रेलवे से मिले करोड़ों के ऑर्डर, अब सिंगापुर की हाईटेक कंपनी खरीदने की तैयारी; जानें क्या है शेयरों का हाल
MIC Electronics ने सिंगापुर की हाईटेक कंपनी NSPL के अधिग्रहण को इन-प्रिंसिपल मंजूरी दी है. यह डील कंपनी को सेमीकंडक्टर, ग्रीन एनर्जी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे भविष्य के सेक्टर्स में आगे ले जाएगी. जानें क्या है NSPL का काम और वित्तीय स्थिति. साथ ही जानें क्या है MIC के शेयरों का हाल.
MIC Electronic to acquire NSPL: टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले सिस्टम के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी MIC Electronics Ltd. अब अपने कारोबार को और भी हाईटेक सेक्टर्स की ओर ले जाने जा रही है. कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने सिंगापुर की कंपनी Neo Semi SG Pte Limited (NSPL) के इन-प्रिंसिपल अप्रूवल को मंजूरी दे दी है. यह प्रस्तावित अधिग्रहण विदेशी निवेश नियमों के आधार पर ही होगा और अंतिम फैसला ड्यू डिलिजेंस, शेयर वैल्यूएशन और दूसरी शर्तों को पूरा करने के बाद लिया जाएगा.
क्या है MIC Electronics का अधिग्रहण प्लान?
कंपनी ने शुक्रवार, 25 जुलाई को BSE को दी गई जानकारी में बताया कि यह अधिग्रहण MIC Electronics की लॉन्ग टर्म स्ट्रैटिजी के हिसाब से है. कंपनी का टारगेट ऐसे फ्यूचरिस्टिक सेक्टर में कदम रखना है जो टेक, ग्रीन एनर्जी, सेमीकंडक्टर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हों. बोर्ड ने मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) को अधिकृत किया है कि वह NSPL के साथ चर्चा करें, जरूरी मध्यस्थ नियुक्त करें और डील की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं.
NSPL क्या करती है?
सिंगापुर स्थित Neo Semi SG Pte. Ltd. (NSPL) एक रणनीतिक रूप से अहम तकनीकी कंपनी है, जो कई फ्यूचर फोकस्ड सेक्टर्स में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी है. NSPL का एक बड़ा सहयोग सिलिकॉन वैली की एक सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन कंपनी के साथ हुआ है, जिसके तहत उन्होंने एक समझौता (MoU) साइन किया है. यह साझेदारी अगली पीढ़ी की चिप डिजाइन कैपेसिटी को भारत और एशिया में लाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है.
इसके साथ ही, NSPL एक ग्रीन टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ भी काम कर रही है, जो IoT (Internet of Things) आधारित एनर्जी मैनेजमेंट और स्मार्ट ग्रिड सॉल्यूशन्स को बनाएगी. यह टेक्नोलॉजी क्लाइमेट रेजिलेंस और एनर्जी कैपेसिटी के लिए काफी अहम मानी जा रही है.
इतना ही नहीं, NSPL भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स रीफर्बिशिंग और रिवर्स लॉजिस्टिक्स कंपनी के साथ भी सक्रिय भागीदारी कर रही है, जो अब ई-वेस्ट मैनेजमेंट सेक्टर में उतरने की तैयारी में है. यह कदम डिजिटल सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है.
क्या है शेयर का हाल?
शेयर बाजार में भी कंपनी ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिए हैं. शुक्रवार, 25 जुलाई को कंपनी के शेयर 3.08 फीसदी की गिरावट के साथ 51.98 रुपये पर कारोबार करते हुए बंद हुए. कंपनी ने पिछले तीन साल में तकरीबन 305 फीसदी और पांच साल में 5,740 फीसदी का रिटर्न, जिससे यह स्टॉक मल्टीबैगर की कैटेगरी में शामिल हो गया है. मौजूदा समय में कंपनी का मार्केट कैप 1,253 करोड़ रुपये से अधिक है.
हाल ही में MIC Electronics को मिले सरकारी प्रोजेक्ट्स और मान्यताएं
MIC Electronics को हाल ही में रेलवे विभाग से कुछ बड़े प्रोजेक्ट मिले हैं, जो कंपनी की सरकारी क्षेत्र में पकड़ को दर्शाते हैं. पलक्कड़ डिवीजन के कन्नूर रेलवे स्टेशन के लिए कंपनी को 1.28 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है, जिसमें IPIS (Integrated Passenger Information System) की स्थापना शामिल है. इस प्रोजेक्ट में छह साल की मेंटेनेंस सेवा भी शामिल है. इसके अलावा, विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन पर 10 इनडोर और 5 आउटडोर डिस्प्ले बोर्ड्स की मेंटेनेंस के लिए कंपनी को दो साल का AMC (Annual Maintenance Contract) मिला है, जिसकी कुल लागत 13.48 लाख रुपये है. कंपनी को हाल ही में अपने ऑटोमैटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन के लिए BIS सर्टिफिकेशन भी प्राप्त हुआ है, जो इसकी गुणवत्ता और तकनीकी मजबूती का संकेत है.
वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन
Q1FY26 के नतीजों के अनुसार, MIC Electronics ने 11.61 करोड़ रुपये की नेट सेल्स और 1.67 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दर्ज किया है. वहीं पूरे वित्त वर्ष FY25 में कंपनी की कुल बिक्री 94.76 करोड़ रुपये रही, जो कि पिछले साल की तुलना में 8 फीसदी अधिक है. FY25 में नेट प्रॉफिट 9.83 करोड़ रुपये रहा, हालांकि यह FY24 के 61.84 करोड़ रुपये के मुकाबले कम है. पिछले पांच वर्षों में कंपनी ने 19.2 फीसदी CAGR के साथ शानदार फायदे में बढ़ोतरी दिखाई है.
सौदे को लेकर स्थिति स्पष्ट
हालांकि, यह अधिग्रहण अभी सिर्फ इन-प्रिंसिपल अप्रूवल तक ही सीमित है. MIC Electronics ने साफ किया है कि यह ट्रांजैक्शन फिलहाल नॉन-बाइंडिंग है और इसे अंतिम रूप देने के लिए कई जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया जाना बाकी है. कंपनी ने यह भी बताया कि सौदे को आगे बढ़ाने से पहले दोनों कंपनियों की स्वतंत्र वैल्यूएशन की जाएगी. साथ ही, लेन-देन की स्ट्रक्चर को अंतिम रूप देना और नियमित अनुमतियां प्राप्त करना भी आवश्यक होगा.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.