2026 में क्या लौटेंगे शेयर बाजार के अच्छे दिन? Jefferies ने चीन से घटाया निवेश, भारत पर बढ़ाया दांव; पढ़ें रिपोर्ट
ग्लोबल शेयर बाजारों में अनिश्चितता के बीच Jefferies ने अपने Asia Pacific ex-Japan पोर्टफोलियो में बड़ा बदलाव किया है. भारत और ताइवान का वेटेज बढ़ाकर और चीन व इंडोनेशिया में निवेश घटाकर बैंक ने 2026 के लिए इक्विटी बाजारों की दिशा को लेकर अहम संकेत दिए हैं.
Jefferies Portfolio Fix Report 2026: साल 2025 के अंत में जब ग्लोबल शेयर बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है, तब ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंक Jefferies की नई रणनीति निवेशकों के लिए एक अहम संकेत लेकर आई है. Jefferies ने अपने Asia Pacific ex-Japan पोर्टफोलियो में बड़ा बदलाव करते हुए भारत और ताइवान पर भरोसा बढ़ाया है, जबकि चीन और इंडोनेशिया में निवेश घटाया है. बाजार जानकार इसे 2026 के लिए इक्विटी बाजारों की दिशा समझने का एक मजबूत संकेत मान रहे हैं.
क्या है जेफरीज की रिपोर्ट में?
Jefferies ने अपनी ताजा स्ट्रैटेजी रिपोर्ट में कहा है कि उसने भारत और ताइवान की हिस्सेदारी अपने रिलेटिव-रिटर्न पोर्टफोलियो में एक-एक फीसदी बढ़ा दी है. यह बढ़ोतरी सीधे तौर पर चीन और इंडोनेशिया में निवेश घटाकर की गई है. बैंक का मानना है कि आने वाले समय में एशिया के भीतर ग्रोथ और अर्निंग्स का संतुलन तेजी से बदल रहा है और भारत इसमें सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरा है.
नई एसेट एलोकेशन के तहत Jefferies ने भारत का वेटेज बढ़ाकर 17 फीसदी कर दिया है. यह दिखाता है कि ग्लोबल निवेशकों को भारत की मीडियम टर्म ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग, इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगातार खर्च और कॉरपोरेट बैलेंस शीट में सुधार की वजह से बाकी उभरते बाजारों से बेहतर स्थिति में है. यही वजह है कि Jefferies भारत को एशिया का पसंदीदा निवेश गंतव्य मान रहा है.
चीन पर कमजोर हुआ जेफरीज का रुख
दूसरी ओर, चीन को लेकर Jefferies का रुख पहले के मुकाबले सतर्क हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन की आर्थिक रिकवरी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और पॉलिसी फ्रेमवर्क भी निवेशकों के लिए पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. इसी कारण बैंक ने चीन में अपनी हिस्सेदारी घटाने का फैसला किया है. इंडोनेशिया में भी हल्की कटौती की गई है, जिससे साफ है कि Jefferies फिलहाल चुनिंदा बाजारों पर ही फोकस रखना चाहता है.
ताइवान को लेकर भी Jefferies का नजरिया काफी सकारात्मक है. बैंक का कहना है कि ग्लोबल सेमीकंडक्टर डिमांड में मजबूती का सबसे बड़ा फायदा ताइवान को मिल रहा है. खासकर हाई-एंड चिप मैन्युफैक्चरिंग में ताइवान की मजबूत पकड़ और टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा लगातार किया जा रहा कैपेक्स इसे ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम केंद्र बनाए हुए है. यही वजह है कि ताइवान को भी पोर्टफोलियो में ज्यादा जगह दी गई है.
ग्लोबल पोर्टफोलियो में भी आई बदलाव
Jefferies ने सिर्फ एशिया ही नहीं, बल्कि अपने ग्लोबल और इंटरनेशनल लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो में भी बदलाव किए हैं. बैंक ने इंडोनेशिया की Bank Central Asia को बाहर कर दिया है और उसकी जगह Samsung Electronics को शामिल किया है. यह बदलाव साफ तौर पर इस बात का संकेत है कि Jefferies बड़े और मजबूत टेक्नोलॉजी शेयरों पर दांव बढ़ा रहा है. बैंक का कहना है कि ये सभी बदलाव उसकी नियमित समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था, सेंट्रल बैंक की नीतियां और कंपनियों से जुड़े फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है. Jefferies ने यह भी साफ किया है कि आगे भी हालात के हिसाब से पोर्टफोलियो में बदलाव होते रहेंगे.
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