भारत में क्रिप्टो रेगुलेशन की तैयारी! जानें निवेशकों को कैसे होगा फायदा और कब तक आएंगे नए नियम
भारत सरकार अगले महीने क्रिप्टोकरेंसी पर एक नीति ड्राफ्ट के रूप में फ्लोट पेपर जारी कर सकती है. यह पेपर IMF और FSB की रिपोर्ट्स पर आधारित होगा और वैश्विक रुख को ध्यान में रखेगा. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा क्रिप्टो को समर्थन मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी आई है.

Crypto Regulation: भारत में क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक खुशखबरी है. सरकार देश में क्रिप्टो रेगुलेशन की दिशा में कदम उठा रही है. बहुत से निवेशक हैं जो चाहते हैं कि देश में क्रिप्टो को भी रेगुलाइज किया जाए ताकि निवेशकों को राहत मिल सके. अब सरकार अगले महीने क्रिप्टोकरेंसी पर एक अहम डिस्कशन पेपर जारी कर सकती है. इस पेपर के जरिए देश में क्रिप्टो एसेट्स के लिए कैसी पॉलिसी बनाई जाए इस पर सभी से राय मांगी जाएगी. इसमें आईएमएफ और एफएसबी के सुझावों पर आधारित यह पेपर विभिन्न देशों की नीतियों की तुलना करते हुए भारत के लिए कैसी पॉलिसी सही रहेगी इसके विकल्प सुझाएगा. हालांकि सरकार इस पॉलिसी को बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करेगी और इससे जुड़े सभी शेयरहोल्डर से बातचीत के बाद ही कोई फैसला लेगी.
क्रिप्टो को लेकर के अभी क्या है स्थिति
देश में क्रिप्टो गेन पर 30 प्रतिशत टैक्स लिया जाता है, लेकिन इससे इन्हें कानूनी मान्यता नहीं मिलती है. इसके अलावा सरकार ने यह भी अनिवार्य किया कि देश में काम करने वाले सभी क्रिप्टो एक्सचेंज फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट एफआईयू में रजिस्टर हों. वहीं भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई लगातार क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को लेकर सतर्क करता रहा है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग शामिल हैं. इसी कारण आरबीआई खुद की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी पर काम कर रहा है.
रेगुलाइज होने से क्या बदलाव होंगे
- नियमित और सुरक्षित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स
- सरकारी मान्यता मिलने के बाद क्रिप्टो एक्सचेंज को सेबी या किसी नियामक संस्था के अंतर्गत रजिस्टर करना होगा. इससे निवेशकों को धोखाधड़ी से सुरक्षा मिलेगी और लेनदेन अधिक ट्रांसपेरेंट होंगे.
- टैक्स सिस्टम में आएगी स्पष्टता
- रेगुलेशन से टैक्स नियम और भी स्पष्ट होंगे. अभी सिर्फ 30 फीसदी टैक्स लागू है, लेकिन आने वाले समय में लॉन्ग टर्म होल्डिंग या लेनदेन पर अलग अलग टैक्स स्लैब तय हो सकते हैं.
- विदेशी निवेश और स्टार्टअप को बढ़ावा
- रेगुलेशन से भारत में क्रिप्टो और ब्लॉकचेन आधारित स्टार्टअप्स को कानूनी आधार मिलेगा, जिससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और यह क्षेत्र रोजगार का भी बड़ा सोर्स बन सकता है.
- मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर कंट्रोल
- केवाईसी और अन्य निगरानी तंत्र लागू होने से क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी.
- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सीबीडीसी के साथ संतुलन
- रेगुलेटेड क्रिप्टोकरेंसी के चलते आरबीआई की डिजिटल करेंसी और अन्य क्रिप्टो में स्पष्ट अंतर बनाया जा सकेगा, जिससे दोनों का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा.
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पॉलिसी बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करेगी सरकार
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का कहना है कि भारत की क्रिप्टो नीति किसी जल्दबाजी में नहीं बनेगी. इसलिए सरकार इस पर पहले विस्तार से चर्चा करेगी और इसके हर पहलू की अच्छाई और खामियों पर गहन विचार करेगी. इसे बनाते हुए देश की जरूरत और आर्थिक हितों का ध्यान में रखा जाएगा. क्रिप्टो को लेकर आरबीआई ने पहले कई मौकों पर लोगों को आगाह किया है कि इससे ब्लैक मनी को व्हाइट में बदला जा सकता है.
अमेरिका के बदलते रुख का असर
सरकार के इस पहल के पीछे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का क्रिप्टो को लेकर बदला हुआ रुख एक अहम कारण है. सत्ता में आने के बाद वे इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं. उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने हाल ही में एक बिटकॉइन कॉन्फ्रेंस में कहा कि उद्योग को अमेरिकी कांग्रेस पर दबाव बनाए रखना चाहिए ताकि प्रो क्रिप्टो कानून पारित किए जा सकें. इसके अलावा कई अन्य देश भी इसे लेकर सकारात्मक रुख अपना रहे हैं. इसी को देखते हुए भारत भी अपना रुख तय कर रहा है.
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