Market Outlook 3 Dec: निफ्टी में शॉर्ट टर्म डाउन ट्रेंड, रुपये की कमजोरी और FII बिकवाली ने बदला सेंटिमेंट

कमजोर रुपये, लगातार FII बिकवाली और NSE सेक्टोरल ओवरहॉल के दबाव में बाजार बेयरिश ट्रेंड में दिख रहा है. मंगलवार को Sensex 503 अंक और Nifty 143 अंक टूटा. निफ्टी 26,000 के करीब फिसला और शॉर्ट-टर्म ट्रेंड कमजोर हुआ. अब कहां है सपोर्ट और कब मिलेगी तेजी, जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?

बाजार में बिकवाली हावी Image Credit: canva

कमजोर होते रुपये और लगातार FII बिकवाली ने घरेलू बाजारों में शॉर्ट-टर्म प्रेशर और बढ़ा दिया है. NSE के सेक्टोरल इंडेक्स ओवरहॉल ने बैंकिंग शेयरों पर अतिरिक्त दबाव डाला, जिससे मंगलवार को बाजार लाल निशान में बंद हुआ. Sensex 503.63 अंक की गिरावट के साथ 85,138.27 पर पहुंचा, जबकि Nifty 143.55 अंक टूटकर 26,032.20 पर आ गया. इंट्राडे वोलैटिलिटी और मुनाफावसूली के चलते मार्केट ब्रेड्थ भी कमजोर दिखी, जहां 1,518 शेयरों ने बढ़त ली और 2,453 स्टॉक्स गिरे.

सेंटिमेंट हुआ कमजोर

Geojit Investments के रिसर्च हेड विनोद नायर के मुताबिक रुपये की कमजोरी और लगातार विदेशी बिकवाली ने बाजार सेंटिमेंट को निर्णायक रूप से प्रभावित किया है. NSE के सेक्टोरल री-बैलेंसिंग ने प्रमुख बैंकिंग काउंटरों में करेक्शन को तेज किया. उनका कहना है कि मजबूत GDP डेटा के बाद RBI के रेट-कट की उम्मीदें कम हुई हैं, जिससे निवेशकों की सतर्कता और बढ़ गई है. इसके साथ ही यूएस-इंडिया ट्रेड बातचीत को लेकर अनिश्चितता ने भी निवेशकों के मूड को दबाव में रखा है. हालांकि, नायर मानते हैं कि मजबूत घरेलू मैक्रो डाटा और दूसरी छमाही के लिए बेहतर अर्निंग्स आउटलुक बाजार को आगे सपोर्ट दे सकते हैं.

Nifty सपोर्ट के करीब

Choice Equity Broking की अमृता शिंदे का मानना है कि निफ्टी का लगातार गिरना शॉर्ट-टर्म वीकनेस को दर्शाता है. उनके अनुसार इंडेक्स अब 26,150–26,200 के रेजिस्टेंस जोन के नीचे संघर्ष कर रहा है और इसके ऊपर स्थिरता न मिलने से रिकवरी की संभावनाएं सीमित हो रही हैं. वे कहती हैं कि 26,300 तक की संभावित तेजी तभी संभव है, जब इंडेक्स 26,200 के ऊपर भेज दे. वहीं 25,900 और 25,800 के स्तर शॉर्ट-टर्म सपोर्ट के रूप में दिखाई दे रहे हैं और 26,000 का मनोवैज्ञानिक स्तर बाजार के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है.

20DEMA बना बैरियर

SBI Securities के सुदीप शाह के मुताबिक निफ्टी का शॉर्ट-टर्म सपोर्ट 20DEMA के आसपास 25,980–25,950 के बीच स्थित है. वे बताते हैं कि 26,140–26,160 का जोन अब एक अहम बाधा बन चुका है, जहां से इंडेक्स को लगातार रेजिस्टेंस मिल रहा है. Shah का कहना है कि यदि Nifty इस स्तर के ऊपर क्लोजिंग बेसिस पर टिक जाता है, तो बाजार में रिवर्सल की संभावना बन सकती है और तेजी का अगला लेग 26,300 तक का रास्ता खोल सकता है.

करैक्शन में खरीदारी का मौका

Bajaj Broking Research का आकलन है कि इंडेक्स ने लोअर हाई और लोअर लो के साथ एक बेयरिश कैंडल बनाई है, जो करेक्टिव कंसॉलिडेशन की निरंतरता को दर्शाती है. लगातार गिरावट के बावजूद ब्रोकरेज इसे एक हेल्दी ब्रीथर बता रहा है, क्योंकि Nifty अब भी दो महीने से चल रहे राइजिंग चैनल में ट्रेड कर रहा है. Bajaj Broking का मानना है कि 26,000–25,800 का जोन एक मजबूत डिमांड एरिया है, जहां से बाजार में रिकवरी की ठोस संभावनाएं दिखती हैं. उनके अनुसार यह करैक्शन लंबी अवधि के निवेशकों के लिए क्वालिटी स्टॉक्स में एंट्री का अच्छा अवसर साबित हो सकता है और अगला महत्वपूर्ण लक्ष्य 26,500 बनता है.

साइडवेज मूव की संभावना

LKP Securities के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रूपक डे का कहना है कि Nifty की ट्रेडिंग टोन आज भी सुस्त और दबाव वाली रही. वे बताते हैं कि इंडेक्स ऑवरली चार्ट पर 21EMA के नीचे बना हुआ है, जिसने मोमेंटम को कमजोर किया है. डेली चार्ट पर दिख रहा माइल्ड नेगेटिव डाइवर्जेंस भी इंडेक्स की कमजोरी को बढ़ा रहा है. डे के मुताबिक ऑवरली चार्ट की राइजिंग ट्रेंडलाइन तत्काल सपोर्ट दे रही है, लेकिन इसके नीचे फिसलते ही गिरावट 25,900 तक गहराने की आशंका है. वे 26,150 को निर्णायक रेजिस्टेंस मानते हैं और कहते हैं कि इसके ऊपर ही सेंटिमेंट में ठोस सुधार की उम्मीद बनती है. उनके हिसाब से अगले कुछ दिनों में निफ्टी में Bearish to Sideways मूव देखने को मिल सकता है.

मिड-टर्म स्ट्रक्चर स्थिर

शॉर्ट-टर्म इंडिकेटर्स अभी कमजोरी का संकेत दे रहे हैं, लेकिन तकनीकी एक्सपर्ट्स की राय में मिड-टर्म स्ट्रक्चर में किसी तरह की दरार नहीं दिख रही है. 26,000–25,800 का सपोर्ट जोन मिड-टर्म ब्रेकडाउन को रोकने की क्षमता रखता है, जबकि 26,150–26,160 स्तर के ऊपर जाने पर बाजार दोबारा तेजी की पटरी पर लौट सकता है. करंट डेटा, रुपया और FII ट्रेंड्स भले अभी दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन घरेलू फंडामेंटल्स और H2 की अर्निंग्स उम्मीदों के चलते भारत का ओवरऑल मार्केट आउटलुक स्थिर बना हुआ है.