सरकार का ₹44,700 करोड़ का मास्टरप्लान, 3 शिपबिल्डिंग कंपनियां फोकस में, 2271% रिटर्न दे चुका है दिग्गज

सरकार का ₹44,700 करोड़ का यह निवेश सिर्फ नीतिगत ऐलान नहीं, बल्कि सेक्टर के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. शिपबिल्डिंग कंपनियों को लंबे समय तक ऑर्डर, पूंजी और नीति समर्थन मिलने की संभावना है. हालांकि, शेयर पहले ही अच्छा रिटर्न दे चुके हैं, इसलिए निवेश से पहले वैल्यूएशन और जोखिम को समझना जरूरी है.

शिपबिल्डिंग स्टॉक Image Credit: Money9 Live

Shipbuilding stocks in focus: भारत में शिपबिल्डिंग सेक्टर लंबे समय से नीति, पूंजी और तकनीक की कमी से जूझता रहा है. लेकिन अब सरकार इस सेक्टर को पूरी तरह नए स्तर पर ले जाने की तैयारी में है. केंद्र सरकार ने शिपबिल्डिंग से जुड़ी दो बड़ी योजनाओं- Shipbuilding Financial Assistance Scheme (SBFAS) और Shipbuilding Development Scheme (SbDS) के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित कर दिए हैं. इन दोनों योजनाओं के तहत कुल ₹44,700 करोड़ का निवेश किया जाएगा, जिसका सीधा फायदा देश की शिपबिल्डिंग कंपनियों और उनसे जुड़े शेयरों को मिल सकता है.

क्या है सरकार की नई शिपबिल्डिंग रणनीति?

भारत का करीब 95% विदेशी व्यापार समुद्री रास्तों से होता है, लेकिन ग्लोबल शिप प्रोडक्शन में देश की हिस्सेदारी 1% से भी कम है. यही वजह है कि इस सेक्टर में ग्रोथ की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं.

केंद्रीय पोर्ट्स, शिपिंग और वॉटरवेज मंत्रालय के मुताबिक, इन योजनाओं का मकसद भारत की घरेलू शिपबिल्डिंग क्षमता को मजबूत करना, ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा बढ़ाना और ‘मेक इन इंडिया’ को नई रफ्तार देना है. केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने प्रेस रिलीज के हवाले से कहा कि यह कदम भारत को एक मजबूत समुद्री राष्ट्र बनाने की दिशा में अहम है और इससे निवेश, रोजगार और तकनीकी क्षमता तीनों को बढ़ावा मिलेगा.

क्या है SBFAS और SbDS

Shipbuilding Financial Assistance Scheme के तहत सरकार ने ₹24,736 करोड़ का प्रावधान किया है. इस योजना में जहाज बनाने वाली कंपनियों को प्रति जहाज 15% से 25% तक की वित्तीय सहायता मिलेगी. छोटे, बड़े और स्पेशल कैटेगरी के जहाजों के लिए अलग-अलग सहायता तय की गई है. भुगतान चरणबद्ध तरीके से होगा और हर चरण पर स्वतंत्र मूल्यांकन अनिवार्य रहेगा. इससे सरकारी पैसे के इस्तेमाल में पारदर्शिता बनी रहेगी.

इस योजना के तहत अगले दस वर्षों में करीब ₹96,000 करोड़ के शिपबिल्डिंग प्रोजेक्ट्स को समर्थन मिलने की उम्मीद है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार दोनों को बड़ा सहारा मिलेगा.

दूसरी योजना, Shipbuilding Development Scheme, के लिए ₹19,989 करोड़ का बजट रखा गया है. इसका मकसद लंबी अवधि में शिपयार्ड्स की क्षमता और तकनीक को अपग्रेड करना है.

इसके तहत नए ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग क्लस्टर, मौजूदा शिपयार्ड्स का आधुनिकीकरण और इंडिया शिप टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना की जाएगी. सरकार यहां तक कि प्रोजेक्ट्स के लिए क्रेडिट रिस्क कवर भी देगी, ताकि बैंकों और निवेशकों का भरोसा बढ़े.

निवेशकों के लिए कौन से स्टॉक्स हैं अहम?

इस सेक्टर की तीन दिग्गज कंपनियां वैल्यू के हिसाब से कतार में सबसे आगे खड़ी मिलती हैं, ऐसे में निवेशकों को इनके शेयरों पर पैनी नजर बनाए रखना चाहिए.

  1. Mazagon Dock Shipbuilders

मझगांव डॉक भारत का सबसे बड़ा और सबसे एडवांस डिफेंस शिपयार्ड है. यह सतह पर चलने वाले युद्धपोतों और ट्रेडिशनल पनडुब्बियां, दोनों का निर्माण करने में सक्षम है. भारत के सबमरीन और डेस्ट्रॉयर प्रोग्राम में इसकी भूमिका बेहद अहम है.

पिछले 5 वर्षों में इस स्टॉक ने करीब 2271% का मल्टीबैगर रिटर्न दिया है, जो इसे सेक्टर का फ्लैगशिप स्टॉक बनाता है.

  1. Cochin Shipyard

कोचीन शिपयार्ड भारत का इकलौता ऐसा शिपयार्ड है, जिसने एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है.
इसके अलावा डिफेंस ऑर्डर बुक, कमर्शियल शिपबिल्डिंग की वापसी और रिपेयर व MRO बिजनेस इसे मजबूत बनाते हैं.

4 जनवरी को लिस्ट हुई इस कंपनी ने अब तक निवेशकों को 834% का रिटर्न दिया है. बीते शुक्रवार शेयर ₹1,652 पर बंद हुआ.

  1. Garden Reach Shipbuilders & Engineers (GRSE)

GRSE के पास फ्रिगेट, कॉर्वेट, पेट्रोल वेसल, रिसर्च शिप और एक्सपोर्ट शिप्स का मजबूत पोर्टफोलियो है. कंपनी कई यार्ड्स में अपनी क्षमता बढ़ा रही है और डिफेंस के साथ-साथ नॉन-डिफेंस और एक्सपोर्ट ऑर्डर्स पर भी फोकस कर रही है.

बीते शुक्रवार शेयर ₹2,496 पर बंद हुआ और 5 साल में 1177% का रिटर्न दे चुका है.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.