2025 में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से निकाले रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये, डॉलर की चाल ने बदला खेल
2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शेयर बाजारों से 1.58 लाख करोड़ रुपये निकाले. जबकि कर्ज के बाजार में उन्होंने 59,000 करोड़ रुपये निवेश किए. यह साल 2025 को भारतीय इक्विटी में निवेश के लिहाज से सबसे खराब साल बनाता है.
FIIs: 2025 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. डॉलर और रुपये के बदलते भाव, वैश्विक व्यापार तनाव और उच्च शेयर कीमतों ने निवेशकों का भरोसा कम किया. अमेरिका में संभावित टैरिफ और उभरते बाजारों की तुलना में विकसित बाजारों में बेहतर रिटर्न ने भी विदेशी निवेशकों को भारत से दूर किया. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 में यह स्थिति बदल सकती है.
भारतीय कंपनियों की कमाई बढ़ने और नीतिगत सुधारों के कारण विदेशी निवेशक फिर से भारतीय बाजार में निवेश करना शुरू कर सकते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौता, अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती और डॉलर की कमजोरी से भारत में निवेश आकर्षक बनेगा. घरेलू नीतियां और बजट सुधार भी निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत देंगे.
2025 में एफपीआई का रिकॉर्ड आउटफ्लो
2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शेयर बाजारों से 1.58 लाख करोड़ रुपये निकाले. जबकि कर्ज के बाजार में उन्होंने 59,000 करोड़ रुपये निवेश किए. यह साल 2025 को भारतीय इक्विटी में निवेश के लिहाज से सबसे खराब साल बनाता है. इससे पहले 2022 में 1.21 लाख करोड़ रुपये का आउटफ्लो रिकॉर्ड था और 2024 में केवल 427 करोड़ रुपये का मामूली निवेश हुआ था. 2023 में निवेशकों ने 1.71 लाख करोड़ रुपये शेयरों में लगाए थे.
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव
एफपीआई ने 2025 में 12 महीनों में से आठ महीनों में शेयर बेचे. केवल अप्रैल, मई, जून और अक्टूबर में उन्होंने निवेश किया. शेयर बाजार में एफपीआई की बिकवाली को घरेलू संस्थागत निवेश और खुदरा निवेशकों के सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) ने संतुलित किया. कर्ज के बाजार में एफपीआई की रुचि बढ़ी. भारत के सरकारी बॉन्ड को ग्लोबल इंडेक्स में शामिल करने से और उच्च ब्याज दर के कारण निवेशकों ने कर्ज में पैसा लगाया. इससे उन्हें सुरक्षित रिटर्न और भविष्य में कैपिटल गेन का मौका मिला.
किन सेक्टरों से सबसे ज्यादा पैसा निकला
वित्तीय सेवाएं और आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा पैसा निकला. इसके पीछे अमेरिका में धीमी वृद्धि, पूंजी खर्च में कमी और नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव था. वहीं हेल्थकेयर, यूटिलिटीज और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश हुआ. इसके पीछे लंबी अवधि के निवेशक थीम जैसे Infrastructure और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम थे.
2026 में निवेश लौट सकता है
अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती, डॉलर की कमजोरी और भारत में मजबूत कंपनी कमाई से निवेशकों का रुझान फिर से सकारात्मक हो सकता है. घरेलू नीतियां, बजट सुधार और स्थिर आर्थिक स्थिति विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकती है. 2025 विदेशी निवेशकों के लिए कठिन साल रहा. शेयर बाजार से पैसा निकला लेकिन कर्ज और कुछ मजबूत सेक्टर में निवेश हुआ.
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