कैसे करें सस्‍ते शेयरों की पहचान, जिनमें निवेश कर हो सकते हैं मालामाल

कंपनी के वित्तीय आंकड़ों, जैसे कि कमाई, लाभ, और बकाए कर्ज का विश्लेषण करें. अगर इन आंकड़ों के आधार पर स्टॉक का वैल्‍यूएशन कम है, तो वह अंडरवैल्यूड या ओवरवैल्यूड स्टॉक हो सकता है.

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शेयर बाजार में निवेश करने वाले नए निवेशकों को यह समझने में दिक्‍कत होती है कि कौन सा शेयर सस्‍ता है और कौन सा महंगा. सस्‍ते शेयरों में निवेश आपको बेहतरीन रिटर्न दे सकता है. वहीं, शेयरों में निवेश से आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है. यहां हम सस्‍ता मतलब 10 रुपये वाले या 30 पैसे की बात नहीं कर रहे हैं. सस्‍ता मतलब अंडरवैल्‍यूड शेयर और महंगा मतलब ओवरवैल्‍यूड शेयर. कैसे समझें कि कौन सा शेयर अंडरवैल्‍यूड है और कौन सा ओवरवैल्‍यूड, आइए जानते हैं.


अंडरवैल्यूड स्टॉक क्या है?

अंडरवैल्यूड स्टॉक वैसे शेयर होते हैं जिसकी मौजूदा कीमत उसकी वास्तविक मूल्य से कम होती है. इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमत, उस कंपनी के वास्तविक वित्तीय मूल्य से कम है.


ओवरवैल्यूड स्टॉक क्या है?

ओवरवैल्यूड स्टॉक वैसे शेयर होते हैं जिसका मौजूदा बाजार मूल्‍य उसकी वास्तविक मूल्य से ज्‍यादा होता है. इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमत, स्टॉक के वास्तविक कीमत से ज्यादा है.

कैसे पहचानें?

इसे पहचानने के कई तरीके हैं


फंडामेंटल एनालिसिस: कंपनी के वित्तीय आंकड़ों, जैसे कि कमाई, लाभ, और बकाए कर्ज का विश्लेषण करें. अगर इन आंकड़ों के आधार पर स्टॉक का वैल्‍यूएशन कम है, तो वह अंडरवैल्यूड या ओवरवैल्यूड स्टॉक हो सकता है.


प्राइस टु अर्निंग रेशियो (पीई रेशियो): फंडामेंटल एनालिसिस के बाद आपको उस स्टॉक का पीइ रेशियो देखना चाहिए. इसके बाद उसके 3 या 5 साल के मीडियन पीई रेशियो से तुलना करनी चाहिए. अगर स्टॉक की वर्तमान कीमत 3 या 5 साल के पीई रेशियो से कम है तो यह माना जा सकता है कि स्टॉक सस्ता है. अगर ज्यादा है तो स्टॉक महंगा माना जाना चाहिए.


बुक वैल्यू: फंडामेंटल और पीई रेशियो देखने के बाद अगला कदम बुक वैल्यू होता है. अगर स्टॉक का करेंट प्राइस बुक वैल्यू से कम है तो कम है तो यह मान सकते है कि स्टॉक सस्ता है. अगर ज्यादा है तो स्टॉक महंगा.