मकान बेचने पर टैक्स कैसे लगता है और किन तरीकों से बचाया जा सकता है, एक्सपर्ट से समझें पूरा गणित

घर बेचने से जुड़े टैक्स नियम अक्सर आम लोगों की नजर से ओझल रहते हैं. कई बार सही जानकारी के अभाव में लोग अनावश्यक टैक्स बोझ उठा लेते हैं. प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन से पहले कुछ अहम टैक्स प्रावधान और विकल्प समझ लेना भविष्य में बड़े वित्तीय नुकसान से बचा सकता है.

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बहुत से लोग, खासकर वे लोग जो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते, इस बात से अनजान होते हैं कि आवासीय मकान बेचने पर होने वाले मुनाफे पर भी टैक्स देना होता है. हालांकि कुछ परिस्थितियों में इस टैक्स को कानूनी तरीके से बचाया जा सकता है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स देनदारी

अगर कोई आवासीय मकान 24 महीने पूरे होने के बाद बेचा जाता है, तो उससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना मकान की बिक्री कीमत में से उसकी लागत घटाकर की जाती है. इस तरह निकाले गए कैपिटल गेन पर फ्लैट 12.50 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होता है.

यदि आप रेजिडेंट इंडिविजुअल या HUF हैं और मकान 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदा गया है, तो आपके पास दो विकल्प होते हैं. पहला, बिना इंडेक्सेशन के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 12.50 प्रतिशत टैक्स देना. दूसरा, इंडेक्सेशन के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 प्रतिशत टैक्स देना.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर यह टैक्स दर आपकी सामान्य टैक्स स्लैब से अलग होती है. अगर आपकी कोई अन्य आय नहीं है या आपकी अन्य आय टैक्सेबल लिमिट से कम है और आप टैक्स उद्देश्यों के लिए रेजिडेंट हैं, तो आपके लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से उतनी राशि घटा दी जाएगी, जितनी आपकी अन्य आय बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से कम है. यह भी ध्यान रखें कि सेक्शन 80C, 80D, 80G जैसी चैप्टर VIA की कोई भी कटौती लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के खिलाफ उपलब्ध नहीं होती.

अगर मकान 24 महीने से पहले बेच दिया जाता है, तो उससे होने वाला मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इस पर टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है. ऐसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स बचाने का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम चुनते हैं और आपकी कुल टैक्सेबल आय, जिसमें यह शॉर्ट टर्म गेन भी शामिल है, 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है तो टैक्स देना होगा. 60 वर्ष से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु वालों के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये है और 80 वर्ष से ऊपर वालों के लिए 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स देनदारी नहीं होती. टैक्सेबल इनकम की गणना जीवन बीमा, मेडिक्लेम, PPF या बैंक ब्याज जैसी कटौतियों के बाद की जाती है. अगर आप न्यू टैक्स रिजीम चुनते हैं, तो उम्र की परवाह किए बिना बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 4 लाख रुपये होती है.

टैक्स बचाने का पहला विकल्प – दूसरा आवासीय मकान खरीदना

आवासीय मकान की बिक्री से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स से छूट मिल सकती है, अगर आप इस कैपिटल गेन को भारत में किसी दूसरे रेडी-टू-मूव इन आवासीय मकान की खरीद में निवेश करते हैं. यह खरीद मकान बेचने की तारीख से दो साल के भीतर होनी चाहिए. अगर आपने मकान बेचने से एक साल पहले ही कोई आवासीय मकान खरीदा है, तब भी यह छूट मिल सकती है.

यदि आप स्वयं निर्माण (सेल्फ कंस्ट्रक्शन) करवा रहे हैं या किसी अंडर कंस्ट्रक्शन मकान को बुक करते हैं, तो उस मकान का निर्माण बिक्री की तारीख से तीन साल के भीतर पूरा होना चाहिए.

आमतौर पर एक आवासीय मकान की बिक्री से मिले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर छूट एक ही नए आवासीय मकान में निवेश पर मिलती है. लेकिन इनकम टैक्स कानून एक बार जीवन में यह विशेष मौका देता है कि अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक न हो, तो इसे दो आवासीय मकानों में निवेश किया जा सकता है.

आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की तय तारीख से पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की राशि का उपयोग नए मकान की खरीद या बिल्डर को भुगतान के लिए करना होता है. अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो बची हुई राशि को “कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम” के तहत बैंक में जमा कराना जरूरी होता है. इस खाते में जमा राशि को तय समय सीमा के भीतर उसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना होता है, अन्यथा तीन साल की अवधि पूरी होने पर जो राशि उपयोग में नहीं लाई गई, वह उसी साल टैक्सेबल हो जाती है.

इस छूट का लाभ लेते समय नए मकान की लागत में ब्रोकरेज, स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन चार्ज और ट्रांसफर चार्ज आदि भी शामिल माने जाते हैं और ये सभी छूट के लिए योग्य होते हैं. ध्यान रहे कि इस तरह खरीदे गए नए मकान को 36 महीने के भीतर बेचा नहीं जा सकता. अगर ऐसा किया गया, तो पहले ली गई टैक्स छूट उस साल रिवर्स हो जाएगी, जिस साल नया मकान बेचा गया है.

स्पेसिफिक बॉन्ड में निवेश

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स बचाने का दूसरा विकल्प यह है कि आप इस राशि को कुछ निर्दिष्ट वित्तीय संस्थानों के बॉन्ड में निवेश करें. इनमें नेशनल हाईवे अथॉरिटी, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन, रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन जैसी संस्थाएं शामिल हैं. यह निवेश मकान बेचने की तारीख से छह महीने के भीतर करना होता है.

इन बॉन्ड्स की अवधि पांच साल की होती है. इस दौरान बॉन्ड को रिडीम या गिरवी रखकर कोई सुविधा नहीं ली जा सकती, वरना ली गई टैक्स छूट रिवर्स हो जाती है. इन बॉन्ड्स पर सालाना 5.25 प्रतिशत ब्याज मिलता है. इस ब्याज पर पूरा टैक्स लगता है, लेकिन मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि टैक्स फ्री होती है.

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यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि एक वित्तीय वर्ष में और एक साल के कैपिटल गेन ट्रांजैक्शन के लिए इन बॉन्ड्स में अधिकतम 50 लाख रुपये तक ही निवेश किया जा सकता है. यह भी स्पष्ट है कि एक ही मकान की बिक्री से हुए कैपिटल गेन पर दोनों विकल्पों के तहत छूट लेने पर कोई रोक नहीं है.

एक अहम बात यह है कि इन दोनों ही मामलों में निवेश तब भी करना होता है, जब आपको मकान की पूरी बिक्री राशि अभी मिलना बाकी हो.

लेखक एक टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं. आप उन्हें jainbalwant@gmail.com पर या ट्विटर हैंडल @jainbalwant पर संपर्क कर सकते हैं.