HDB Financial लिस्टिंग के बाद भी मचा रहा धूम, ये खास लोग जमकर छाप रहे पैसा, क्या चूक गए छोटे निवेशक
एचडीएफसी बैंक की सहायक कंपनी एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज अपने आईपीओ के वक्त से ही सुर्खियाें में थी. मार्केट में शानदार एंट्री के बाद से ही इसके शेयर बाजार में धमाल मचा रहे हैं, इसमें पैसा लगाने वाले निवेशक अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, तो किस कैटेगरी के निवेशकों की हो रही है चांदी और किस वजह से इन्होंने लगाया था इसमें पैसा, जानें वजह.

HDB Financial Services के शेयर लिस्टिंग के समय से ही चर्चाओं में है. 2 जुलाई को मार्केट में एंट्री के साथ ही इसने निवेशकों को अच्छा मुनाफा कराया. पहले ही दिन ये 14% की छलांग लगाकर 835 रुपये पर खुला. जबकि सेशन के आखिर में यह बढ़त के साथ 840.90 रुपये पर बंद हुआ, जिसके चलते यह साल के सबसे सफल IPOs में से एक बना गया. एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज की लिस्टिंग से रिटेल निवेशकों को भले ही मामूली फायदा हुआ हो, लेकिन संस्थागत निवेशकों की चांदी हो गई. HDB Financial Services IPO में संस्थागत निवेशक यानी QIB कैटेगरी ने ही सबसे ज्यादा पैसा लगाया था. तो इस श्रेणी के निवेशकों को कितना हुआ मुनाफा और आगे की क्या है रणनीति जानें पूरी डिटेल.
HDB Financial Services के शेयरों ने मचाया तहलका
एचडीबी फाइनेंशियल के शेयरों ने गुरुवार को शेयर बाजार में तहलका मचा दिया. BSE पर यह स्टॉक 6% उछलकर 891.65 रुपये के इंट्राडे हाई पर पहुंच गया, जिससे IPO निवेशकों को 740 रुपये के इश्यू प्राइस से 20.5% का शानदार मुनाफा मिला. दिन के अंत में शेयर 2.88% की बढ़त के साथ 865.1 रुपये पर बंद हुआ.
संस्थागत निवेशकों ने क्यों लगाया पैसा?
HDB के 12,500 करोड़ रुपये के IPO में QIBs ने 55.47 गुना सब्सक्रिप्शन के साथ जोरदार भरोसा दिखाया था. एक्सपर्ट्स का कहना है कि संस्थागत निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं. HDB का मजबूत पैरेंटेज और स्केलेबल बिजनेस मॉडल उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा HDFC बैंक की डिस्ट्रीब्यूशन ताकत और HDB की 1,700+ ब्रांचों के साथ टियर 2-4 शहरों में फिजिटल पहुंच इसे अलग बनाती है. इन वजहों के कारण संस्थागत निवेशकों ने इसमें जमकर पैसा लगाया था. इसके अलावा कंपनी को 23% लोन बुक CAGR और 16.8% का कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो इसे NBFC सेक्टर में एक मजबूत दावेदार बनाता है.
NBFC सेक्टर में सेट किया बेंचमार्क
जानकारों के मुताबिक संस्थागत निवेशक सिर्फ एक NBFC नहीं, बल्कि भारत की वित्तीय व्यवस्था में कंपनी की पकड़ देखते हुए निवेश की रणनीति अपनाई है. चूंकि HDB की 1700 से ज्यादा ब्रांचें ऐसी मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, जिसे कोई फिनटेक रातोंरात नहीं बना सकता.यही वजह है कि HDB की इस रैली ने NBFC सेक्टर के लिए एक नया बेंचमार्क सेट किया है. कंपनी की ग्रोथ की संभावनाओं को देखते हुए संस्थागत निवेशकों ने लंबे समय के नजरिये से इसमें पैसा लगाया है.
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रिटेल निवेशक क्यों चूके मौका?
HDB Financial Services के आईपीओ की एंट्री को लेकर रिटेल निवेशक ज्यादा उत्साहित नहीं थे, क्योंकि IPO से पहले ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) सिर्फ 67-73 रुपये था, जो 8-9% की मामूली बढ़त का संकेत दे रहा था. कम लिस्टिंग गेन के नजरिये से रिटेल सब्सक्रिप्शन सिर्फ 1.4 गुना रहा था. रिटेल निवेशकों ने महज शॉर्ट टर्म का नजरिया अपनाया था और वे वेट एंड वॉच का रास्ता अपना रहे थे, जिसके चलते वे मौका चूक गए. जानकारों का कहना है कि NBFC वैल्यूएशंस पर मार्जिन प्रेशर और हाल के IPOs की नाकामी के चलते भी रिटेल निवेशकों ने हाथ पीछे खींचे थे.
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