नए ITR फॉर्म्स में बड़ा बदलाव, अब टैक्स सेविंग का प्रूफ देना होगा, नहीं तो रिजेक्ट हो सकता है रिटर्न
A.Y. 2025-26 के लिए जारी ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) फॉर्म्स में इनकम टैक्स विभाग ने कई बड़े बदलाव किए हैं. अब डिडक्शन क्लेम करते समय पॉलिसी नंबर, लोन अकाउंट नंबर, बैंक डिटेल्स जैसी जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है. एजुकेशन लोन, हाउस लोन और EV लोन पर मिलने वाली छूट के लिए भी पूरा डिटेल देना होगा.

Income Tax Return: अगर आप ITR-1 (सहज) या ITR-4 (सुगम) भरते हैं, तो इस बार की इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले ये खबर जरूर पढ़ लें. वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नए फॉर्म्स जारी कर दिए हैं. पहली नजर में ये फॉर्म्स पुराने जैसे लग सकते हैं, लेकिन अंदर से इनमें कई जरूरी जानकारियां जोड़ दी गई हैं. खास बात यह है कि पुराने टैक्स रिजीम के तहत कई सेक्शन जैसे 80C, 80D, 80E आदि में ज्यादा डिटेल्स मांगी जा रही हैं.
अब सिर्फ यह बताना काफी नहीं होगा कि आपने टैक्स सेविंग कर ली है, बल्कि आपको बताना होगा कि कहां से लोन लिया, पॉलिसी नंबर क्या है और किस कंपनी से बीमा कराया. यानी इस बार आपकी डिटेलिंग चूक गई तो रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है.
80C, 80D में मांगी जा रही ज्यादा डिटेल्स
इस बार 80C के तहत इंश्योरेंस पॉलिसी या निवेश का पॉलिसी नंबर या डॉक्यूमेंट ID देना जरूरी है. वहीं 80D (हेल्थ इंश्योरेंस) में बीमा कंपनी का नाम और पॉलिसी नंबर देना होगा. यह जानकारी पहले वैकल्पिक थी, लेकिन अब फॉर्म में अनिवार्य की गई है. इससे टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी, लेकिन ईमानदार टैक्सपेयर्स को थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.
हर जगह मांगी जाएगी पूरी जानकारी
सेक्शन 80E (एजुकेशन लोन), 80EE और 80EEA (हाउस प्रॉपर्टी लोन), और 80EEB (EV लोन) के तहत अब आपको यह बताना होगा कि लोन कब लिया, किस बैंक से लिया, कितना लिया, कितना बकाया है और लोन अकाउंट नंबर क्या है.
मेडिकल डिडक्शन में भी बढ़ा ट्रांसपेरेंसी
EV लोन पर डिडक्शन (80EEB) में अब वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर देना होगा. वहीं, गंभीर बीमारी के इलाज पर मिलने वाली छूट (80DDB) में अब बीमारी का नाम भी अनिवार्य रूप से भरना होगा. ये बदलाव पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किए गए हैं.
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अब LTCG की लिमिट में भी सहूलियत
अब जिन टैक्सपेयर्स को सेक्शन 112A के तहत 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन है (बिना किसी कैरी फॉरवर्ड लॉस के), वे भी ITR-1 और ITR-4 भर सकते हैं. पहले ऐसी स्थिति में इन्हें दूसरा फॉर्म चुनना पड़ता था.
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