्रा कंपनी को तमिलनाडु में NHAI से 879 करोड़ रुपये का बड़ा हाईवे अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट मिला है, जिससे कंपनी के शेयरों में हल्की तेजी देखी गई. मजबूत ऑर्डर बुक और EPC–HAM मॉडल के संतुलित मिश्रण से कंपनी को स्थिर लॉन्ग टर्म इनकम की उम्मीद है. इसका असर कंपनी के शेयरों पर भी दिखा. इसमें तेजी देखी गई. जानें क्या है हाल.
Dilip Buildcon Bagged Order: इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाली Dilip Buildcon Ltd आज खबरों में रही क्योंकि कंपनी ने तमिलनाडु में एक बड़े प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है. कंपनी देशभर में विभिन्न सरकारी एजेंसियों, स्पेशल पर्पस व्हीकल्स (SPVs) और अन्य संस्थाओं के लिए इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (EPC) मॉडल पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य करती है. कंपनी का मार्केट कैप 7,627 करोड़ रुपये है और इसके शेयर 477 रुपये पर बंद हुए. पिछले पांच सालों में स्टॉक ने 33.66 फीसदी का रिटर्न दिया है. शेयर का PE 17.9 है, जो इंडस्ट्री PE 19.2 की तुलना में कम है.
क्या मिला है काम?
नया मिला ऑर्डर कंपनी के लिए काफी अहम है. दिलीप बिल्डकॉन को NHAI से 879.30 करोड़ रुपये का बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिला है, जिसके तहत कंपनी तमिलनाडु में NH-49 (नया NH-87) के परमाकुडी से रामनाथपुरम तक 46.665 किलोमीटर लंबे हिस्से को चार-लेन हाईवे में अपग्रेड करेगी. इस प्रोजेक्ट का निर्माण हाइब्रिड ए-1टी मॉडल (HAM) के तहत किया जाएगा, जिसमें एक हिस्सा सरकार की ओर से वित्तपोषित होता है और बाकी निजी निवेश से पूरा होता है. इस मॉडल में कंपनी को निर्माण के लिए 24 महीने का समय दिया गया है और सड़क के तैयार होने के बाद अगले 15 सालों तक इसका संचालन और रखरखाव भी कंपनी ही करेगी.
क्या है शेयर का हाल?
कंपनी ने दोपहर 12 बजे के आस-पास फाइलिंग कर ऑर्डर की जानकारी दी थी. इसका असर स्टॉक पर दिखा भी. कंपनी के शेयर शुक्रवार, 28 नवंबर को 1.59 फीसदी की तेजी के साथ 476.95 रुपये पर कारोबार करते हुए बंद हुए. पिछले कुछ समय से स्टॉक का प्रदर्शन काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा. पिछले सालभर में कंपनी के शेयर में केवल 5 फीसदी की तेजी आई. वहीं, 3 साल के दौरान स्टॉक का भाव 113.83 फीसदी तक चढ़ा है.
कैसी है वित्तीय स्थिति?
वित्तीय रूप से देखें तो कंपनी के हालिया नतीजे कुछ कमजोर रहे हैं. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (Q2 FY26) में कंपनी का राजस्व घटकर 1,926 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले वर्ष की समान तिमाही में यह 2,497 करोड़ रुपये था, यानी लगभग 23 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. इसी अवधि में मुनाफा भी लगभग 20 फीसदी कम होकर 266 करोड़ रुपये से घटकर 214 करोड़ रुपये रह गया. हालांकि प्रदर्शन में आई गिरावट चिंता का संकेत हो सकती है, लेकिन कंपनी की मजबूत और विविधता से भरपूर ऑर्डर बुक इसे लंबे समय में स्थिरता प्रदान करती है.
बड़ा ऑर्डर बुक
वर्तमान में कंपनी के पास 18,610 करोड़ रुपये की बड़ी ऑर्डर बुक है, जिसमें सिंचाई परियोजनाएं 26 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे हैं, जबकि खनन 22 फीसदी और सड़क प्रोजेक्ट 14 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. इसके अलावा, टनल प्रोजेक्ट्स 10 फीसदी से योगदान दे रहे हैं और शेष कामों में मेट्रो, रेलवे, स्पेशल ब्रिज, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, रिन्यूएबल एनर्जी और शहरी विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
कैसी है ऑर्डर बुक की स्थिति?
प्रोजेक्ट के प्रकारों की बात करें तो कंपनी की कुल ऑर्डर बुक में 75 फीसदी हिस्सेदारी EPC प्रोजेक्ट्स की है, जो तेजी से रेवेन्यू लाते हैं और समय पर भुगतान की सुविधा भी देते हैं. वहीं बाकी 25 फीसदी हिस्सेदारी HAM प्रोजेक्ट्स की है, जो लंबे समय तक स्थिर आय का स्रोत बनते हैं. EPC और HAM का यह संतुलित मिश्रण कंपनी को एक ओर तात्कालिक आय का भरोसा देता है और दूसरी ओर कई वर्षों तक टिकाऊ कैश फ्लो सुनिश्चित करता है.
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डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.